जयराम एवं देवेंद्र सहित जेएलकेएम नेताओं ने झारखंड पितामह बिनोद बिहारी महतो को किया नमन।
बिनोद बाबू की जीवनी से संघर्ष, शिक्षा और सामाजिक न्याय की प्रेरणा मिलती है – देवेंद्र नाथ महतो।
बलियापुर (धनबाद) : झारखंड राज्य आंदोलन के पुरोधा, प्रखर राजनीतिज्ञ, विद्वान, सांस्कृतिक प्रेमी बिनोद बिहारी महतो की 34वीं पुण्यतिथि के अवसर पर पूरे झारखंड प्रदेश में श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए माल्यार्पण किया गया। जेएलकेएम सुप्रीमो सह डुमरी विधायक जयराम कुमार महतो के साथ जेएलकेएम के केन्द्रीय वरीय उपाध्यक्ष देवेंद्र नाथ महतो एवं अन्य पदाधिकारियों ने धनबाद के बलियापुर स्थित बिनोद धाम पहुंचकर बिनोद बाबू को नमन किया।
मौके पर जयराम महतो ने कहा कि बिनोद बिहारी महतो सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि उस पारस पत्थर की कहानी हैं, जिसने संघर्ष की धूल को सोने में बदल दिया। बिनोद बाबू ने समाज में हजारों साल से जड़ें जमाए कुरीतियों, अंधविश्वास और शोषण के खिलाफ ऐसी जंग छेड़ी, जिसकी गूंज आज भी सुनाई देती है। उन्होंने अलग झारखंड राज्य के लिए निर्णायक लड़ाई लड़ी। उनके मार्ग पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि हैं।

मौके पर देवेंद्र नाथ महतो ने कहा कि इतिहास केवल तारीखों का लेखा-जोखा नहीं, बल्कि कुछ ऐसे नामों की गाथा है जो खुद एक युग बन जाते हैं। आज यदि हम झारखंड की धरती और उसके आकाश की ओर देखें, तो बिनोद बिहारी महतो का नाम सितारे की तरह चमकता है। आज सियासत के बड़े-बड़े दिग्गज उन्हें अपना गुरु मानते हैं और झारखंड के लोग सम्मान से उन्हें भीष्म पितामह कहते हैं। बिनोद बाबू जानते थे कि गुलामी की जंजीरें अज्ञान की आग में गल जाती हैं और उन्हें तोड़ने का एकमात्र हथियार शिक्षा है। उन्होंने इस समाज की जड़ों में शिक्षा का बीज बोया जिसके साथ ‘पढ़ो और लड़ो’ का नारा जन्मा – पढ़ो ताकि हक को जान सको और लड़ो ताकि हक को पा सको। बिनोद बाबू की जीवनी से संघर्ष, शिक्षा और सामाजिक न्याय की प्रेरणा मिलती है।
मौके पर धनबाद जिलाध्यक्ष शक्ति महतो, उषा महतो, आशीष कुमार, कुमार राजा, भारती महतो, केन्द्रीय सचिव दीपक रवानी, पंचम एक्का, गुणा भगत ,मनीष साहू के अलावा अन्य पदाधिकारी एवं गणमान्य लोग उपस्थित थे।
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