RSS प्रमुख मोहन भागवत ने भारत को ‘विश्वगुरु’ बताया और धर्म के पालन व कर्तव्यों पर जोर दिया।
हम भारत के लोग हैं, हिंदू समाज और हिंदू राष्ट्र हैं, धर्म का पालन जरूरी: RSS प्रमुख मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को लखनऊ में आयोजित ‘दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव’ में कहा कि “हम भारत के लोग हैं, हिंदू समाज और हिंदू राष्ट्र हैं।” उन्होंने कहा कि हमें “धर्म का पालन करना है, अपने कर्तव्य पूरे करने हैं, और बलिदान तथा सेवा का संदेश दुनिया तक पहुंचाना है।” भागवत ने भगवद गीता की 700 श्लोकों को सभी ज्ञान का सार बताया, जो प्रत्येक परिस्थिति में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा, “गीता को उसके मूल रूप में पढ़ने और पूर्ण रूप से समझने पर सभी बातें स्पष्ट हो जाती हैं। हर बार, गीता में नई और वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप सीख मिलती है।” यह गीता जीवन के हर पहलू के लिए एक मार्गदर्शक है।
भागवत ने भारत के गौरवशाली इतिहास को याद करते हुए कहा कि देश कभी विश्वगुरु था, लेकिन आक्रमणकारियों और दासत्व के कारण वह दकियानूसी दौर से गुजरा। उन्होंने कहा, “वह समय अब समाप्त हो चुका है और अब हम राम मंदिर के शीर्ष पर ध्वज फहराने जा रहे हैं।” यह परंपरा और भारतीय सभ्यता की महानता को दर्शाता है कि भारत आज भी वही भारत है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की सभ्यता और संस्कृति ने कभी किसी पर श्रेष्ठता का दावा नहीं किया और न ही अपनी पूजा पद्धतियों को जबरदस्ती थोपने की कोशिश की। भागवत ने “‘जियो और जीने दो’ और ‘वसुधैव कुटुम्बकम'” जैसे संदेशों को भारत की विश्व के प्रति सौहार्दपूर्ण सोच के रूप में प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि महाभारत के विभिन्न संस्करण कई जगहों पर मिलते हैं, लेकिन समाधान गीता में निहित है। पूर्व आईएएस अधिकारी मणि प्रसाद मिश्रा ने पूरे उत्तर प्रदेश में गीता के समन्वित पाठ कार्यक्रमों की घोषणा की।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:
- मोहन भागवत ने भारत को क्या कहा?
उन्होंने भारत को “विश्वगुरु” बताया और धर्म पालन पर जोर दिया। - भागवत ने भगवद गीता के बारे में क्या कहा?
“गीता के 700 श्लोकों” में सारा ज्ञान निहित है जो हर परिस्थिति के लिए मार्ग दिखाता है। - राम मंदिर का क्या महत्व बताया गया?
ध्वज फहराना भारत की महानता और सभ्यता का प्रतीक है। - भारत की सभ्यता के कौन से संदेश बताए गए?
“‘जियो और जीने दो’ और ‘वसुधैव कुटुम्बकम'”। - दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव में क्या आयोजन हुए?
पूरे प्रदेश में गीता पाठ और शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार।
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