RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा RSS को BJP चश्मे से देखना बड़ी भूल। कोलकाता शताब्दी समारोह में समाज संगठन पर जोर, हिंदू एकता, बाबरी मस्जिद राजनीति का विरोध। हिंदू गुण है, मुसलमान राष्ट्र का हिस्सा!
‘हिंदू गुण है, नाम नहीं’: भागवत ने RSS की असली पहचान बताई, राजनीति से दूर!
मोहन भागवत का ऐतिहासिक बयान: RSS को BJP के चश्मे से देखना बड़ी भूल
21 दिसंबर 2025 को कोलकाता में RSS की शताब्दी समारोह के दौरान सरसंघचालक मोहन भागवत ने साफ कहा कि RSS को सिर्फ BJP के नजरिए से समझना बड़ी भूल है। संगठन का लक्ष्य समाज का संगठन है, न कि राजनीतिक एजेंडा। कुछ स्वयंसेवक राजनीति में जाते हैं, लेकिन RSS खुद राजनीतिक नहीं। लोगों से अपील की कि फैक्ट्स पर आधारित समझ बनाएं, न कि सेकेंडरी नैरेटिव्स या BJP तुलना से।
भगवत ने RSS को सर्विस ऑर्गनाइजेशन या राजनीतिक पार्टी से जोड़ने के सरलीकरण पर चेतावनी दी। ये गलतफहमियां पैदा करता। शताब्दी भर का काम सोशल-कल्चरल मोबिलाइजेशन। स्वयंसेवक राजनीति, सोशल सर्विस समेत हर फील्ड में, लेकिन फाउंडेशनल मिशन अलग। BJP को आइडियोलॉजिकल सोर्स मानने के बीच ये स्टेटमेंट RSS-BJP रिलेशंस पर डिबेट क्लियर करता।
RSS का मूल उद्देश्य: समाज संगठन
भगवत बोले, ‘समाज को संगठित करना है, समाज में अलग संगठन नहीं बनाना।’ हिंदू समाज की एकता पर जोर। ‘हिंदू नाम नहीं, गुण है। मातृभूमि का सम्मान करने वाले हिंदू। भाषा, रीति, वेशभूषा, भोजन अलग हो सकता।’ मुसलमानों से कहा कि पूजा अलग, लेकिन राष्ट्र, संस्कृति, समाज में एक। ये इनक्लूसिव अप्रोच।
बाबरी मस्जिद पर तीखा विरोध
भगवत ने प्रस्तावित बाबरी मस्जिद निर्माण को राजनीतिक साजिश बताया। ‘न मुसलमानों के हित में, न हिंदुओं के। वोटों के लिए।’ सरकार को मंदिर-मस्जिद निर्माण से दूर रहना चाहिए। ये विवादास्पद स्टैंड RSS की निष्पक्षता दिखाता।
5 FAQs
- भागवत ने RSS को BJP से क्यों अलग बताया?
RSS समाज संगठन है, राजनीतिक नहीं। BJP चश्मा गलतफहमी पैदा करता। - हिंदू को कैसे परिभाषित किया?
मातृभूमि सम्मान करने वाला गुण, नाम नहीं। - बाबरी मस्जिद निर्माण पर क्या कहा?
राजनीतिक साजिश, वोटों के लिए। न हिंदू न मुस्लिम हित। - RSS का मुख्य लक्ष्य क्या?
समाज संगठन, हिंदू एकता, सांस्कृतिक एकीकरण। - कोलकाता स्पीच कब हुई?
RSS शताब्दी समारोह में, 21 दिसंबर 2025।
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