Home झारखण्ड कोयलांचल में भू – धंसान, गैस रिसाव होती रहीं हैं, उचित कार्रवाई नहीं हुई तो मुसीबत बढ़ सकती हैं – हरिपद रवानी
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कोयलांचल में भू – धंसान, गैस रिसाव होती रहीं हैं, उचित कार्रवाई नहीं हुई तो मुसीबत बढ़ सकती हैं – हरिपद रवानी

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धनबाद । देश की कोयला राजधानी कोयलांचल धनबाद में भू – धंसान एवं गैस रिसाव की घटना आम बात हो गई हैं और इससे प्रभावितों का दुःख दर्द वहीं समझ सकता हैं।जो स्वयं इससे प्रभावित हो।गोधर निवासी झारखंड आंदोलनकारी हरिपद रवानी स्वयं भी उन्हीं पीड़ितों में से एक हैं।जो भू – धंसान और गैस रिसाव से पीड़ित हैं।उन्होंने कहा कि गोधर रवानी बस्ती में 5 फरवरी 1999 को घटित घटना से 40 घरों की पीड़ा आज भी जाग उठती है।झरिया कोयलांचल में सन 1916 को आग लगी थी और आज 109 वर्ष हो रहा हैं। भारत सरकार ने ऊपरी सतह को बचाने और भूमिगत खदान से पूर्णरूपेण कोयला निकालने के लिए कुशल वैज्ञानिक व तकनीशियन के अथक प्रयास से 1961-1963 ई. को कोल बोर्ड द्वारा पुनरीक्षित प्रस्तावित रज्जुपथ का निर्माण हुआ,जो सफलीभूत भी रहा।किंतु दुष्ट,कुचरित्र,क्षुद्र,विचार लोगों की साजिश से बंद करवा दिया गया।उन्होंने कहा कि कोल बोर्ड रोपवे का निर्माण इसलिए हुआ था कि बालू भराई कर ऊपरी भाग को बचाया जा सके और आग पर नियंत्रण हो सके। इसके लिए रैयतों ने अपनी उपजाऊ जमीन दी और आज वहीं रैयत भू – धंसान,जमींदोज और गैस रिसाव की चपेट में है। गैस खाकर मृत्यु शैय्या में जा रहे है और प्रताड़ित हो रहे है। इस दौरान झरिया राजा शिव प्रसाद कॉलेज को भी नहीं बचाया जा सका। हमारे देश के महान विभूति राष्ट्रपति मिसाइलमैन निःस्वार्थ समाजसेवी,प्राध्यापक एपीजे अब्दुल कलाम आज भी टीवी में पढ़ते नजर आते,मन तरो ताजा हो जाता।वे भी सन 2000 को धनबाद दौरे में ऐना कोलियरी आए थे और निरीक्षण किये थे। वे यदि आज जीवित होते तो बहुत दुःखी होते। उन्होंने कोल इंडिया चेयरमैन बीसीसीएल को आग पर काबू पाने के लिए आगाह किया और कई दिशा निर्देश भी दिए थे।आज 25 वर्ष में आग पर नियंत्रण और भयावह रूप ले लिया हैं।ऐसे में इसे एक सोची समझी साजिश या जानबूझकर लापरवाही कही जा सकती हैं।यह एक प्राकृतिक आपदा हैं या सोची समझी साजिश अथवा मानवीय भूल।किसी भी आपदा घटना दुर्घटना से पहले सचेत रहने की आवश्यकता है, पर ऐसा नहीं हुआ।आज 109 वर्ष में जब दर्दनाक घटनाएं हो रही है। तब कोयला मंत्री,कोल सचिव,कोल इंडिया चेयरमैन मिनिरत्न कंपनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड,जेआरडीए धनबाद,डीजीएमएस,मानव संसाधन सबों की नीद खुली हैं और अपनी घड़ियाली आंसू बहा रही है। उनकी इस घड़ियाली आंसू से आग नहीं बुझेगी या गैस रिसाव नहीं थमेगी और न ही भू – धंसान रूकेगी।एक दिन ऐसा भी आएगा कि मौत के गाल से कोई नहीं बच पाएगा। कुछ ही दिन का इंतजार है।यह गैस रिसाव 3 दिसंबर 1984 भोपाल जैसी त्रासदी घटना को आमंत्रण दे रहा है। कोल इंडिया चैयरमैन, डीजीएमएस,सीएमडी अडानी जैसे बड़े – बड़े उधोगपति ट्रेड यूनियन को यहां की भूमि एवं रैयतों से कोई मतलब नहीं हैं।उनकी यहां तो जमीन नहीं हैं, लेकिन जमीन की दलाली में सर्वप्रथम मसीहा बने रहते हैं।
