Indiana के एक वकील Mark Zuckerberg ने Meta के खिलाफ मुकदमा किया है, क्योंकि Facebook ने उनकी पहचान गलती से CEO के तौर पर करते हुए बार-बार उनके अकाउंट सस्पेंड कर दिए।
Mark Zuckerberg vs Meta: Indiana के वकील और फेसबुक के गलती से अकाउंट सस्पेंशन पर बड़ी लड़ाई
इस कहानी में Meta के CEO Mark Zuckerberg से अलग, Indiana के एक बैंक्रप्सी लॉयर Mark Zuckerberg का जिक्र है, जिनके साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की अनजानी गलतियों के कारण कई बार अकाउंट सस्पेंड होने की समस्या आई। कई बार Meta ने उन्हें CEO के रूप में भ्रमित कर उनकी व्यक्तिगत और व्यावसायिक Facebook प्रोफाइल को डिएक्टिवेट कर दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
- पिछले आठ वर्षों में उनके व्यवसायिक और व्यक्तिगत दोनों अकाउंट्स कई बार सस्पेंड हो चुके हैं।
- उन्होंने अपनी पहचान साबित की, लेकिन फिर भी Facebook ने उन्हें बार-बार पहचान न कर पाने की वजह से प्रतिबंधित किया।
- इससे उनके व्यापार में बाधा आई, हजारों डॉलर के विज्ञापन खर्च का नुकसान हुआ और उनके क्लाइंट्स के साथ संपर्क में दिक्कतें आईं।
मुकदमे की मुख्य मांगें
- उनके अकाउंट्स की पुनर्स्थापना।
- खोए हुए विज्ञापन खर्च की भरपाई।
- कानूनी खर्चों का भुगतान।
- Meta की लापरवाही और कॉन्ट्रैक्ट उल्लंघन का हवाला।
सोशल मीडिया और जनता की प्रतिक्रिया
- इस मामले ने सोशल मीडिया पर हल्की-फुल्की हंसी और गहरी चिंता दोनों को जन्म दिया।
- ऑनलाइन पहचान की जटिलता और बड़ी कंपनियों की ऑटोमेटेड मॉडरेशन पद्धति पर सवाल खड़े हुए।
- सार्वजनिक चर्चाओं में नाम साझा करने के नकारात्मक पहलू भी उजागर हुए।
FAQs:
- Indiana के Mark Zuckerberg और Meta के CEO में क्या फर्क है?
- अकाउंट सस्पेंशन की वजह क्या थी और क्या यह गलती थी?
- Meta के खिलाफ दिया गया मुकदमा क्या है?
- इस मामले ने सोशल मीडिया की पहचान प्रणाली पर क्या सवाल उठाए?
- क्या इस मुद्दे ने ऑनलाइन पहचान की सुरक्षा को प्रभावी बनाया?
- उन्होंने अपने खोए हुए विज्ञापन खर्च की भरपाई कैसे मांगी?
- इस केस से सोशल मीडिया कंपनियों को क्या सबक मिलेगा?
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