FBI डायरेक्टर Kash Patel के पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष Asim Munir से हाथ मिलाने पर भारत और प्रवासी भारतीयों के बीच सोशल मीडिया पर तीखा विवाद छिड़ा।
Kash Patel–Asim Munir Handshake : क्यों मचा भारत में बवाल
FBI डायरेक्टर काश पटेल का पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर से व्हाइट हाउस में हाथ मिलाना फिलहाल भारतीय सोशल मीडिया और प्रवासी भारतीय समुदाय में बड़ा विवाद बन चुका है। धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक भावनाओं में उलझे इस क्षण ने कूटनीतिक वजन और व्यक्तिगत निष्ठा का सवाल दोबारा उठा दिया है।
विवाद का मूल
पहली नजर में
काश पटेल, जिन्होंने शपथ लेते समय ‘जय श्री कृष्ण’ बोला, माता-पिता के चरण छुए और भगवद गीता पर शपथ ली—उनका मुनीर से हाथ मिलाना कई भारतीयों और हिंदू डायस्पोरा के लिए “धोखा” जैसा महसूस हुआ। खासकर क्योंकि मुनीर अक्सर भारत-विरोधी बयान देते रहे हैं।
धर्म, कूटनीति या बस प्रोटोकॉल?
कई लोगों ने इसे पाखंड बताया, खासकर पटेल की राम मंदिर रक्षा के मद्देनज़र। वहीं कुछ ने कूटनीतिक मांग माना—“ऐसी स्थिति में मना करना संभव ही नहीं।”
ट्रंप की भूमिका
यह पूरा प्रकरण ट्रंप के कार्यकाल में भारत-यूएस संबंधों की ठंडक के संदर्भ में बढ़ता दिखता है—दिल्ली पर भारी एक्सपोर्ट टैरिफ, पाकिस्तान के लिए छूट व ऊर्जा सहयोग, Nobel Peace Prize की नॉमिनेशन नाराज़गी और Pahalgam हमले की ताजगी से माहौल गरम है। खुद ट्रंप दावा करते हैं कि उन्होंने भारत-पाक सीज़फायर कराया, पर दिल्ली इसे सेना स्टेशन की सीधी बात कहता है।
सोशल मीडिया पर मिक्स्ड रिएक्शन
- “काश पटेल ने अपने हिंदू धर्म और भारतीय जड़ों का अपमान किया!”
- “वो अमेरिकी अधिकारी हैं, नीति प्राथमिकता है।”
- “ऐसी मुलाकातें कूटनीतिक मजबूरी होती हैं, व्यक्तिगत भावना नहीं।”
ट्रंप युग में भारत–यूएस संबंध
ट्रंप सरकार ने पाकिस्तान को व्यापार/फोटो ऑप्स में ज्यादा तवज्जो दी। भारत में बढ़े टैरिफ, पाकिस्तान को 19% और भारत को 50% तक एक्सपोर्ट टैक्स, साथ ही दिल्ली के अमेरिका विरोधी रुख की चर्चा बढ़ी है। ट्रंप के हिंदू-अमेरिकन कम्युनिटी से जुड़े Diwali भाषण, कैलिफोर्निया के जाति बिल का विरोध, और काश पटेल की ‘धर्म योद्धा’ ब्रांडिंग, ट्रंप की हिंदू वोट बैंकों की रणनीति को दिखाते हैं।
काश पटेल के एक शिष्टाचार हैंडशेक ने न सिर्फ कूटनीतिक विमर्श को बल्कि ट्रंप नीति, प्रवासी राजनीति, और भारत-पाक-अमेरिका रिश्तों को नए सिरे से चर्चा में ला दिया है। उनके लिए भारत या हिंदू धर्म के बजाय ट्रंप, अमेरिका और उनकी डिप्लोमैटिक जिम्मेदारी प्राथमिकता है।
FAQs
- काश पटेल सिर्फ अमेरिकी अधिकारी हैं, क्या उन्हें भारतीय आस्थाओं के लिए जवाबदेह मानना सही है?
– उनकी प्रोटोकॉल रैंकिंग में अमेरिकी नीति प्राथमिक है। - क्या भारत-यूएस संबंध ट्रंप सरकार में कमजोर हुए हैं?
– भारी टैरिफ, पाकिस्तान को छूट, ट्रंप की नाराजगी से तनाव साफ है। - क्या सोशल मीडिया पर विवाद पॉलिसी बदल सकता है?
– नहीं, पर जनता की संवेदनाओं को जरूर झलकाता है। - क्या इस हैंडशेक से ट्रंप की हिंदू-अमेरिकन नीति डगमगाएगी?
– अभी नहीं, लेकिन डिप्लोमैटिक एक्ट्स पर नज़र रखना जरूरी है। - क्या पाकिस्तान-यूएस रिश्तों में बदलाव आया है?
– ट्रंप ने पाकिस्तान को ज्यादा स्पेस दिया है। - ट्रंप के Nobel snub के मायने?
– भारतीय सरकार ने उन्हें नॉमिनेट न करके नाराज किया, जिससे औपचारिकता में खटास आई।
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