नवरात्रि 2025 में 25 सितंबर से 3 अक्टूबर तक मनाई जाएगी। जानें 9 दिनों के व्रत के नियम, कलश स्थापना की विधि, प्रतिदिन की देवी, शुभ रंग और मां दुर्गा की कथा। नवरात्रि की संपूर्ण जानकारी हिंदी में।
नवरात्रि 2025: तिथि, पूजा विधि, 9 दिनों के व्रत, कलर और देवियों की पूरी जानकारी
नवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो नौ रातों और दस दिनों तक चलता है। यह त्योहार पूरे भारत में बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। ‘नवरात्रि’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘नव’ यानी नौ और ‘रात्रि’ यानी रातें। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। सन 2025 में, शारदीय नवरात्रि 25 सितंबर से शुरू होकर 3 अक्टूबर तक चलेगी। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और आध्यात्मिक शुद्धि तथा नए सिरे से शुरुआत का समय होता है।
नवरात्रि का त्योहार साल में चार बार आता है, लेकिन चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। आश्विन मास की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि या महानवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है, जिसके अंत में दशहरा का त्योहार आता है।
नवरात्रि 2025 की तिथियाँ और शुभ मुहूर्त
शारदीय नवरात्रि की तिथियाँ हिंदू कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होकर नवमी तक चलती हैं। 2025 में नवरात्रि से जुड़ी महत्वपूर्ण तिथियाँ इस प्रकार हैं:
- नवरात्रि प्रारंभ (दिन 1 – प्रतिपदा): 25 सितंबर 2025, गुरुवार
- कलश स्थापना मुहूर्त: 25 सितंबर 2025 (सुबह 06:12 बजे से 07:39 बजे तक)
- घटस्थापना मुहूर्त: 25 सितंबर 2025 (सुबह 06:12 बजे से 07:39 बजे तक)
- नवरात्रि समापन (दुर्गा महानवमी): 3 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
- विजयादशमी (दशहरा): 4 अक्टूबर 2025, शनिवार
(नोट: उपरोक्त मुहूर्त दिल्ली के लिए हैं। अन्य स्थानों के लिए स्थानीय पंचांग देखें।)
नवरात्रि क्यों मनाई जाती है? पौराणिक महत्व और कथा
नवरात्रि मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएँ और महत्व हैं:
- महिषासुर वध: सबसे प्रसिद्ध कथा के अनुसार, महिषासुर नामक राक्षस ने देवताओं को स्वर्ग से भगा दिया था। उसके अत्याचारों से तंग आकर सभी देवताओं ने मिलकर अपनी शक्तियों से देवी दुर्गा का निर्माण किया। देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच नौ दिन और नौ रात तक भयंकर युद्ध हुआ और दसवें दिन देवी ने महिषासुर का वध किया। इन्हीं नौ रातों को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।
- भगवान राम की कथा: एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान राम ने रावण से युद्ध से पहले समुद्र तट पर नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की थी और दसवें दिन रावण का वध किया था। इसीलिए दशहरा भी नवरात्रि के ठीक बाद आता है।
- शारदीय नवरात्रि: आश्विन मास में मनाई जाने वाली नवरात्रि मौसम के बदलाव (वर्षा ऋतु के अंत और शरद ऋतु के आरंभ) का समय होता है। इस समय व्रत और पूजा करने से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं।
नवरात्रि के 9 दिन: देवियों के नाम, महत्व और शुभ रंग (2025)
नवरात्रि के प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के एक特定 रूप की पूजा की जाती है और हर दिन का एक विशेष शुभ रंग होता है।
दिन | तिथि | देवी का नाम | महत्व | शुभ रंग 2025 |
---|---|---|---|---|
दिन 1 | 25 सितंबर | शैलपुत्री | पर्वतराज हिमालय की पुत्री, आदिशक्ति का प्रथम रूप | नीला |
दिन 2 | 26 सितंबर | ब्रह्मचारिणी | तपस्या और मार्गदर्शन की देवी | पीला |
दिन 3 | 27 सितंबर | चंद्रघंटा | सौम्यता और साहस की देवी | लाल |
