उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केदारनाथ धाम में पूजा कर कपाट बंद होने से पहले बाबा केदार से विश्व शांति और विकास की कामना की।
उत्तराखंड सीएम धामी ने किया केदारनाथ धाम में रुद्राभिषेक, जानें पूरी जानकारी
केदारनाथ धाम के कपाट बंद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की पूजा-अर्चना
रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को प्रसिद्ध श्री केदारनाथ धाम में पूजा-अर्चना की और मंदिर के कपाटों के बंद होने से पहले विशेष धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया। यह अवसर हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी अत्यंत भावनात्मक और धार्मिक ऊर्जा से भरपूर रहा, क्योंकि कपाट बंद होने से अगले छह महीनों के लिए बाबा केदार की मूर्ति अपने शीतकालीन आवास में विराजमान हो जाती है।
कपाट बंद होने का समय और अवसर
भैयादूज के पवित्र पर्व पर सुबह 8:30 बजे मंदिर के कपाट पूरे वैदिक रीति-रिवाज और धार्मिक परंपराओं के साथ बंद किए गए। इस अवसर पर ‘ॐ नम: शिवाय’ और ‘जय बाबा केदार’ के जयकारों से पूरा धाम गूंज उठा। इस धार्मिक समारोह में भारतीय सेना के बैंड ने भक्ति संगीत प्रस्तुत किया, जिससे वातावरण और अधिक दिव्यता से भर गया।
राज्यपाल गुरमीत सिंह की उपस्थिति और निरीक्षण
उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) ने भी कपाट बंद होने से पहले धाम का दौरा किया था और विशेष रुद्राभिषेक किया। उन्होंने लिखा कि बाबा केदार के दर्शन से उन्हें गहरी आध्यात्मिक शांति और भक्ति का अनुभव हुआ। साथ ही उन्होंने चल रहे पुनर्निर्माण और विकास कार्यों का निरीक्षण कर अधिकारियों से विस्तृत जानकारी प्राप्त की।
यात्रा का सफल समापन
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी प्रतीक जैन के अनुसार, इस वर्ष की केदारनाथ यात्रा को अत्यंत सफल बताया गया है। हजारों श्रद्धालु नवंबर से पहले तक बाबा केदार के दर्शन के लिए पहुंचे, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी प्रोत्साहन मिला।
चारधाम यात्रा और परंपरा
हिंदू धर्म में चारधाम यात्रा का अत्यधिक महत्व है। हर वर्ष की तरह, सर्दियों के आगमन पर बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट बंद किए जाते हैं। सर्दियों के दौरान बर्फबारी और कड़ाके की ठंड से मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं, इसलिए देवी-देवताओं की मूर्तियाँ डोली में रखकर निचले स्थानों के मंदिरों में लायी जाती हैं, जहाँ छह महीने तक उनकी पूजा होती है।
धार्मिक महत्व और परंपरा का भावनात्मक स्वरूप
कपाट बंद होने का यह अनुष्ठान केवल धार्मिक नहीं बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। श्रद्धालु इस दिन बाबा केदार को पुष्प, फल और प्रसाद चढ़ाते हैं। ‘डोली यात्रा’ अत्यंत भावनात्मक होती है, जब भक्त बाबा के स्वागत और विदाई में गायन, नृत्य और भजन-कीर्तन करते हैं।
पुनर्निर्माण और विकास कार्य
केदारनाथ में पिछले कुछ वर्षों से पुनर्निर्माण कार्य तेजी से चल रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष पहल पर धाम में बुनियादी ढांचे को सुदृढ़ किया जा रहा है—जिसमें यात्री आवास, मार्गों का विस्तार, मंदिर परिसर का सुंदरीकरण और नई सुविधाओं की स्थापना सम्मिलित है। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार इस पवित्र स्थल को विश्वस्तरीय तीर्थस्थल के रूप में विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
शीतकालीन पूजा व्यवस्था
सर्दियों में बाबा केदार की पूजा ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में की जाती है। यहाँ छह महीनों तक भक्त नियमित रूप से पूजा-अर्चना करते हैं और वसंत ऋतु के आगमन पर पुनः केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाते हैं।
पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
केदारनाथ यात्रा राज्य की अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्रोत है। कपाट बंद होने के बाद स्थानीय लोगों का ध्यान अन्य व्यवसायों की ओर जाता है, जैसे ऊनी वस्त्र निर्माण, हस्तशिल्प और पर्यटन की शीतकालीन तैयारियाँ।
कपाट बंद होने का यह समय श्रद्धा, धन्यवाद और प्रतीक्षा का प्रतीक है—श्रद्धालु अब बाबा केदार के पुनः दर्शन की प्रतीक्षा करेंगे जब अप्रैल-मई में धाम के कपाट फिर से खुलेंगे।
FAQs
- केदारनाथ मंदिर के कपाट हर वर्ष कब बंद किए जाते हैं?
भैयादूज के दिन, सर्दियों के आगमन से पहले, कपाट छह महीने के लिए बंद किए जाते हैं। - शीतकाल में बाबा केदार की पूजा कहाँ होती है?
ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में शीतकालीन पूजा की जाती है। - इस वर्ष के केदारनाथ यात्रा में कितने श्रद्धालु शामिल हुए?
जिलाधिकारी के अनुसार, इस वर्ष लाखों श्रद्धालु केदारनाथ पहुंचे जिससे यात्रा अत्यंत सफल रही। - कपाट बंद होने के मुख्य धार्मिक अनुष्ठान कौन से होते हैं?
विशेष पूजा, मंत्रोच्चारण, रुद्राभिषेक और डोली यात्रा प्रमुख अनुष्ठान हैं। - क्या कपाट खुलने की तिथि पहले से तय होती है?
हाँ, कपाट खुलने की तिथि महाशिवरात्रि के दिन घोषित की जाती है, जो अगले वर्ष अप्रैल या मई में होती है।
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