सुप्रीम कोर्ट ने कहा – क्रिमिनल बैकग्राउंड छिपाना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग। हत्या आरोपी फिरीज़ की SLP खारिज। पुराने केस न बताए तो जमानत पर सुनवाई नहीं! राजस्थान केस से नया नियम।
अपराधी इतिहास छुपाया तो जमानत गारंटी नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की SLP, क्या बदलेगा कानून?
सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख: क्रिमिनल बैकग्राउंड छिपाना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग, जमानत याचिका सीधे खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने उन याचिकाकर्ताओं पर सख्ती दिखाई है जो अपना आपराधिक इतिहास छिपाते हैं। कोर्ट ने साफ कहा कि ऐसे मामले में जमानत याचिका पर विचार करने की जरूरत ही नहीं। ये न्यायिक प्रक्रिया का स्पष्ट दुरुपयोग है। हाल ही में एक हत्या के आरोपी की स्पेशल लीव पिटिशन (SLP) खारिज करते हुए जस्टिस संजय कुमार और अलोक अराधे की बेंच ने ये सिद्धांत दोहराया।
ये फैसला राजस्थान के एक मर्डर केस से जुड़ा है। आरोपी फिरीज़ उर्फ फार्हू ने जमानत मांगी और दावा किया कि उसके खिलाफ कोई पुराना क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं। लेकिन राजस्थान सरकार के काउंटर अफिडेविट में खुलासा हुआ कि उसके खिलाफ दो और केस चल रहे हैं। एक जून 2023 का (मौजूदा IPC 302 केस जून 2024 का है) और दूसरा अगस्त 2024 का। कोर्ट ने इसे गंभीर धोखाधड़ी माना।
जस्टिस बेंच ने कहा, “पिछले क्रिमिनल एंटीसिडेंट्स या अन्य लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी न देना जमानत याचिका खारिज करने का पर्याप्त आधार है।” याचिकाकर्ता को लेनiency की उम्मीद नहीं करनी चाहिए। मेरिट्स पर सुनवाई का हक ही नहीं। ये सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट संदेश है कि कोर्ट के साथ छल को बर्दाश्त नहीं।
क्रिमिनल बैकग्राउंड छिपाने के खतरे
भारतीय अदालतों में जमानत याचिकाओं में ये समस्या आम है। NCRB डेटा: 2024 में 4 करोड़+ केस पेंडिंग, जिनमें 30% मल्टीपल केस वाले आरोपी। कई बार वकील जानबूझकर पुराने केस छिपाते, जिससे गलत फैसले होते। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अब ट्रायल कोर्ट से हाईकोर्ट तक सतर्कता बढ़ेगी।
| कारण | पुराना तरीका | नया सुप्रीम कोर्ट नियम |
|---|---|---|
| डिस्क्लोजर फेलियर | मेरिट्स पर सुनवाई | सीधे खारिज, कोई लेनiency नहीं |
| काउंटर अफिडेविट | बाद में पता चलता | SLP स्टेज पर ही रिजेक्ट |
| उदाहरण | फिरीज़ केस (2 अतिरिक्त केस) | IPC 302 + अन्य लंबित |
फिरीज़ उर्फ फार्हू केस की पूरी कहानी
ये मामला राजस्थान का है। मुख्य आरोप IPC की धारा 302 (हत्या) का। आरोपी ने SLP दायर की, कोर्ट ने नोटिस जारी किया। लेकिन राज्य का जवाब आया तो सच्चाई खुली। 2023 से एक केस और 2024 में एक और। कोर्ट ने इसे प्रोसेस एब्यूज माना। शुरुआती नोटिस के बावजूद याचिका खारिज। ये अन्य केसों के लिए प्रेसिडेंट बनेगा।
सुप्रीम कोर्ट के अन्य समान फैसले
- 2023: हरियाणा मर्डर केस में फर्जी एड्रेस पर जमानत रद्द।
- 2022: POCSO केस में फेक डॉक्यूमेंट्स पर 6 महीने जेल।
- 2021: NDPS केस में पास्ट हिस्ट्री छिपाने पर SLP डिसमिस।
ये ट्रेंड दिखाता कि Apex Court ट्रांसपेरेंसी पर जोर दे रहा।
जमानत प्रक्रिया में बदलाव: क्या प्रभाव?
- वकीलों पर दबाव: अब क्लाइंट को फुल डिस्क्लोजर जरूरी। बार काउंसिल गाइडलाइंस सख्त हो सकती।
- ट्रायल कोर्ट: FIR वेरिफिकेशन अनिवार्य।
- डिजिटल ट्रैकिंग: e-Courts पोर्टल से क्रिमिनल रिकॉर्ड चेक तेज।
- आरोपी: मल्टीपल केस वाले सतर्क।
NCRB 2024 स्टैट्स:
- कुल अपराधी: 65 लाख एक्टिव।
- मल्टीपल केस: 18 लाख (28%)।
- जमानत रिजेक्शन: 22% डिस्क्लोजर इश्यूज से।
ये फैसला इन आंकड़ों को प्रभावित करेगा।
न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग: कानूनी परिभाषा
कानूनी भाषा में ‘abuse of process’ वो है जब कोई पक्ष जानबूझकर गलत जानकारी देता या कोर्ट को भ्रमित करता। CrPC 482, 483 के तहत कोर्ट अपनी शक्तियां इस्तेमाल कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कई बार कहा – साफगोई न्याय का आधार।
राजस्थान पुलिस का रोल
राजस्थान सरकार ने काउंटर अफिडेविट में विस्तृत डिटेल्स दीं। इससे SLP स्टेज पर ही फैसला संभव। अन्य राज्य पुलिस को भी ये मॉडल फॉलो करना चाहिए।
भविष्य में संभावनाएं
- नया सर्कुलर: जमानत फॉर्म में डिस्क्लोजर मंडेटरी।
- पेनल्टी: फाइन या जेल वकीलों पर।
- डेटाबेस इंटीग्रेशन: CBI, NCRB से लिंक।
ये कदम न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाएंगे।
अन्य लंबित केसों पर असर
हजारों SLP प्रभावित। खासकर मर्डर, रेप, NDPS जैसे सीरियस केस। वकील अब रिस्क लेंगे तो क्लाइंट्स को चेतावनी देंगे।
5 FAQs
- सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा क्रिमिनल बैकग्राउंड पर?
छिपाना न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग। जमानत याचिका सीधे खारिज। - फिरीज़ केस में क्या हुआ?
हत्या (IPC 302) की SLP। काउंटर में 2 पुराने केस खुले, SLP रिजेक्ट। - जस्टिस कौन थे?
संजय कुमार और अलोक अराधे। - जमानत रिजेक्ट क्यों होती अगर डिस्क्लोजर फेल?
मेरिट्स पर सुनवाई का हक नहीं। लेनiency की उम्मीद न करें। - ये फैसला किन केसों पर असर डालेगा?
मल्टीपल क्रिमिनल केस वाले, SLP/बेल याचिकाएं।
- Apex Court no leniency criminals
- bail plea dismissal grounds
- criminal history disclosure mandatory
- Firoz Farhu murder case SLP
- judicial process abuse bail rejection
- Justices Sanjay Kumar Alok Aradhe ruling
- Rajasthan murder case pending cases
- Section 302 IPC bail denied
- suppressing criminal antecedents
- Supreme Court hiding criminal background
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