जम्मू-कश्मीर के बरामूला में ज़ेहनपोरा गांव के टीले खोदाई से 2000 साल पुराना बौद्ध कॉम्प्लेक्स मिला। कुशान काल के स्तूप, मठ, गंधार स्टाइल। PM मोदी ने मन की बात में कहा ‘गर्व का पल’!
फ्रेंच म्यूजियम की पुरानी फोटो से खुला कश्मीर का बौद्ध इतिहास: बरामूला में स्तूपों का खजाना, क्या है पूरा रहस्य?
कश्मीर के ज़ेहनपोरा में 2000 साल पुराना बौद्ध स्थल: PM मोदी बोले ‘गर्व का पल’
जम्मू-कश्मीर के बरामूला जिले के एक शांत गांव ज़ेहनपोरा ने कश्मीर वैली के भूले-बिसरे बौद्ध इतिहास का नया अध्याय खोल दिया। आर्कियोलॉजिस्ट्स ने यहां के सामान्य से दिखने वाले टीलों की खुदाई कर कुशान काल (लगभग 2000 साल पुराना) के स्तूप, मठ भवन और अन्य संरचनाएं उजागर कीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में इसे भारत की सांस्कृतिक विरासत के लिए ‘गर्व का पल’ बताया।
ये खोज एक अनोखे सुराग से शुरू हुई। फ्रांस के एक म्यूजियम में रखी दशकों पुरानी धुंधली तस्वीरों में तीन स्तूप दिखे। इन्होंने शोधकर्ताओं का ध्यान खींचा और ज़ेहनपोरा में नई सर्वे शुरू हुई। ड्रोन सर्वे से पुष्टि हुई कि टीले प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानव-निर्मित हैं। खुदाई में बड़ा बौद्ध कॉम्प्लेक्स सामने आया, जो कश्मीर के प्राचीन सभ्यता को नई रोशनी देता है।
कश्मीर का बौद्ध इतिहास: कुशान काल की झलक
कश्मीर हमेशा से बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र रहा। कुशान साम्राज्य (30-375 ईस्वी) के दौरान यहां गंधार कला का प्रभाव था। ज़ेहनपोरा संभवतः महत्वपूर्ण बौद्ध केंद्र था, जो गंधार से कश्मीर को जोड़ने वाले प्राचीन व्यापार और तीर्थ मार्ग पर स्थित है। विशेषज्ञों का मानना है कि ये हुविश्कपुरा नामक कुशान राजधानी से जुड़ा हो सकता है, जो अब तक रहस्यमय था।
खुदाई जम्मू-कश्मीर आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट और कश्मीर यूनिवर्सिटी ने संयुक्त रूप से की। मिले स्तूपों के आधार और मठ कोठरियां गंधार वास्तुकला से मिलती-जुलती हैं। ये खोज कश्मीर को सभ्यताओं के संगम के रूप में स्थापित करती है, जहां बौद्ध विरासत लंबे समय से छिपी रही। एनडीटीवी रिपोर्ट के अनुसार, ये ‘लेयर्ड रिवीलेशन’ है जो कश्मीर के प्राचीन अतीत को फिर से परिभाषित कर सकता है।
PM मोदी का मन की बात संदेश
पीएम मोदी ने 28 दिसंबर को ‘मन की बात’ में कहा, “बरामूला में ज़ेहनपोरा जगह है। वहां सालों से ऊंचे टीले दिख रहे थे। वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला कि ये विशाल संरचना के अवशेष हैं। फ्रेंच म्यूजियम की तस्वीर से खोज का रुख बदला और कश्मीर का भूला इतिहास सामने आया। ये 2000 साल पुराना इतिहास है।” उन्होंने इसे कश्मीर की समृद्ध पहचान और ऐतिहासिक विरासत की याद बताया।
खोज की शुरुआत: फ्रेंच फोटोज से ड्रोन तक
