मुंबई 26/11 हमले के दौरान देश की सेवा करने वाले एक Ex-NSG Commando को नारकोटिक्स विभाग ने 200 किलो गांजा के साथ गिरफ्तार किया है।
26/11 के हीरो से ड्रग किंगपिन बना Ex-NSG Commando
26/11 के हीरो से ड्रग किंगपिन बना एनएसजी कमांडो Bajrang Singh, 200 किलो गांजा के साथ हुआ गिरफ्तार
साल 2008, मुंबई में आतंकवादी हमले हो रहे हैं और देश का सबसे एलीट स्पेशल फोर्स, नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) यानी ब्लैक कैट कमांडो, होटल ताज में घुसकर आतंकवादियों से मुकाबला कर रहा है। उन्हीं कमांडो में से एक थे, जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली। लेकिन आज, 16 साल बाद, उसी जांबाज का सामना एक अलग युद्ध से हो रहा है – कानून से।
हरियाणा पुलिस के नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने एक बड़ी कार्रवाई में एक पूर्व एनएसजी कमांडो को गिरफ्तार किया है। हैरानी की बात यह है कि उन पर 200 किलोग्राम गांजा (cannabis) की तस्करी करने का आरोप है। यह मामला सुरक्षा बलों और पूर्व सैन्यकर्मियों के पुनर्वास से जुड़े गंभीर सवाल खड़े करता है।
क्या है पूरा मामला? गिरफ्तारी की पूरी कहानी
हरियाणा पुलिस के नारकोटिक्स विभाग को एक गुप्त सूचना मिली कि एक बड़ी मात्रा में नशीला पदार्थ (गांजा) तस्करी के जरिए एक राज्य से दूसरे राज्य में पहुंचाया जाना है। इस सूचना के आधार पर, पुलिस ने एक विशेष ऑपरेशन चलाया।
ऑपरेशन के दौरान, पुलिस ने एक शक के घेरे में आए वाहन को रोका। जब वाहन की तलाशी ली गई, तो उसमें से 200 किलोग्राम से ज्यादा गांजा बरामद हुआ। इस वाहन को चला रहे व्यक्ति की पहचान जब की गई, तो पता चला कि वह एक पूर्व एनएसजी कमांडो Bajrang Singh है, जिसने 2008 के मुंबई हमलों (26/11) के दौरान देश की सेवा की थी।
आरोप है कि यह पूर्व कमांडो अब एक ड्रग तस्करी नेटवर्क का हिस्सा बन चुका था और बड़े पैमाने पर गांजा की सप्लाई कर रहा था। उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) के तहत मामला दर्ज किया गया।
एक हीरो का सफर: एनएसजी कमांडो से ‘ड्रग किंगपिन’ तक
यह मामला इसलिए भी चौंकाने वाला है क्योंकि आरोपी का अतीत बेहद गौरवमय रहा है।
- 26/11 ऑपरेशन में भूमिका: इस कमांडो ने NSG की टीम के सदस्य के रूप में मुंबई के होटल ताज में हुए आतंकवादी हमले के दौरान ऑपरेशन में हिस्सा लिया था। यह ऑपरेशन देश के इतिहास के सबसे चुनौतीपूर्ण और संवेदनशील ऑपरेशन्स में से एक माना जाता है।
- ब्लैक कैट कमांडो: NSG कमांडो को दुनिया के सबसे बेहतरीन स्पेशल फोर्सेज में से एक माना जाता है। इसमें चयनित होने के लिए अत्यधिक शारीरिक और मानसिक क्षमता की जरूरत होती है।
- सेवानिवृत्ति के बाद का सफर: रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह कमांडो कुछ साल पहले ही सेवानिवृत्त हुआ था। सेवानिवृत्ति के बाद उसने क्या किया और कैसे वह ड्रग तस्करी के जाल में फंस गया, इस बात की जांच की जा रही है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह मामला? सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं
यह मामला कई गंभीर मुद्दों को उजागर करता है:
- पूर्व सैनिकों का पुनर्वास: यह मामला एक बार फिर उस चुनौती की ओर इशारा करता है जिसका सामना हमारे सैनिक और सुरक्षा बलों के जवान सेवानिवृत्ति के बाद करते हैं। नौकरी के बाद उन्हें सही रोजगार और मानसिक सहारा न मिल पाना एक बड़ी समस्या है।
- सुरक्षा जोखिम: एक पूर्व एलीट कमांडो का अपराध की दुनिया में शामिल होना एक गंभीर सुरक्षा जोखिम है। उन्हें प्राप्त विशेष प्रशिक्षण और जानकारी का दुरुपयोग होने का खतरा बना रहता है।
- समाज पर प्रभाव: जब एक हीरो जिसे समाज सलाम करता है, वही गलत रास्ते पर चल पड़े, तो इससे आम जनता का विश्वास टूटता है और युवाओं के लिए एक गलत संदेश जाता है।
- ड्रग तस्करी का बढ़ता नेटवर्क: यह घटना दर्शाती है कि ड्रग तस्करी का नेटवर्क कितना मजबूत और विस्तृत होता जा रहा है, जो पूर्व सुरक्षा कर्मियों जैसे प्रशिक्षित लोगों को भी अपने जाल में फंसा लेता है।
कानूनी पहलू: NDPS एक्ट क्या कहता है?
नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) भारत में नशीले पदार्थों की तस्करी और कब्जे के खिलाफ एक कड़ा कानून है।
- 200 किलो गांजा: इतनी बड़ी मात्रा “व्यावसायिक मात्रा” (commercial quantity) में मानी जाती है।
- संभावित सजा: NDPS एक्ट के तहत व्यावसायिक मात्रा में नशीले पदार्थों की तस्करी के लिए 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
एक तरफ वह व्यक्ति है जिसने एक बार देश की रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाली, और दूसरी तरफ वही व्यक्ति आज कानून के सामने खड़ा है। यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि हमारे सुरक्षा बलों के जवानों के लिए सिर्फ सेवा के दौरान ही नहीं, बल्कि सेवानिवृत्ति के बाद भी एक बेहतर सहायता प्रणाली की जरूरत है। साथ ही, यह ड्रग्स के खिलाफ चल रही लड़ाई की गंभीरता को भी रेखांकित करती है, जो अब हमारे समाज के हर वर्ग तक पहुंच चुकी है। अब न्यायालय को तय करना है कि क्या सचमुच यह पूर्व हीरो एक अपराधी है।
(FAQs)
1. क्या इस पूर्व कमांडो ने वाकई 26/11 के ऑपरेशन में हिस्सा लिया था?
जी हां, प्रारंभिक जांच और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गिरफ्तार किया गया व्यक्ति एक पूर्व एनएसजी कमांडो है जिसने 2008 के मुंबई हमलों के दौरान ऑपरेशन में भाग लिया था। हालाँकि, उसकी भूमिका की सटीक जानकारी का खुलासा सुरक्षा कारणों से नहीं किया गया है।
2. उस पर exactly क्या आरोप हैं?
उस पर नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (NDPS Act) के तहत “व्यावसायिक मात्रा” (200 किलो से अधिक) में गांजा (cannabis) की तस्करी और उसके कब्जे का आरोप है।
3. अगर वह दोषी पाया जाता है, तो उसे कितनी सजा हो सकती है?
NDPS एक्ट के तहत व्यावसायिक मात्रा में ड्रग तस्करी के लिए कम से कम 10 साल की कैद से लेकर उम्रकैद तक की सजा और 1-2 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
4. क्या उसने सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद यह अपराध शुरू कर दिया था?
यह अभी स्पष्ट नहीं है। जांच इस बात पर भी हो रही है कि वह कब से इस नेटवर्क का हिस्सा था और उसके पीछे क्या कारण रहे। सेवानिवृत्ति और इस गिरफ्तारी के बीच के समय को लेकर भी पड़ताल की जा रही है।
5. क्या इससे भारतीय सुरक्षा बलों की छवि को नुकसान पहुंचेगा?
एक व्यक्ति के कार्य पूरे संगठन की छवि को प्रतिबिंबित नहीं करते। भारतीय सुरक्षा बलों के हजारों जवान निस्वार्थ भाव से देश की सेवा कर रहे हैं। हालाँकि, यह मामला निश्चित रूप से एक सामूहिक चिंता पैदा करता है कि सेवानिवृत्ति के बाद जवानों को किस तरह के हालात का सामना करना पड़ता है।
6. क्या यह मामला ड्रग तस्करी के बढ़ते प्रसार को दर्शाता है?
बिल्कुल। जब एक पूर्व एलीट कमांडो जैसा प्रशिक्षित व्यक्ति भी इस तरह के नेटवर्क में शामिल पाया जाता है, तो यह संकेत देता है कि ड्रग तस्करी का जाल बहुत गहरा और मजबूत है और यह समाज के हर तबके को प्रभावित कर रहा है।
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