केरल 1 नवंबर को भारत का पहला ‘अत्यंत गरीबी-मुक्त’ राज्य घोषित किया जाएगा। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन द्वारा यह ऐलान राज्य स्थापना दिवस पर किया जाएगा, जो वैश्विक स्तर पर चीन के बाद दूसरी उपलब्धि है।
केरल बना भारत का पहला ‘एक्सट्रीम पॉवर्टी-फ्री’ राज्य, विश्व में चीन के बाद दूसरा
भारत का पहला ‘अत्यंत गरीबी-मुक्त’ राज्य बनेगा केरल, 1 नवंबर को होगा ऐतिहासिक ऐलान
भारत सामाजिक विकास की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर पार करने जा रहा है। केरल 1 नवंबर 2025 को अपने स्थापना दिवस के अवसर पर भारत का पहला ‘अत्यंत गरीबी-मुक्त’ राज्य घोषित होगा। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन तिरुवनंतपुरम के सेंट्रल स्टेडियम में यह ऐलान करेंगे।
यह घोषणा केरल को न केवल भारत में बल्कि वैश्विक मंच पर भी अलग पहचान दिलाएगी — क्योंकि यह चीन के बाद दुनिया का दूसरा “एक्सट्रीम पॉवर्टी-फ्री” क्षेत्र बनेगा।
कार्यक्रम और अतिथि
राज्य गठन दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में राज्य के सभी मंत्री, स्थानीय निकाय प्रतिनिधि, और फिल्म जगत की जानी-मानी हस्तियां कमल हासन, मोहनलाल और ममूटी उपस्थित रहेंगे। विपक्ष के नेता वी. डी. सतीसन को भी आमंत्रित किया गया है। समारोह की शुरुआत सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से होगी।
‘अत्यंत गरीबी-मुक्त’ का अर्थ क्या है
‘अत्यंत गरीबी’ उस स्थिति को कहा जाता है जब व्यक्ति अपनी मूल जरूरतें — भोजन, आवास, शिक्षा, कपड़ा और स्वास्थ्य — पूरी नहीं कर पाता।
- विश्व बैंक की परिभाषा के अनुसार: जो व्यक्ति प्रतिदिन $2.15 (लगभग ₹180) से कम पर जीवित रहता है, वह अत्यन्त गरीबी में है।
- भारत की परिभाषा: नीति आयोग का मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स (MPI) केवल आय को नहीं बल्कि पोषण, आवास, स्वच्छता, शिक्षा, व बुनियादी सेवाओं तक पहुंच को भी मापता है।
2023 के नीति आयोग की MPI रिपोर्ट के अनुसार, केरल में केवल 0.55% आबादी बहुआयामी गरीबी में थी। यह अनुपात भारत में सबसे कम था, इसके बाद गोवा (0.84%) और पुडुचेरी (0.85%) आते हैं।
कैसे हासिल की यह उपलब्धि
2021 में शुरू किया गया एक्सट्रीम पॉवर्टी उन्मूलन प्रोजेक्ट मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की दूसरी सरकार का एक प्रमुख अभियान था। इसका उद्देश्य था — हर ‘अत्यंत गरीब’ परिवार की व्यक्तिगत जरूरतों के अनुसार योजना बनाना।
मुख्य रणनीति:
- घरेलू सर्वेक्षण:
कुदुम्बश्री कार्यकर्ताओं, आशा हेल्थ वर्करों और स्थानीय प्रतिनिधियों ने पूरे राज्य में सर्वेक्षण चलाकर 64,006 परिवारों (1,30,009 व्यक्तियों) की पहचान की। - अनुकूल हस्तक्षेप:
हर परिवार की स्थिति के अनुसार अलग समाधान तैयार किए गए। जिने घर की आवश्यकता थी, उन्हें आवास उपलब्ध कराया गया; जिने रोजगार चाहिए था, उन्हें प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता दी गई। - समन्वित कार्रवाई:
मुख्यमंत्री कार्यालय के नेतृत्व में 10 से अधिक विभागों — जैसे आवास, स्वास्थ्य, परिवहन और राजस्व — के बीच समन्वय से योजनाएं लागू की गईं।
परियोजना की फंडिंग और प्रगति
- व्यय: FY 2023-24 में ₹80 करोड़ और FY 2024-25 में ₹50 करोड़ खर्च किए गए।
- फोकस: आवास निर्माण, चिकित्सा सहायता, आधारभूत सेवाएं और रोजगार अवसर।
- सत्यापन: अंतिम घोषणा से पहले सामाजिक ऑडिट और लोक-स्तर पर क्रॉस-वेरिफिकेशन किए गए।
मंत्री एम. बी. राजेश ने बताया कि विस्तृत जांच के बाद पता चला कि कुछ नाम अपडेट करने पड़े —
- 4,421 व्यक्ति दिवंगत हो चुके थे,
- 261 नामांकित परिवार मिल नहीं सके,
- 47 प्रविष्टियां डुप्लिकेट थीं।
अंततः 59,277 परिवारों को ‘अत्यंत गरीबी’ से बाहर उठाया गया।
‘केरल मॉडल’ की सीख
स्थानीय स्वशासन, सामुदायिक भागीदारी और महिला समूहों जैसे कुदुम्बश्री की भूमिका ने इस उपलब्धि को संभव बनाया। दुनिया के अन्य विकासशील देशों के लिए यह एक ‘केरल मॉडल ऑफ इन्क्लूसिव ग्रोथ’ का उदाहरण बन रहा है।
FAQs
- केरल को ‘अत्यंत गरीबी-मुक्त’ राज्य कब घोषित किया जाएगा?
1 नवंबर 2025 को, राज्य के स्थापना दिवस पर। - भारत में कितने लोग बहुआयामी गरीबी में हैं?
नीति आयोग के मुताबिक करीब 11% आबादी अभी भी गरीबी में है, जबकि केरल में यह मात्र 0.55% है। - केरल ने यह उपलब्धि कैसे हासिल की?
व्यक्तिगत परिवार योजनाओं, महिला स्वशासन, और केंद्रित सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों से। - कुदुम्बश्री की क्या भूमिका रही?
सर्वेक्षण और आर्थिक सशक्तिकरण में इन स्वयं सहायता समूहों की अहम भागीदारी रही। - क्या यह पहल आगे भी जारी रहेगी?
हाँ, राज्य सरकार ‘सामाजिक संरक्षण मिशन 2026’ के तहत गरीबी पुनरुत्थान की निगरानी जारी रखेगी।
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