Krishna Matsya Dwadashi 2025 16 दिसंबर को, तिथि 15 दिसंबर रात 9:19 बजे से 16 को रात 11:57 तक। मत्स्य अवतार पूजा से यज्ञ बराबर पुण्य। व्रत विधि, पारण समय (17 को सुबह 7:08-9:11), भविष्य पुराण कथा और लाभ जानिए।
Krishna Matsya Dwadashi 2025:16 दिसंबर को मत्स्य अवतार का पूजन, सटीक तिथि और व्रत विधि
दोस्तों, हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष मछली द्वादशी 2025 में मंगलवार, 16 दिसंबर को मनाई जाएगी। द्वादशी तिथि 15 दिसंबर रात 9:19 बजे शुरू होकर 16 दिसंबर रात 11:57 बजे समाप्त होगी। व्रत रखने वाले भक्त 17 दिसंबर सुबह 7:08 से 9:11 बजे के बीच पारण कर सकते हैं, हालांकि तिथि सूर्योदय से पहले 끝 हो जाती। ये व्रत भगवान विष्णु के प्रथम दशावतार मत्स्य भगवान को समर्पित है। भविष्य पुराण में कहा गया कि इस दिन पूजन से अनेक यज्ञों के बराबर पुण्य मिलता है। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, ये मार्गशीर्ष शुक्ल मछली द्वादशी के 15 दिन बाद आता है और सम्प्राप्ति द्वादशी व्रत का आरंभ बिंदु है.
मार्गशीर्ष विष्णु का प्रिय महीना माना जाता। मत्स्य द्वादशी पर व्रत से आर्थिक समृद्धि, आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की प्राप्ति होती। ICMR जैसी संस्थाओं की स्टडीज में व्रत से डिटॉक्सिफिकेशन और मेंटल पीस के वैज्ञानिक लाभ बताए गए। लाखों भक्त घरों में मत्स्य स्वरूप पूजा करते, मंदिरों में विशेष सजावट।
मत्स्य अवतार की पौराणिक कथा: सतयुग का महान चमत्कार
सतयुग में राजा वैवस्वत (मनु) नदी में स्नान कर रहे थे तभी छोटी मछली उनके हाथ लगी। मनु ने इसे बचाया तो मछली बोली, “मुझे बड़ा कमल के सरोवर में रखें।” धीरे-धीरे वो विशालकाय हो गई। प्रलय काल आया – समुद्र उफान पर। मत्स्य भगवान ने मनु को नाव बांधकर सभी बीज, सप्तऋषि और वेदों को बचाया। नौका को हिमालय से बांध खींचा। इस तरह सृष्टि पुनः रची। भागवत पुराण में वर्णित ये कथा मछली द्वादशी का आधार। विष्णु के दस अवतारों में पहला मत्स्य – धर्म रक्षा का प्रतीक। स्कंद पुराण कहता, पूजन से जल संबंधी दोष नष्ट.
आज भी मछली आकृति के पेड़े या चांदी की मछली दान करते।
कृष्ण मछली द्वादशी 2025: सटीक मुहूर्त और पंचांग विवरण
पंचांग के अनुसार:
- द्वादशी आरंभ: 15 दिसंबर 9:19 PM
- द्वादशी समाप्त: 16 दिसंबर 11:57 PM
- पारण समय: 17 दिसंबर 7:08 AM से 9:11 AM
- नक्षत्र: मूल या पूर्वाषाढ़ा (स्थान अनुसार)
- योग: सिद्धि या व्याघात
- सूर्योदय: 16 दिसंबर ~7:00 AM
उज्जैन/दिल्ली पंचांग मानक। दक्षिण भारत में तिथि ±1 दिन भिन्न हो सकती। ज्योतिष ऐप्स से लोकल चेक करें।
व्रत विधि स्टेप बाय स्टेप: घर पर आसान पूजन
- प्रातःकाल स्नान: गंगा जल छिड़काव।
- कलश स्थापना: मत्स्य स्वरूप चित्र/मूर्ति।
- पूजन सामग्री: हल्दी, कुमकुम, फूल, बेलपत्र, चंदन, मछली आकृति फल।
- मंत्र जाप: “ॐ मत्स्याय नमः” 108 बार। विष्णु सहस्रनाम।
- आरती: दीप प्रज्वलन, भोग (खीर, फल)।
- पारण: निर्धारित समय में फलाहार।
- दान: ब्राह्मण को चावल, दूध, मछली प्रतीक।
विधवा/कुंवारी फलाहार, पुरुष एक समय भोजन। भविष्य पुराण के अनुसार सम्प्राप्ति व्रत – हर कृष्ण द्वादशी से ज्येष्ठ तक।
मछली द्वादशी vs शुक्ल पक्ष: तुलना टेबल
| विशेषता | कृष्ण मछली द्वादशी (16 Dec) | शुक्ल मछली द्वादशी (शुरू Dec) |
|---|---|---|
| तिथि प्रारंभ | 15 Dec 9:19 PM | प्रारंभिक दिसंबर |
| महत्व | सम्प्राप्ति व्रत आरंभ | मुख्य पूजन |
| पुण्य | यज्ञ बराबर | अश्वमेध यज्ञ फल |
| पारण | 17 Dec सुबह | अगले दिन |
| कथा फोकस | मत्स्य प्रलय रक्षा | वैवस्वत मनु कथा |
लाभ और फल: पुराणिक वचन
भविष्य पुराण: “मत्स्य द्वादशी व्रत से संतान सुख, धन प्राप्ति, पाप नाश।” स्कंद पुराण: जल रोग नष्ट। आयुर्वेद में व्रत से डाइजेशन बूस्ट। आधुनिक स्टडीज (NIH) इंटरमिटेंट फास्टिंग से इम्यूनिटी। भक्त अनुभव: व्यापार उन्नति, पारिवारिक शांति।
सम्प्राप्ति द्वादशी चक्र: साल भर व्रत
कृष्ण मछली से शुरू – हर कृष्ण द्वादशी (ज्येष्ठ तक), फिर आषाढ़ से मार्गशीर्ष। 13-14 व्रत। पूर्ण चक्र से मोक्ष।
भारतीय संदर्भ: मंदिर और उत्सव
- उज्जैन महाकाल: विशेष पूजा।
- तिरुपति: मत्स्य अवतार सजावट।
- हरिद्वार: गंगा आरती।
सावधानियां
- गर्भवती सावधानी।
- चिकित्सक सलाह लें।
- शुद्धता मुख्य।
FAQs
1. कृष्ण मछली द्वादशी 2025 कब है?
16 दिसंबर। तिथि 15 को 9:19 PM से 16 को 11:57 PM तक.
2. पारण समय क्या?
17 दिसंबर 7:08 AM से 9:11 AM। तिथि सूर्योदय पूर्व समाप्त।
3. मत्स्य अवतार की कथा संक्षेप?
मनु ने मछली बचाई, प्रलय में वेद-ऋषि बचाए। सृष्टि पुनरावृत्ति।
4. व्रत में क्या खाएं?
फल, दूध, नट्स। पारण में सात्विक भोजन।
5. लाभ क्या मिलेंगे?
यज्ञ फल, धन-संतान, मोक्ष। सम्प्राप्ति चक्र से विशेष।
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