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क्या कांग्रेस सरकार RSS को निशाना बना रही है? BJP ने उठाए गंभीर सवाल

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कर्नाटक में RSS पर कार्रवाई को लेकर राजनीति गरमा गई है। BJP ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि वह राष्ट्रवादी संगठनों को कमजोर कर आतंकियों को “मदद” दे रही है।

RSS पर कार्रवाई या राजनीतिक रणनीति? कांग्रेस-BJP आमने-सामने

दक्षिण भारत की राजनीति में नया मोड़

कर्नाटक की राजनीति एक बार फिर चर्चा में है। हाल ही में राज्य की कांग्रेस सरकार ने कुछ क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की शाखाओं की गतिविधियों पर “कानूनी समीक्षा” शुरू की है। इस कदम को लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है, आरोप लगाया कि “सरकार राष्ट्रवादी संगठनों को दबाने की कोशिश कर रही है और आतंकियों के लिए बैटिंग कर रही है।”

यह विवाद केवल एक राज्य तक सीमित नहीं रहा — बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बन गया है।


मामला क्या है?

सूत्रों के अनुसार, कर्नाटक के कुछ जिलों में RSS शाखाओं और उनसे जुड़ी संगठनों पर पुलिस ने ‘कानूनी अनुमति’ और ‘सार्वजनिक सुरक्षा नियमों’ के तहत जांच शुरू की है।
कांग्रेस सरकार का कहना है कि यह “सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया” है, जिसमें किसी भी संगठन की गतिविधियों की समीक्षा की जा सकती है।

हालांकि BJP नेताओं का आरोप है कि यह सब राजनीतिक उद्देश्य से किया जा रहा है, ताकि RSS की जमीनी पकड़ को कमजोर किया जा सके — खासकर 2025 के स्थानीय चुनावों से पहले।


BJP का आरोप: “कांग्रेस आतंकियों की मदद कर रही”

BJP प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा —

“कांग्रेस सरकार आतंकियों पर कार्रवाई नहीं करती, बल्कि राष्ट्रवादी संगठनों को निशाना बनाकर उन्हें हौसला देती है। यह देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।”

पार्टी ने यह भी दावा किया कि RSS पर दबाव डालने से “कट्टरपंथी ताकतों” को अप्रत्यक्ष रूप से बल मिल रहा है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि “कर्नाटक सरकार का रुख कानून व्यवस्था की चिंता नहीं, बल्कि राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है।”


कांग्रेस की प्रतिक्रिया: “BJP भ्रम फैला रही है”

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने BJP के आरोपों को खारिज करते हुए कहा —

“RSS कानून से ऊपर नहीं है। अगर कोई संगठन प्रशासनिक नियमों का उल्लंघन करता है, तो जांच होना स्वाभाविक है। BJP इस मामले को अनावश्यक रूप से राजनीतिक रंग दे रही है।”

राज्य के गृह मंत्री ने भी कहा कि किसी भी संगठन, चाहे वह RSS हो या कोई और, को ‘कानूनी दायरे में काम करना चाहिए’


विशेषज्ञों का विश्लेषण: राजनीति बनाम प्रशासन

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. एस. राजगोपाल का कहना है —

“कर्नाटक में RSS एक मजबूत सामाजिक नेटवर्क रखता है। कांग्रेस जानती है कि सीधा टकराव चुनावी रूप से महंगा पड़ सकता है, परंतु वह ‘कानूनी समीक्षा’ के नाम पर उसे नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है।”

दूसरी ओर, वरिष्ठ पत्रकार गौरी कन्नन का कहना है कि “BJP RSS के मुद्दे को भावनात्मक रूप से भुना रही है, ताकि दक्षिण भारत में हिंदुत्व एजेंडा को दोबारा सक्रिय किया जा सके।”


RSS और कांग्रेस का टकराव

RSS और कांग्रेस के बीच वैचारिक टकराव कोई नया नहीं है।
1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद RSS पर प्रतिबंध लगाया गया था, जिसे बाद में हटा लिया गया।
तब से लेकर आज तक कांग्रेस RSS को ‘राजनीतिक रूप से प्रेरित संगठन’ मानती है, जबकि BJP RSS को ‘राष्ट्र निर्माण की रीढ़’ कहती है।

कर्नाटक में भी यह संघर्ष कई बार देखने को मिला — विशेषकर 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में।


दक्षिण भारत की राजनीति पर असर

कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल — इन राज्यों में RSS की पैठ सीमित रही है, परंतु हाल के वर्षों में संगठन ने जमीनी स्तर पर विस्तार किया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस की यह कार्रवाई “दक्षिण में हिंदुत्व बनाम सेक्युलरिज्म” की बहस को और तीखा कर सकती है।
BJP इसे एक “राजनीतिक अवसर” के रूप में देख रही है।


राष्ट्रीय राजनीति में संभावित प्रभाव

2025 के चुनावों से पहले BJP इस मुद्दे को राष्ट्रीय मंच पर उठा सकती है।
इससे विपक्षी गठबंधन (INDIA ब्लॉक) में भी तनाव बढ़ सकता है, क्योंकि कई क्षेत्रीय दल RSS विरोध पर कांग्रेस के साथ खुलकर नहीं आना चाहते।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार, यह विवाद 2025 लोकसभा चुनाव से पहले “वैचारिक ध्रुवीकरण” का नया केंद्र बन सकता है।


कर्नाटक की यह घटना एक प्रशासनिक कार्रवाई से कहीं अधिक है — यह भारत की राजनीति में वैचारिक टकराव की पुनरावृत्ति है।
BJP इसे “राष्ट्रवाद बनाम appeasement” का प्रतीक बना रही है, जबकि कांग्रेस “कानून की समानता” का तर्क दे रही है।

कौन सही है, इसका फैसला राजनीति और जनमत ही करेगा, पर इतना तय है कि आने वाले महीनों में RSS बनाम कांग्रेस की यह बहस देश के सियासी एजेंडे में केंद्र स्थान पर रहेगी।

FAQs

Q1. कर्नाटक में RSS पर किस तरह की कार्रवाई की जा रही है?
राज्य सरकार ने कुछ जिलों में शाखाओं की गतिविधियों की समीक्षा शुरू की है, जिसे BJP “राजनीतिक प्रतिशोध” बता रही है।

Q2. क्या RSS पर कोई प्रतिबंध लगाया गया है?
नहीं, अब तक किसी औपचारिक प्रतिबंध की घोषणा नहीं हुई है।

Q3. कांग्रेस सरकार ने क्या कहा है?
सरकार का कहना है कि कार्रवाई “कानूनी प्रक्रिया” का हिस्सा है, किसी विशेष संगठन को निशाना नहीं बनाया गया।

Q4. क्या BJP इसे चुनावी मुद्दा बनाएगी?
हाँ, पार्टी पहले ही संकेत दे चुकी है कि यह मामला “राष्ट्रवाद बनाम appeasement” के नैरेटिव का हिस्सा बनेगा।

Q5. क्या यह विवाद राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित कर सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण भारत की राजनीति पर इसका असर सीमित रहेगा, पर राष्ट्रीय विमर्श में इसका इस्तेमाल ज़रूर होगा।

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