23 अगस्त 2018 को कोल सचिव इंद्रजीत सिंह ने दौरा किया। 17 दिसंबर 2022 को कोल सचिव अमृतलाल मीना का दौरा, 13 जुलाई 2023 को कोयला मंत्री प्रह्लाद वेंकटेश जोशी का दौरा, 25 जुलाई को कोयला मंत्री किशन रेड्डी का दौरा, 4 मई 2025 को कोयला खान राज्य मंत्री सतीश चन्द्र दुबे का दौरा हुआ। केंद्रीय कोयला सचिव विक्रम देवव्रत ने 27 व 28 नवंबर 2025 को समीक्षा बैठक में कहा कि ऊर्जा की जरूरत पूरी करने के लिए देश को कोकिंग कोल की आवश्यकता है।बीसीसीएल कोकिंग कोल का भंडार है।ऐसे में बीसीसीएल वाशरी पर फोकस करें। कोल का उत्पादन बढ़ाएं। अधिक से अधिक कोयला वाशरी को दें,ताकि कोकिंग कोल के उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ आयात शून्य हो सके। किंतु 109 वर्षों से जलता हुआ कोयलांचल और आम नागरिक जो हर रोज मरते – मरते जी रहे हैं।उनके प्रति किसी का ध्यान ही नहीं गया। सिर्फ कोल इंडिया के हित में ध्यान रहा है। उन्होंने कहा कि कोयला क्षेत्र में सबका मालिक एक मात्र चेयरमैन है,जो सिर्फ तालिबानी फरमान जारी करते है।इससे रैयत अपनी पूर्वजों की जमीन को छोड़कर नहीं भाग जाएंगे।आज रैयतों की भूमि असुरक्षित हैं और इसके राहत के उपाय नहीं किए गए हैं।वर्तमान में मंत्रियों, कोल इंडिया चेयरमैन और नेताओं के दौरे भू – धंसान की चर्चित घटनाएं है। वहीं केंदुआडीह राजपूत बस्ती में 21 जनवरी 1983 एवं 23 अक्टूबर 2020 और इसके पूर्व 26 सितंबर 1995 में केंदुआ झरिया रोड बीसीसीएल अस्पताल के निकट चौरसिया दंपत्ति जमीन के अंदर समा गए। इसका कुछ पता नहीं चला।इसी प्रकार गजलीटांड़ खान दुर्घटना में 65 कोयला श्रमिकों ने एक साथ जल समाधि ले ली। उन्होंने कहा कि 20 अगस्त 2010 को एरिया 6 में संचालित डेको कंपनी ने जलता हुआ कोयला डंप कर आग लगा दिया। ग्रामीणों के धरना प्रदर्शन के बाद बीसीसीएल प्रबंधन 254 करोड़ का आश्वासन दिया कि एनएच 32 और बस्ती बचाने का प्रयास करेंगे। 2017 में केंदुआ धनबाद मुख्य मार्ग से सटे कुर्मीडीह बस्ती में भू – धंसान की घटना हुई। वर्ष 2021 में गनसाडीह 3 नंबर बस्ती में हुई भू – धंसान में उमेश पासवान गोफ में समा गए।जिसकी मौत इलाज के दौरान हो गई। 21 अगस्त 2023 को कुसुंडा केडीएस साइडिंग से कुछ दूरी पर गोधर 6 नंबर अग्नि प्रभावित क्षेत्र में रह रहे मजदूर विनोद विश्वकर्मा के वाशरूम में लगभग साढ़े चार फीट के दायरे में गहरा भू – धंसान हो गया।जहां आज भी आस पास में आग की लपटें बरकरार है।जिसे बुझाने का कोई प्रयास नहीं हो रहा है। जिससे वर्तमान में भी लगी आग लहलहाती दिख रही है।उन्होंने कहा कि एरिया 6 के तत्कालीन महाप्रबंधक वीके गोयल को भी आग की सूचना दी गई थी कि डीएवी स्कूल के आगे लहलहाती आग दिख रही है।यदि उसे तत्काल बालू पानी देकर आग पर काबू पाने से डीएवी स्कूल में 2500 की संख्यां में छात्र छात्राएं व शिक्षक शिक्षिकाओं को राहत मिल सकती है।परंतु प्रबंधन दो चार गाड़ी बालू गिराकर फर्ज निभाई और खानापूर्ति हो गया।जहां वर्तमान में भी गैस रिसाव जारी है। उन्होंने कहा कि इसी तुगलकी फरमान के चलते 27 अप्रैल 2011 में मटकुरिया गोलीकांड हुआ। जिसमें बीसीसीएल को 40 करोड़ की क्षति हुई,36 लाख के पुलिस वज्र वाहन जला दिए गए, गोधर कुसुंडा कार्यालय जला,चार निर्दोष व्यक्तियों की मौत हुई, तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आरके धान घायल हुए,कर्फ्यू लगा,फिर भी कोयलांचल की भूमि सुधार नहीं हुई।आज भी झरिया कोयलांचल सुरक्षित नहीं है। आग प्रभावित सभी इलाकों में सभी वर्ग के लोग त्राहिमाम कर रहे है। वहीं हाल के दिनों में 3 दिसंबर 2025 से लगातार केंदुआडीह राजपूत बस्ती,मस्जिद मुहल्ला,इमामबाड़ा, नया धौड़ा के गैस रिसाव में कोई सुधार नहीं दिख रही है। यदि समय रहते उचित कार्रवाई नहीं हुई तो मुसीबत बढ़ सकती है।

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