दिन 4 | 28 सितंबर | कुष्मांडा | ब्रह्मांड की उत्पत्ति करने वाली देवी | हरा |
दिन 5 | 29 सितंबर | स्कंदमाता | भगवान कार्तिकेय की माता | ग्रे |
दिन 6 | 30 सितंबर | कात्यायनी | ऋषि कात्यायन के आश्रम में जन्मी देवी | नारंगी |
दिन 7 | 1 अक्टूबर | कालरात्रि | राक्षसों का विनाश करने वाली देवी | सफेद |
दिन 8 | 2 अक्टूबर | महागौरी | शांति और शुद्धता की देवी | गुलाबी |
दिन 9 | 3 अक्टूबर | सिद्धिदात्री | सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी | बैंगनी |
नवरात्रि व्रत के नियम और क्या खाएं
नवरात्रि में व्रत रखने वाले लोग इन नियमों का पालन करते हैं:
- आहार: लहसुन, प्याज, non-vegetarian food, alcohol और cigarettes का सेवन वर्जित होता है।
- व्रत भोजन: लोग फल, दूध, साबुदाना, सिंघाड़े का आटा, कुट्टू का आटा, समा के चावल (vrat ke chawal), दही और मखाना खाते हैं।
- शारीरिक और मानसिक शुद्धता: सात्विक जीवन जीना, सच बोलना, positive thoughts रखना और regular पूजा-पाठ करना महत्वपूर्ण है।
घर पर कलश स्थापना और पूजा विधि
- स्नान और शुद्धता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- स्थान: एक साफ़ जगह चुनें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
- कलश स्थापना: एक मिट्टी के कलश में जल भरें। उसमें सिक्के, सुपारी, अक्षत डालें। कलश के मुख पर नारियल रखकर उसे लाल कपड़े से ढक दें। कलश के पास जौ बोएं।
- देवी प्रतिमा स्थापना: मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- पूजा: कलश और देवी की फूल, अक्षत, रोली, धूप, दीप से पूजा करें।
- आरती: नवरात्रि की विशेष आरती करें और प्रसाद वितरित करें।
निष्कर्ष: आस्था और उत्सव का पर्व
नवरात्रि का पर्व हमें बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देता है। यह न सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि खुद को discipline में रखने, शरीर को detoxify करने और मन को शांत करने का भी एक अवसर है। चाहे आप व्रत रखें या न रखें, इस समय positive energy को feel कर सकते हैं और मां दुर्गा से आशीर्वाद मांग सकते हैं for a happy and prosperous life.
पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- नवरात्रि 2025 कब से कब तक है?
नवरात्रि 2025 में 25 सितंबर से शुरू होकर 3 अक्टूबर तक है। दशहरा 4 अक्टूबर को है। - नवरात्रि में कौन-कौन सी चीजें नहीं खानी चाहिए?
नवरात्रि में लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडे और alcohol का सेवन नहीं करना चाहिए। अनाज के代替 में सिंघाड़े का आटा, कुट्टू का आटा और समा के चावल खाए जाते हैं। - कलश स्थापना कब करनी चाहिए?
कलश स्थापना नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि during the prescribed Muhurta (25 सितंबर सुबह 06:12 से 07:39 बजे तक) में करनी चाहिए। - क्या नवरात्रि में 9 दिन तक व्रत रखना जरूरी है?
नहीं, यह personal belief और capacity पर निर्भर करता है। कोई 2 दिन, कोई 7 दिन तो कोई पूरे 9 दिन व्रत रखता है। पहले और आखिरी दिन का व्रत सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। - कन्या पूजन किस दिन करते हैं?
कन्या पूजन नवरात्रि के आखिरी दिन (अष्टमी或 नवमी) पर किया जाता है। इसमें 9 छोटी कन्याओं (जो देवी के नौ रूपों का प्रतीक होती हैं) को भोजन करवाया जाता है और उन्हें उपहार दिए जाते हैं। - नवरात्रि के 9 रंग क्यों important हैं?
मान्यता है कि specific colour के clothes पहनने से उस दिन की देवी की energy और blessings मिलती है। यह celebration में एकता और enthusiasm भी लाता है। - क्या पुरुष नवरात्रि का व्रत रख सकते हैं?
हां, बिल्कुल। नवरात्रि का व्रत कोई भी रख सकता है, चाहे वह पुरुष हो या महिला। यह faith और devotion का matter है।
Leave a comment