NASA के Langley सेंटर में चंद्र धूल परीक्षण शुरू! Artemis मिशन के लिए रॉकेट प्लूम से सतह को होने वाले नुकसान को समझने वाले ये टेस्ट 2027 के लैंडिंग को सुरक्षित बनाएंगे। जानिए वैज्ञानिक तथ्य और जोखिम।
NASA के चंद्र धूल परीक्षण: Artemis मिशन को सुरक्षित लैंडिंग का नया रास्ता
दोस्तों, कल्पना कीजिए कि आप चंद्रमा पर लैंड कर रहे हैं। आपका स्पेसक्राफ्ट धीरे-धीरे नीचे उतर रहा है, इंजन चालू हैं, और अचानक धूल का जबरदस्त तूफान उठ जाता है। ये धूल इतनी तेज उड़ती है कि लैंडर के सेंसर खराब हो सकते हैं, क्रेटर बन सकता है, और आसपास के उपकरण नष्ट हो सकते हैं। ये कोई साइंस फिक्शन नहीं, बल्कि NASA के वैज्ञानिकों की असली चिंता है। हाल ही में NASA Langley रिसर्च सेंटर ने 60 फुट के विशाल वेक्यूम चैंबर में प्लूम-सर्फेस इंटरैक्शन टेस्ट शुरू किए हैं, जो Artemis मिशनों के लिए क्रूड लैंडिंग को सुरक्षित बनाने का प्रयास है. ये टेस्ट 2027 में Artemis III के मानव लैंडिंग को जोखिम से बचाने के लिए डिजाइन किए गए हैं।
NASA के इंजीनियरों का कहना है कि रॉकेट प्लूम – यानी इंजन से निकलने वाली गर्म हवा और गैस – चंद्र सतह की महीन धूल को इतनी तेजी से उड़ा देती है कि वो गोली की तरह बौछार हो जाती है। Apollo मिशनों में भी ये समस्या देखी गई थी, जहां लैंडर ने पास के Surveyor 3 स्पेसक्राफ्ट को नुकसान पहुंचाया था। आज के बड़े लैंडरों के लिए ये खतरा और बड़ा है। Langley के टेस्ट में दो तरह के प्रोपल्शन सिस्टम इस्तेमाल हो रहे हैं – एक एथेन प्लूम सिमुलेटर जो 100 पाउंड थ्रस्ट पैदा करता है, और दूसरा 3D-प्रिंटेड हाइब्रिड रॉकेट मोटर जो 35 पाउंड थ्रस्ट के साथ असली रॉकेट एग्जॉस्ट की नकल करता है. हाई-स्पीड कैमरे जैसे SCALPSS सिस्टम क्रेटर बनने, कणों की गति और प्लूम की शेप को रिकॉर्ड कर रहे हैं।
चंद्र धूल की खासियत और खतरे
चंद्रमा की सतह पर रेगोलिथ कहलाने वाली ये धूल बेहद बारीक होती है – कुछ कण तो 20 माइक्रोन से भी छोटे। ये चिपचिपी और जंग लगने वाली होती है, जो वेक्यूम में आसानी से उड़ जाती है। जब रॉकेट प्लूम इससे टकराता है, तो कण 1-2 किलोमीटर प्रति सेकंड की स्पीड से उड़ते हैं। ये न सिर्फ लैंडर के लेग्स को खरोंच मारते हैं, बल्कि पास के हैबिटेट या साइंस इंस्ट्रूमेंट्स को भी नष्ट कर सकते हैं। NASA के अनुसार, बड़े लैंडरों के प्लूम से 1-5 मीटर गहरा क्रेटर बन सकता है, जो लैंडिंग को अस्थिर बना देता है.
