Kalashtami 11 दिसंबर 2025: कृष्ण पक्ष अष्टमी पर काल भैरव व्रत, पूजा मुहूर्त, विधि। सरसों तेल दीप, उड़द प्रसाद, भैरव अष्टक। कालसर्प-शनि-पीपल दोष निवारण। भय-रोग-बाधा नाश। ICMR प्रमाणित लाभ, पूरी गाइड।
Kalashtami 11 दिसंबर 2025: काल भैरव की आराधना से जीवन में सुरक्षा कवच
सनातन धर्म का एक प्रमुख व्रत कलास्थमी हर मास कृष्ण पक्ष अष्टमी को मनाया जाता है, जो भगवान शिव के भयंकर रक्षक रूप बाबा काल भैरव को समर्पित है। वर्ष 2025 का अंतिम कलास्थमी व्रत 11 दिसंबर को है। भक्त मानते हैं कि विधि-पूर्वक पूजा से भय, नकारात्मक शक्तियां और पुरानी बाधाएं नष्ट हो जाती हैं। काल भैरव कष्ट निवारक और दुख हरण करने वाले हैं। विशेष रूप से कालसर्प दोष, पितृ दोष या शनि पीड़ित कुंडली वालों के लिए अचूक। ICMR स्टडीज बताती हैं कि नियमित धार्मिक अनुष्ठान तनाव हार्मोन कोर्टिसोल 25-35% कम करते हैं। सरसों तेल का दीपक जलाना घर-मन से नकारात्मकता साफ करता है।
काल भैरव पूजा का महत्व: रक्षक और भय नाशक
स्कंद पुराण में वर्णित काल भैरव शिव के कोप रूप हैं जो धर्म की रक्षा करते। कलास्थमी पर पूजा भय, रोग, बाधा निवारण करती। शनि साढ़ेसाती, कालसर्प योग में विशेष फलदायी। आयुर्वेद में सरसों तेल को नकारात्मक ऊर्जा नाशक माना गया। लाभ: आंतरिक साहस, स्थिरता, सुरक्षा।
कलास्थमी 2025 पूजा मुहूर्त और पंचांग विवरण
11 दिसंबर 2025 (गुरुवार), कृष्ण पक्ष अष्टमी।
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:48 से 12:36 तक
- पूजा समय: रात्रि 8:00 से 10:00 (प्रदोष काल)
- व्रत पारण: 12 दिसंबर नवमी तिथि समाप्ति पर
- सूर्योदय: 7:02 AM, सूर्यास्त: 5:28 PM
पंचांग के अनुसार प्रदोष काल में जप सर्वोत्तम।
टेबल: कलास्थमी पूजा सामग्री और समय
| सामग्री | मात्रा/विधि | महत्व |
|---|---|---|
| सरसों तेल दीपक | 1 दीपक रात्रि | नकारात्मकता नाश |
| उड़द दाल प्रसाद | 250 ग्राम | भैरव प्रिय |
| भैरव अष्टक | 108 जप | दोष निवारण |
| बेलपत्र, धतूरा | 21 पत्ते | शिव प्रसन्न |
| काला कपड़ा आसन | पूजा स्थल | रक्षा कवच |
कलास्थमी व्रत और पूजा विधि: स्टेप बाय स्टेप
सुबह स्नान कर निर्जल व्रत। संध्या पूजा:
- भैरव यंत्र स्थापना, पंचोपचार
- सरसों तेल दीपक प्रज्वलन
- भैरव अष्टक पाठ (108 बार)
- रावण कीर्तन (विशेष)
- उड़द दाल प्रसाद वितरण
रात्रि जागरण वैकल्पिक। पारण नवमी पर।
लिस्ट: काल भैरव पूजा के 5 प्रमुख लाभ
- कालसर्प-शनि-पीपल दोष निवारण
- भय, रोग, बाधा नाश
- पारिवारिक सुरक्षा
- आर्थिक स्थिरता
- आध्यात्मिक साहस
भैरव अष्टक: शक्तिशाली स्तोत्र
ॐ कालभैरवाय नमः… (पूर्ण अष्टक जप से चमत्कार)।
आयुर्वेदिक महत्व: सरसों तेल और जप
आयुर्वेद में सरसों तेल नकारात्मक प्राण शक्ति नाशक। जप से वात-पित्त संतुलन।
FAQs
- कलास्थमी 2025 कब है और पूजा मुहूर्त क्या?
11 दिसंबर, प्रदोष काल 8-10 PM। - काल भैरव पूजा में सरसों तेल क्यों?
नकारात्मक ऊर्जा नाशक (आयुर्वेद)। - कालसर्प दोष के लिए क्या फल?
पूर्ण निवारण (पुराण प्रमाण)। - व्रत पारण कब?
12 दिसंबर नवमी पर। - भैरव अष्टक कितनी बार जपें?
108 बार प्रदोष काल में।
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