दशकों पुरानी फोटोज ने ट्रिगर किया। शोधकर्ता ज़ेहनपोरा पहुंचे, जहां स्थानीय लोग टीलों को सामान्य मानते थे। ड्रोन सर्वे ने साबित किया कि ये प्लान्ड सेटलमेंट के अवशेष हैं। खुदाई में स्तूप फाउंडेशन्स, मोनेस्टिक बिल्डिंग्स मिले। ये सब मिलकर बौद्ध कॉम्प्लेक्स का रूप लेते हैं, जो प्राचीन सांस्कृतिक-धार्मिक आदान-प्रदान का प्रमाण है।
कुशान काल और कश्मीर: ऐतिहासिक महत्व
कुशान राजा कनिष्क (127-150 ईस्वी) बौद्ध धर्म के संरक्षक थे। उनके समय गंधार कला फली-फूली, जो यूनानी-भारतीय स्टाइल का मिश्रण है। ज़ेहनपोरा का लोकेशन गंधार (आधुनिक पाक-अफगान) से कश्मीर ट्रेड रूट पर है। यहां से रेशम मार्ग के ब्रांच गुजरते थे। ASI के अनुसार, कश्मीर में 100+ बौद्ध साइट्स हैं, लेकिन ज़ेहनपोरा नई और महत्वपूर्ण है।
| विशेषता | ज़ेहनपोरा खोज | महत्व |
|---|---|---|
| आयु | 2000 साल (कुशान काल) | प्राचीनतम बौद्ध साइट्स में |
| संरचनाएं | स्तूप, मठ कोठरियां | गंधार स्टाइल |
| लोकेशन | बरामूला, ट्रेड रूट | सांस्कृतिक एक्सचेंज हब |
| ट्रिगर | फ्रेंच म्यूजियम फोटोज | आधुनिक टेक (ड्रोन) से खोज |
| संस्थान | J&K आर्कियोलॉजी, कश्मीर यूनिवर्सिटी | सरकारी-एकेडमिक कोलैब |
कश्मीर की बौद्ध विरासत: प्रमुख साइट्स
- हरिवन: कुशान-गुप्त काल के अवशेष।
- अमरनाथ क्षेत्र: प्राचीन मठ।
- श्रीनगर के आसपास: बौद्ध अवशेष।
- ज़ेहनपोरा: नया ऐडिशन, हुविश्कपुरा लिंक।
ये खोज पर्यटन, शिक्षा और सांस्कृतिक संरक्षण को बूस्ट देगी। UNESCO की नजर हो सकती है।
क्षेत्रीय प्रभाव: कश्मीर की पहचान
कश्मीर घाटी का इतिहास बौद्ध, हिंदू, इस्लामिक संस्कृतियों का संगम है। ये खोज उस विविधता को रेखांकित करती है। स्थानीय लोग उत्साहित, जो टीले पहले ‘भूतिया’ मानते थे। अब ये हेरिटेज साइट बनेगी। PM मोदी का उल्लेख इसे राष्ट्रीय स्तर पर ले आया।
भविष्य की खुदाई और रिसर्च
आर्कियोलॉजिस्ट्स और खुदाई जारी रखेंगे। कार्बन डेटिंग, आर्टिफैक्ट्स एनालिसिस से ज्यादा डिटेल्स आएंगी। ड्रोन और सैटेलाइट इमेजरी से आसपास साइट्स खोजी जाएंगी। कश्मीर यूनिवर्सिटी रिसर्च पेपर्स पब्लिश करेगी। ये खोज इतिहासकारों के लिए गोल्डमाइन।
मायगव इंडिया का ट्वीट
मायगव इंडिया ने ट्वीट किया: “बरामूला में ज़ेहनपोरा… टीले विशाल संरचना के अवशेष निकले।” PM के वीडियो क्लिप के साथ। सोशल मीडिया पर वायरल, लाखों व्यूज।
संरक्षण की चुनौतियां
कश्मीर में मौसम, सुरक्षा चैलेंजेस। लेकिन J&K सरकार और ASI संरक्षण प्लान बनाएंगे। टूरिस्ट सेंटर, म्यूजियम से लोकल इकोनॉमी बूस्ट।
5 FAQs
- ज़ेहनपोरा बौद्ध स्थल कहां मिला?
जम्मू-कश्मीर के बरामूला जिले के ज़ेहनपोरा गांव में, टीलों की खुदाई से। - खोज कैसे शुरू हुई?
फ्रांस म्यूजियम की पुरानी स्तूप फोटोज से, फिर ड्रोन सर्वे और खुदाई। - स्थल कितना पुराना है?
लगभग 2000 साल, कुशान काल (30-375 ईस्वी) का। - PM मोदी ने क्या कहा?
मन की बात में ‘गर्व का पल’, कश्मीर के भूले इतिहास का खुलासा बताया। - स्थल का महत्व क्या?
गंधार-कश्मीर ट्रेड रूट, कुशान राजधानी लिंक, बौद्ध विरासत का नया प्रमाण।
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