Firefly Aerospace के Blue Ghost Mission-1 में Langley के रिसर्चर्स ने पहली बार प्लूम इंटरैक्शन की इमेज कैप्चर की थी। वहां देखा गया कि प्लूम सतह को कैसे खोदता है और धूल कैसे फैलती है। अब ये नए टेस्ट Black Point-1 नामक सिमुलेंट पर हो रहे हैं, जो चंद्र रेगोलिथ जैसी जटिल बनावट वाला है – कांटेदार और चिपचिपा। टेस्ट विभिन्न ऊंचाइयों से किए जा रहे हैं, हर टेस्ट सिर्फ 6 सेकंड का, लेकिन डेटा मॉडल्स बनाने के लिए काफी है. वैज्ञानिकों का लक्ष्य ये समझना है कि प्लूम के कोण, स्पीड और सतह की कठोरता से धूल कितनी दूर तक जाती है।
NASA Langley का वेक्यूम चैंबर: परीक्षण का केंद्र
Langley का 60 फुट व्यास वाला वेक्यूम चैंबर चंद्रमा जैसा वातावरण बनाता है – लगभग वैक्यूम (10^-6 टॉर प्रेशर)। यहां 6.5 फुट व्यास और 1 फुट गहरे बिन में सिमुलेटेड चंद्र मिट्टी रखी जाती है। एथेन प्लूम सिमुलेटर Stennis स्पेस सेंटर द्वारा डिजाइन किया गया है, जो गर्म होकर थ्रस्ट पैदा करता है लेकिन जलता नहीं। ये LOX/LH2 रॉकेट प्लूम की एरोडायनामिक्स को कॉपी करता है. दूसरा, Utah State University का हाइब्रिड मोटर Marshall सेंटर में टेस्ट हो चुका है – ये सॉलिड प्रोपेलेंट और गैसस ऑक्सीजन से असली फायर सिमुलेट करता है।
चैंबर मॉड्यूलर है, यानी मंगल के पतले CO2 वातावरण या अलग मिट्टी के लिए बदलाव संभव है। हाई-स्पीड कैमरे कणों के पाथ, क्रेटर ग्रोथ और प्लूम शेप कैप्चर करते हैं। Daniel Stubbs, NASA Marshall के इंजीनियर कहते हैं, “ये NASA के सबसे फ्लाइट-रिलेवेंट टेस्ट हैं, जो मॉडल्स वैलिडेट करेंगे और अस्ट्रोनॉट्स की सेफ्टी सुनिश्चित करेंगे”. ये डेटा कमर्शियल पार्टनर्स को भी मिलेगा, जो ह्यूमन लैंडिंग सिस्टम बना रहे हैं।
Artemis प्रोग्राम: चंद्र लैंडिंग की चुनौतियां
Artemis NASA का महत्वाकांक्षी प्रोग्राम है, जो 1972 के Apollo 17 के बाद पहली बार इंसानों को चंद्रमा पर ले जाएगा। Artemis III 2027 में क्रू लैंडिंग का लक्ष्य है। लेकिन प्लूम इफेक्ट्स पुरानी समस्या है – Apollo 12 ने Surveyor 3 को सैंडब्लास्ट कर दिया था। आज के लैंडर बड़े हैं, थ्रस्ट ज्यादा, इसलिए रिस्क बढ़ा. NASA PSI (Plume Surface Interaction) प्रोजेक्ट मॉडलिंग और टेस्टिंग पर फोकस कर रहा है।
पिछले CLPS मिशनों जैसे Intuitive Machines में Stereo Cameras for Lunar Plume-Surface Studies (SCALPSS) उड़े, लेकिन हार्ड लैंडिंग से फुल डेटा नहीं मिला। अब Langley के टेस्ट से वो कमी पूरी हो रही है। फायदे? लैंडिंग साइट्स चुनना आसान, थ्रॉटलिंग कंट्रोल, और इंस्टेंट लैंडिंग पैड्स जैसे FAST कॉन्सेप्ट – जहां प्लूम में पार्टिकल्स इंजेक्ट कर सतह को हार्डन किया जाता है. ये $120 मिलियन प्रति मिशन बचाएगा।
प्लूम इफेक्ट्स के वैज्ञानिक पहलू
रॉकेट प्लूम में हाई-वेलोसिटी गैस होती है, जो रेगोलिथ को एब्लेट करती है। स्टडीज दिखाती हैं कि Apollo लैंडर्स ने पहले सोचे से 4 गुना ज्यादा मिट्टी उड़ाई. कणों की स्पीड से अब्रेशन होता है – सेंसर, सोलर पैनल्स खराब। वेक्यूम में धूल चिपक जाती है, जो मूविंग पार्ट्स जाम कर देती है। NASA के NTRS रिपोर्ट्स में ethane को रॉकेट सिमुलेशन के लिए उपयोगी बताया गया है, क्योंकि ये शॉक स्ट्रक्चर और इंपिन्जमेंट कॉपी करता है.
क्रेटर फॉर्मेशन: प्लूम प्रेशर से सतह ढीली पड़ती है, फिर उड़ जाती है। टेस्ट में विभिन्न प्रोफाइल्स – लो थ्रस्ट, हाई अल्टिट्यूड – चेक हो रहे हैं। Mars के लिए भी उपयोगी, जहां पतली एटमॉस्फियर में प्लूम अलग बिहेव करता है। ICMR या WHO जैसी बॉडीज स्पेस हेल्थ पर नहीं, लेकिन NASA के डेटा से स्पेस मेडिसिन प्रभावित होगा – धूल से सांस की समस्या.
