Home देश सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल सुधार कानून 2021 रद्द किया, केंद्र सरकार की आलोचना
देश

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल सुधार कानून 2021 रद्द किया, केंद्र सरकार की आलोचना

Share
Supreme Court Upholds Judicial Independence, Strikes Down Tribunal Laws
Share

सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट 2021 को असंवैधानिक करार दिया और केंद्र सरकार की पूर्व न्यायिक निर्देशों में देरी पर खेद जताया।

ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट 2021 पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, जनहित में न्यायिक स्वतंत्रता मजबूत

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट 2021 को असंवैधानिक घोषित करते हुए केंद्र सरकार की कड़ी आलोचना की। न्यायपालिका ने कहा कि संसद ने पहले के फैसलों में उठाए गए मुद्दों को सही किए बिना इस अधिनियम को दोबारा लागू किया, जो न्यायिक स्वतंत्रता और शक्ति पृथक्करण के सिद्धांतों का उल्लंघन है।

न्यायिक और विधायी मुद्दे

मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की बेंच ने की। मद्रास बार एसोसिएशन द्वारा 2021 में दायर याचिका में कहा गया था कि ट्रिब्यूनल सदस्यों के लिए कम से कम पांच वर्ष का कार्यकाल और दस वर्ष के अनुभवी अधिवक्ताओं की पात्रता तय होनी चाहिए। लेकिन 2021 के कानून में कार्यकाल चार वर्ष कर दिया गया और उम्र की न्यूनतम सीमा पचास वर्ष रखी गई।

कोर्ट का आदेश और प्रतिक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ट्रिब्यूनल सदस्यों की स्वतंत्रता और उनके कार्यकाल की सुरक्षा महत्वपूर्ण हैं। इस फैसले के बाद पूर्व मद्रास बार एसोसिएशन के फैसले लागू रहेंगे जब तक संसद नया कानून नहीं बनाती। साथ ही केंद्र सरकार को चार महीनों के भीतर एक राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल आयोग बनाने का आदेश दिया गया है।

सदस्यों की उम्र और कार्यकाल का प्रावधान

आयुक्तों के कार्यकाल और उम्र सीमा पर कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि ITAT सदस्यों को 62 वर्ष तक और अध्यक्ष को 65 वर्ष तक सेवा देने का प्रावधान रहेगा। इसी तरह CESTAT में भी ऐसी व्यवस्था लागू होगी। 2021 से पहले किए गए सभी नियुक्तियों को पुराने नियमों के तहत ही लागू किया जाएगा।


FAQs:

  1. ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों असंवैधानिक माना?
    उत्तर: क्योंकि यह न्यायिक स्वतंत्रता और चयन प्रक्रिया से जुड़े महत्वपूर्ण मानदंडों का उल्लंघन करता है।
  2. कायदे के तहत ट्रिब्यूनल सदस्यों की न्यूनतम सेवा अवधि क्या होनी चाहिए?
    उत्तर: कम से कम पांच साल की सेवा अवधि होनी चाहिए।
  3. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को क्या आदेश दिया है?
    उत्तर: चार महीने के भीतर एक राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल आयोग बनाने का आदेश।
  4. सदस्य की न्यूनतम उम्र सीमा क्या है?
    उत्तर: न्यूनतम 50 वर्ष।
  5. क्या 2021 से पहले की नियुक्तियां पुराने नियमों के तहत लागू रहेंगी?
    उत्तर: हां, वे पूर्व नियमों के अंतर्गत लागू रहेंगी।
Share

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के रिकॉर्ड 10वें कार्यकाल की शुरुआत कल

नितीश कुमार कल पटना के गांधी मैदान में बिहार के मुख्यमंत्री के...

आंध्र प्रदेश मरेडुमिली में पुलिस एनकाउंटर में सात माओवादी मरे

आंध्र प्रदेश के मरेडुमिली में पुलिस एनकाउंटर में सात माओवादी मारे गए,...

AIMIM प्रमुख ओवैसी का बयान: आत्मघाती बमबारी आतंकवाद है, इसे शहादत नहीं कहा जा सकता

AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी ने डॉ उमर के आत्मघाती बम विस्फोट को...

भारत को नहीं चाहिए आधिकारिक हिंदू राष्ट्र के लिए घोषणा: मोहन भागवत

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बताया कि भारत को आधिकारिक हिंदू राष्ट्र...