जन सुराज ने बिहार विधानसभा चुनाव में NDA सरकार द्वारा World Bank के 14,000 करोड़ रुपये के फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाया है।
जन सुराज ने लगाया आरोप, बिहार में World Bank के 14,000 करोड़ रुपये का गड़बड़ इस्तेमाल
जन सुराज पार्टी के प्रवक्ता पवन वर्मा ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में धन के दुरुपयोग का गंभीर आरोप लगाया है। उनका दावा है कि World Bank के 14,000 करोड़ रुपये के फंड को NDA सरकार ने महिलामुक्त मुख्यमंत्री योजना के तहत वोटिंग के लिए इस्तेमाल किया है।
Allegations Details
वेदना में कहा गया है कि 1.25 करोड़ महिलाओं के खातों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 10,000 रुपये जमा किए, जो नीतिगत दृष्टि से गलत समय और स्रोत से किए गए हैं। वर्मा ने कहा कि यह फंड मूल रूप से किसी और परियोजना के लिए World Bank द्वारा आवंटित था, जिसे चुनाव के पहले उपयोग में लाया गया।
Financial Context in Bihar
बिहार की कोविड-19 महामारी के बाद वित्तीय स्थिति मुश्किल बनी हुई है, जिसमें जन साख 4,06,000 करोड़ रुपये पहुंच चुका है और प्रति दिन 63 करोड़ रुपये ब्याज का भुगतान करना पड़ता है। इन आर्थिक कारकों के बीच चुनावी फंडिंग का यह मामला महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बन गया है।
Political Impact
जन सुराज ने यह भी बताया कि वोटरों में अफवाहें फैली हुई हैं कि यदि NDA सत्ता में नहीं आई तो उन्हें यह आर्थिक लाभ नहीं मिलेगा। इस वित्तीय हस्तांतरण ने चुनाव के आखिरी समय में माहौल को प्रभावित किया।
Party Performance and Election Results
हालांकि जन सुराज ने लगभग सभी 243 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे, फिर भी वह चुनाव जीतने में असफल रहा। वहीं NDA ने 202 सीटें हासिल कर बड़ी जीत दर्ज की, जिसमें BJP, JDU, और सहयोगी दलों ने अच्छा प्रदर्शन किया।
बिहार चुनाव के दौरान फंड के दुरुपयोग के आरोप ने चुनावी प्रक्रिया और नीति निर्माण की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं। यह मामला राजनीतिक और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर गहन विचार करने योग्य है।
FAQs
- किसने World Bank फंड के दुरुपयोग का आरोप लगाया?
जन सुराज पार्टी के प्रवक्ता पवन वर्मा ने। - फंड का राशि कितनी बताई गई?
लगभग 14,000 करोड़ रुपये। - यह फंड किस योजना के तहत वितरित किया गया?
मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत। - चुनाव परिणाम कैसे रहे?
NDA ने बड़ी जीत हासिल की, जबकि जन सुराज सीटों पर सफल नहीं हुआ। - आरोपों का राजनीतिक महत्व क्या है?
यह चुनावी फंडिंग की पारदर्शिता और नैतिकता पर गंभीर प्रश्न खड़े करता है।
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