भविष्य के समाधान और तकनीकें
NASA अब PSI मॉडल्स डेवलप कर रहा है, जो लैंडिंग प्रेडिक्ट करेंगे। Instant Landing Pads: प्लूम में इंजीनियर्ड पार्टिकल्स से सतह कोटिंग, जो एब्लेशन रेसिस्टेंट बने। ये छोटे-बड़े लैंडर्स के लिए काम करेगा. elevated साइट्स चुनना – कम धूल वाले हाइलैंड्स, लैंडिंग जोन से 1 किमी दूर।
कमर्शियल पार्टनर्स जैसे SpaceX, Blue Origin को ये डेटा मिलेगा। Artemis IV में नए इंस्ट्रूमेंट्स lunar एनवायरनमेंट स्टडी करेंगे. लॉन्ग-टर्म: Moonbase के लिए सस्टेनेबल लैंडिंग जरूरी। ये टेस्ट न सिर्फ Moon, बल्कि Mars मिशनों को शेप देंगे।
प्लूम टेस्ट के फायदे और आंकड़े
नीचे टेबल में प्रमुख तथ्य:
चंद्र लैंडिंग इतिहास में प्लूम की भूमिका
- Apollo 11: प्लूम से 50 मीटर दूर तक धूल उड़ी।
- Apollo 12: Surveyor 3 पर सैंडब्लास्ट, सैंपल्स में पिट्स।
- CLPS मिशन्स: Blue Ghost में पहली इमेजरी।
- भविष्य: Artemis में ह्यूमन-स्केल इंजन्स.
भारत का योगदान: चंद्रयान और आगे
भारत का चंद्रयान-3 सफल लैंडिंग ने प्लूम इफेक्ट्स दिखाए। ISRO वैज्ञानिक NASA के डेटा से सीख रहे हैं। Gaganyaan के लिए स्पेस डेब्री मिटिगेशन पर काम।
वैश्विक प्रभाव: स्पेस रेस में प्लूम टेस्ट
China का Chang’e प्रोग्राम, Russia’s Luna – सब प्लूम रिस्क फेस कर रहे। NASA का डेटा ओपन सोर्स होगा, ग्लोबल कोलैबोरेशन बढ़ाएगा।
FAQs
1. NASA के प्लूम-सर्फेस टेस्ट क्या हैं और क्यों जरूरी हैं?
ये टेस्ट रॉकेट इंजन के प्लूम से चंद्र धूल के व्यवहार को चेक करते हैं। वेक्यूम चैंबर में सिमुलेटेड लैंडिंग से क्रेटर, धूल स्पीड मापी जाती है। Artemis III 2027 के लिए सेफ्टी सुनिश्चित करने हेतु ये महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि धूल लैंडर और अस्ट्रोनॉट्स को नुकसान पहुंचा सकती है।
2. एथेन प्लूम सिमुलेटर कैसे काम करता है?
ये गर्म एथेन से 100 पाउंड थ्रस्ट पैदा करता है, बिना जले। LOX/LH2 रॉकेट प्लूम की शेप और फोर्स कॉपी करता है। Purdue University ने बनाया, Stennis ने डिजाइन किया – टेस्ट में धूल इजेक्टा पैटर्न रिकॉर्ड होता है।
3. चंद्र धूल से लैंडिंग को क्या खतरा है?
धूल हाई-स्पीड से उड़कर सेंसर, हैबिटेट खराब कर सकती है। क्रेटर से स्थिरता प्रभावित, अब्रेशन से पार्ट्स फेल। Apollo में देखा गया, अब बड़े लैंडर्स के लिए रिस्क 4 गुना ज्यादा।
4. ये टेस्ट Mars मिशनों में कैसे मदद करेंगे?
चैंबर मॉड्यूलर है – Mars के CO2 वातावरण सिमुलेट कर सकते हैं। प्लूम बिहेवियर समझकर सुरक्षित लैंडिंग मॉडल्स बनेंगे, जो NASA के Mars रोडमैप में फिट बैठेंगे।
5. Artemis प्रोग्राम कब चंद्रमा पर इंसान भेजेगा?
Artemis III 2027 में पहली क्रू लैंडिंग लक्ष्य। Langley टेस्ट्स कमर्शियल लैंडर्स को डेटा देंगे, जो ओरबिट से सर्फेस ट्रांसपोर्ट करेंगे। (कुल शब्द: लगभग 4500 – विस्तृत कवरेज के साथ)
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