National Clean Air Programme: भारत सरकार ने 130 शहरों में वायु प्रदूषण नियंत्रण के लिए नए कार्यक्रम शुरू किए हैं, जिसमें तकनीकी निगरानी और कड़े नियम शामिल हैं। जानिए इन पहलों का विस्तार।
वायु प्रदूषण पर मुकाबला: सरकार का सख्त निगरानी और सुधार अभियान
भारत सरकार ने देश में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए नए, सख्त और व्यापक उपायों की घोषणा की है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत अब 130 शहरों में प्रदूषण घटाने की पहल तेज़ की गई है। इसके लिए केंद्र सरकार ने महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई है, जिसमें राज्यों और स्थानीय निकायों का भी योगदान शामिल है।
राष्ट्रीय स्तर पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने 800 से अधिक वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किए हैं, जो प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों की रीयल टाइम निगरानी में सक्षम हैं। इस तकनीकी निगरानी के माध्यम से PM2.5, PM10, SO2, NO2 जैसे प्रदूषण कारकों पर कड़ी नजर रखी जाती है।
वाहनों के प्रदूषण नियंत्रण को कड़ा करने के लिए BS-VI मानकों के अलावा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है। दिल्ली-एनसीआर में इलेक्ट्रिक बस और ऑटो के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि पारंपरिक डीजल वाहनों की संख्या को कम किया जा सके।
निर्माण क्षेत्र में धूल नियंत्रण के लिए एंटी-स्मॉग गन के इस्तेमाल को अनिवार्य किया गया है, और पुनर्नवीनीकरण सामग्री के उपयोग को प्राथमिकता दी जा रही है।
सरकार ने जनता में जागरूकता बढ़ाने के लिए मास्क उपयोग, एयर प्यूरीफायर के इस्तेमाल, और प्रदूषण के दौरान सावधान रहने के निर्देश जारी किए हैं।
इन प्रयासों के चलते कुछ प्रमुख शहरों में जीवन गुणवत्ता सुधारने के संकेत मिल रहे हैं, और सरकार का लक्ष्य 2026 तक प्रदूषण स्तरों में 40% तक कमी लाना है।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) का सशक्तरण
- NCAP के तहत 130 शहरों में प्रदूषण कम करने की योजना लागू है, जिसमें 40% तक PM10 कणों में कमी लाना लक्ष्य है।
- 64 शहरों ने 2024-25 में प्रदूषण स्तरों में 20% की कमी की रिपोर्ट की है, जबकि 25 शहरों ने 40% तक की कमी का लक्ष्य हासिल किया है।
- वार्ड स्तर पर “स्वच्छ वायु सर्वेक्षण” शुरू किया गया है, जिससे स्थानीय स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण की जागरूकता और कार्रवाई बढ़ेगी।
- एनसीएपी के सफल रणनीतियों को साझा करने के लिए ‘बेस्ट प्रैक्टिसेस’ कॉम्पेंडियम जारी किया गया है।
नई तकनीकी निगरानी प्रणाली
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने 800 से अधिक वायु गुणवत्ता मॉनिटरिंग स्टेशन स्थापित किए हैं जो 344 शहरों और 28 राज्यों में काम कर रहे हैं।
- AI, GPS और क्लाउड सीडिंग जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग बढ़ाया गया है।
- सेंसर्स के जरिए PM2.5, PM10, SO2, NO2 जैसे प्रदूषकों की वास्तविक समय में निगरानी की जा रही है।
वाहनों और औद्योगिक प्रदूषण नियंत्रण
- 1 नवंबर 2025 से दिल्ली में केवल BS-VI मानकों के अनुरूप, CNG या इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रवेश की अनुमति होगी।
- पेट्रोल पंपों और शहर के प्रवेश द्वार पर ऑटोमैटिक नंबर प्लेट पहचान (ANPR) कैमरों के माध्यम से गैर-मानक वाहनों पर सख्ती होगी।
- 5,000 इलेक्ट्रिक बसों और 2,299 इलेक्ट्रिक ऑटो को नैशनल राजधानी क्षेत्र में लागू किया जाएगा।
- औद्योगिक प्रदूषण के लिए नए सख्त परमिट नियम (2025) लागू किए गए हैं, जिनमें डिजिटल अनुपालन आवेदन प्रणाली भी शामिल है।
धूल नियंत्रण और निर्माण क्षेत्र के उपाय
- 3,000 वर्ग मीटर से बड़े भवनों में पानी की बौछार के लिए एंटी-स्मॉग गन अनिवार्य है।
- विशेष प्रदूषण प्रभावित क्षेत्र में नाइट क्लीनिंग और सार्वजनिक स्थानों पर नियमित जल छिड़काव का प्रावधान है।
- निर्माण सामग्री में 100% पुनर्नवीनीकरण सामग्री के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है।
जन-जागरूकता और स्वास्थ्य संरक्षण
- वायु प्रदूषण के दौरान N95 मास्क के उपयोग और एयर प्यूरीफायर्स की सलाह दी जा रही है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य पर प्रदूषण के प्रभाव के बारे में जागरूकता अभियानों का संचालन हो रहा है।
FAQs
- राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) का लक्ष्य क्या है?
उत्तर: भारत के 130 शहरों में वायु प्रदूषण को 40% तक कम करना। - नई तकनीकी निगरानी कैसे काम करती है?
उत्तर: 800 से अधिक मॉनिटरिंग स्टेशन और AI आधारित सिस्टम से प्रदूषण के रीयल टाइम आंकड़े मिलते हैं। - वाहनों के प्रदूषण नियंत्रण के लिए नए कदम क्या हैं?
उत्तर: BS-VI वाहनों को बढ़ावा देना और इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रोत्साहन। - धूल नियंत्रण के लिए कौन-कौन से नियम हैं?
उत्तर: बड़े निर्माण क्षेत्रों में एंटी-स्मॉग गन का उपयोग और पुनर्चक्रण को प्राथमिकता। - जनता के लिए सुरक्षा सुझाव क्या हैं?
उत्तर: N95 मास्क पहनना, प्रदूषण वाले क्षेत्रों में कम समय बिताना और एयर प्यूरीफायर का उपयोग। - क्या प्रदूषण स्तरों में सुधार हुआ है?
उत्तर: हाँ, कई शहरों में PM10 और PM2.5 स्तरों में महत्वपूर्ण कमी दर्ज की गई है।
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