कांग्रेस ने अरावली रिडेफिनिशन पर केंद्र को घेरा: 100 मीटर से ऊंचे पहाड़ ही सुरक्षित, 90% माइनिंग-रियल एस्टेट के लिए खुले। PM की ग्लोबल टॉक लोकल वॉक से मेल नहीं। FSI डेटा से 8.7% ही 100m+। पर्यावरण कानून कमजोर!
PM की ग्लोबल टॉक vs लोकल वॉक: अरावली रिडेफिनिशन से इको सिस्टम खतरे में!
अरावली रिडेफिनिशन विवाद: कांग्रेस का केंद्र पर तीखा हमला, 90% पहाड़ असुरक्षित
25 दिसंबर 2025 को कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी जयराम रमेश ने X पर अरावली पहाड़ियों के रिडेफिनिशन पर केंद्र सरकार को घेरा। बोले, ‘मोदी सरकार सिर्फ 100 मीटर ऊंचाई वाले अरावली पहाड़ बचाएगी। FSI के authoritative डेटा से सिर्फ 8.7% ही 100 मीटर से ऊपर। यानी 90%+ पहाड़ बिना सुरक्षा के रह जाएंगे – माइनिंग, रियल एस्टेट और दूसरे डैमेजिंग एक्टिविटीज के लिए खुले।’ पूर्व पर्यावरण मंत्री ने इसे इकोलॉजिकल बैलेंस पर ‘डिटर्मिन्ड असॉल्ट’ बताया।
नई डेफिनिशन: ‘अरावली हिल’ वो लैंडफॉर्म जहां लोकल सराउंडिंग से 100 मीटर ऊंचाई हो। ‘अरावली रेंज’ दो या ज्यादा ऐसे हिल्स 500 मीटर के दायरे में। रमेश बोले, ‘ये प्लेन ट्रूथ छिप नहीं सकती। PM की ग्लोबल टॉक और लोकल वॉक में पर्यावरण पर कोई कनेक्शन नहीं।’ सरकार पर पॉल्यूशन स्टैंडर्ड्स ढीले करने, एनवायरनमेंट-फॉरेस्ट लॉ कमजोर करने, NGT जैसी संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप।
अरावली डेफिनिशन: तुलना तालिका
| विशेषता | पुरानी परिभाषा | नई रिडेफिनिशन (2025) |
|---|---|---|
| हिल हाइट | अस्पष्ट | 100m+ लोकल से |
| रेंज | क्लस्टर | 500m दायरा |
| सुरक्षा % | व्यापक | सिर्फ 8.7% (FSI डेटा) |
| खतरा | सीमित | 90%+ माइनिंग ओपन |
| प्रभाव | इको बैलेंस | रियल एस्टेट बूस्ट |
केंद्र का जवाब: माइनिंग बैन डायरेक्टिव
विवाद के बाद 24 दिसंबर को पर्यावरण मंत्रालय ने स्टेट्स को अरावली रेंज में न्यू माइनिंग लीज़ पर कम्पलीट बैन का डायरेक्टिव दिया। ICFRE को अतिरिक्त एरियाज आइडेंटिफाई करने को कहा जहां माइनिंग प्रोहिबिट हो। लेकिन कांग्रेस का कहना – रिडेफिनिशन पहले हो चुका, बैन सिर्फ दिखावा। FSI डेटा से साबित 91.3% पहाड़ अब असुरक्षित।
अरावली का महत्व: इको सिस्टम का फेफड़ा
अरावली भारत का सबसे पुराना माउंटेन रेंज – गुजरात से दिल्ली तक 1100 किमी। वाटर शेड, वाइल्डलाइफ कॉरिडोर, दिल्ली-NCR का पॉल्यूशन शील्ड। माइनिंग से 80% डिस्ट्रॉय हो चुका। रमेश बोले, ‘रैवेज्ड इकोसिस्टम को और डैमेज।’ हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, UP में प्रभाव।
कांग्रेस के अन्य आरोप
- पॉल्यूशन नॉर्म्स ढीले
- एनवायरनमेंट लॉ वीकनिंग
- NGT इंस्टीट्यूशनल एमास्कुलेशन
- फॉरेस्ट लॉ कमजोरी
रमेश: ‘मोदी सरकार का डिटर्मिन्ड असॉल्ट इकोलॉजिकल बैलेंस पर।’
FSI डेटा विश्लेषण
फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया का authoritative डेटा: सिर्फ 8.7% अरावली हिल्स 100 मीटर से ऊपर। बाकी 91.3% नई डेफिनिशन से बाहर। माइनिंग कंपनियों को फायदा। रियल एस्टेट डेवलपर्स खुश। लेकिन दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स 400+ रहता।
राजनीतिक बैकग्राउंड
जयराम रमेश पूर्व एनवायरनमेंट मिनिस्टर। अरावली सुप्रीम कोर्ट के अंडर मॉनिटर। 2022 में SC ने माइनिंग बैन लगाया था। मोदी सरकार पर ग्रीनवॉशिंग आरोप। COP30 से पहले इश्यू हॉट।
राज्यों पर असर
- हरियाणा: गुरुग्राम-फरीदाबाद माइनिंग
- राजस्थान: उदयपुर, अलवर इलाके
- गुजरात: अहमदाबाद के पास
- दिल्ली: साउथ दिल्ली ग्रीन बेल्ट खतरा
स्टेट्स को बैन फॉलो करना होगा।
भविष्य का खतरा
रमेश चेतावनी: रैवेज्ड इकोसिस्टम और बर्बाद। ग्लोबल क्लाइमेट टॉकीज में PM का पोज, लेकिन लोकल पॉलिसी डिस्ट्रक्टिव। सुप्रीम कोर्ट इंटरवेंशन संभव।
5 FAQs
- अरावली रिडेफिनिशन क्या है?
100m+ ऊंचाई वाले ही हिल, 500m में क्लस्टर रेंज। - कितने % अरावली सुरक्षित?
सिर्फ 8.7% (FSI डेटा), 90%+ असुरक्षित। - कांग्रेस का मुख्य आरोप?
PM ग्लोबल टॉक vs लोकल वॉक, इको असॉल्ट। - केंद्र ने क्या किया?
माइनिंग बैन डायरेक्टिव, ICFRE को एरिया चिन्हित। - अरावली का महत्व?
वाटर शेड, वाइल्डलाइफ, पॉल्यूशन बैरियर।
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