ट्यूनीशिया में फंसे झारखंड के 48 मजदूर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के आदेश पर सुरक्षित घर लौटे, सरकार ने बकाया वेतन भी दिलवाया।
झारखंड के प्रवासी मजदूर ट्यूनीशिया से घर लौटे, हेमंत सोरेन ने करवाया सफल समन्वय
झारखंड के 48 प्रवासी मजदूर, जो तीन महीनों से ट्यूनीशिया में बिना वेतन के फंसे थे, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के समन्वय और प्रयासों से सुरक्षित अपने-अपने जिलों में लौट आए हैं। ये मजदूर जमशेदपुर, गिरिडीह और बोकारो के निवासी हैं और एक दिल्ली स्थित कंपनी के माध्यम से ट्यूनीशिया गए थे।
मासूम मजदूरों ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो संदेश में अपनी कठिनाइयों का वर्णन किया था, जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें उचित मजदूरी और अनुबंध की बाध्यता नहीं मिली, और वे लंबे समय तक बिना वेतन काम करने को मजबूर थे।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस वीडियो को देखा और तुरंत श्रम विभाग, रोजगार, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग को निर्देशित किया कि वे मजदूरों की जल्द सुरक्षित वापसी और बकाया वेतन दिलाने के लिए तत्काल कार्यवाही करें।
श्रम विभाग की टीम ने भारतीय दूतावास और अन्य संबंधित एजेंसियों के साथ संपर्क कर सभी यात्रा औपचारिकताएं पूरी कीं। मजदूरों को मुंबई लाया गया और वहां से अलग-अलग बस्तियों के लिए रेल के माध्यम से प्रेषित किया गया।
सरकार ने पूरे मामले में पूर्ण पारदर्शिता बनाए रखने और इन मजदूरों तथा उनके परिवारों को विभिन्न कल्याण योजनाओं के तहत सुरक्षा देने का भी आश्वासन दिया है।
इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता सिकंदर अली ने भी आवाज उठाई थी, जिन्होंने मजदूरों की स्थिति को उजागर किया और सरकारी मदद को सुनिश्चित कराने में भूमिका निभाई।
FAQs:
- झारखंड के मजदूर ट्यूनीशिया में क्यों फंसे थे?
- वे बिना वेतन लंबे समय तक काम करने को मजबूर थे।
- मजदूरों की वापसी कैसे सुनिश्चित हुई?
- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर श्रम विभाग और दूतावास की मदद से।
- मजदूरों के बकाया वेतन का क्या हुआ?
- सभी मजदूरों का तीन महीने का वेतन कंपनी ने चुकाया।
- मजदूर किस कंपनी के लिए काम कर रहे थे?
- पीसीएल प्रीम पावर कंस्ट्रक्शन लिमिटेड, एक दिल्ली स्थित कंपनी।
- सरकार की आगे की क्या योजना है?
- मजदूरों और उनके परिवारों को कल्याण योजनाओं के तहत सुरक्षा देना।
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