अमित शाह ने बस्तर ओलंपिक में कहा—नक्सलवाद जहर का सांप, 31 मार्च 2026 तक खत्म। बस्तर के 7 जिलों को 2030 तक सबसे विकसित ट्राइबल क्षेत्र बनाएंगे, 2000 नक्सली सरेंडर।
छत्तीसगढ़ बस्तर में शाह का वादा: नक्सलमुक्त 2026, हर गांव में बिजली-पानी—2000 सरेंडर हो चुके
अमित शाह का नक्सलवाद पर बड़ा बयान: ‘किसी को फायदा नहीं, सिर्फ शांति से विकास—31 मार्च 2026 तक खत्म करेंगे’
शनिवार को जगदलपुर के इंदिरा प्रियदर्शिनी स्टेडियम में बस्तर ओलंपिक 2025 के समापन समारोह में गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सलवाद को ‘जहर का सांप’ बताया, जो विकास रोक रहा। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद न हथियार उठाने वालों को फायदा देता, न आदिवासियों को, न सुरक्षाबल को—सिर्फ शांति से विकास संभव। मोदी सरकार का संकल्प दोहराया कि 31 मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद समाप्त होगा, और बस्तर के 7 जिलों को 5 साल में देश का सबसे विकसित ट्राइबल क्षेत्र बनाएंगे। इस लेख में सरल हिंदी में समझेंगे शाह का बस्तर विजन, सरेंडर अपील, विकास प्लान और बदलाव की कहानी।
नक्सलवाद का अंत करीब—2026 में बस्तर ओलंपिक नक्सलमुक्त क्षेत्र में
शाह ने कहा कि केंद्र ने फैसला लिया—31 मार्च 2026 से पहले ‘लाल आतंक’ खत्म। ‘मैं 2024, 2025 बस्तर ओलंपिक में आया, 2026 में भी आऊंगा—तब छत्तीसगढ़ और देश नक्सलमुक्त होगा।’ सीपीआई (माओइस्ट) से जुड़े लोगों से अपील की—हथियार डालो, मुख्यधारा में आओ, परिवार-समाज के लिए सरेंडर पॉलिसी का फायदा लो। पिछले 2 साल में 2000 से ज्यादा नक्सली सरेंडर हो चुके।
बस्तर के 7 जिले—कांकेर से दंतेवाड़ा तक विकास का ‘नया अध्याय’
बस्तर डिवीजन के कांकेर, कोंडागांव, बस्तर, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा को दिसंबर 2030 तक देश का सबसे उन्नत ट्राइबल क्षेत्र बनाएंगे। हर घर में आवास, बिजली, शौचालय, नल का पानी, LPG, 5 किलो मुफ्त अनाज, 5 लाख तक मुफ्त इलाज। हर गांव में सड़क, बिजली, 5 किमी में बैंक, प्राथमिक-कम्युनिटी हेल्थ सेंटर का मजबूत नेटवर्क। नक्सलवाद खत्म होने से विकास का नया दौर शुरू होगा।
बस्तर का चेहरा बदल गया—गोलीबारी की जगह स्कूल की घंटी
शाह ने बताया कि डर की जगह उम्मीद, गोलीबारी वाले इलाकों में स्कूल बेल, जहां विकास सपना था वहां सड़क-रेल-हाईवे बन रहे। ‘लाल सलाम’ के नारे ‘भारत माता की जय’ में बदल गए। सिर्फ एनकाउंटर नहीं—सरेंडर पर फोकस। आदिवासी नेताओं ने सरेंडर में बड़ी भूमिका निभाई। बस्तर ओलंपिक में 700 सरेंडर नक्सली युवा खेल रहे—एकता और विकास का प्रतीक।
सरेंडर और मुख्यधारा—आदिवासी नेताओं की भूमिका, युवाओं को मौका
शाह ने आदिवासी नेताओं से अपील की—बाकी हथियारबंद नक्सलियों को समझाएं, मुख्यधारा में लाएं। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया अधिकारी टैलेंट ढूंढ रहे—कॉमनवेल्थ गेम्स, 2036 ओलंपिक के लिए। ‘2026 बस्तर ओलंपिक नक्सलमुक्त बस्तर में होगा।’ CM विष्णु देव साय, स्पीकर रमन सिंह, डिप्टी CM अरुण साव-विजय शर्मा मौजूद।
नक्सलवाद क्यों हानिकारक—आदिवासियों का दुश्मन, विकास का रोड़ा
नक्सलवाद ने बस्तर को पीछे रखा। अब केंद्र-राज्य BJP सरकारें प्रतिबद्ध। ये अभियान एनकाउंटर से आगे—समर्पण और विकास पर जोर। शाह ने युवाओं को गरिमापूर्ण जीवन का मौका दिया।
बस्तर ओलंपिक का महत्व—खेल से एकता, 700 सरेंडर युवा शामिल
बस्तर ओलंपिक सरेंडर नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने का मंच। खेल से विभाजन की बजाय एकता, विनाश की बजाय विकास। ये बदलाव का प्रतीक।
अमित शाह बस्तर नक्सलवाद पर 5 FAQs
FAQ 1: नक्सलवाद कब तक खत्म?
उत्तर: 31 मार्च 2026 तक पूरे देश से, शाह का संकल्प।
FAQ 2: बस्तर को क्या बनाएंगे?
उत्तर: 2030 तक देश का सबसे विकसित ट्राइबल क्षेत्र।
FAQ 3: कितने नक्सली सरेंडर?
उत्तर: पिछले 2 साल में 2000 से ज्यादा।
FAQ 4: बस्तर के 7 जिले कौन?
उत्तर: कांकेर, कोंडागांव, बस्तर, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा।
FAQ 5: विकास में क्या सुविधाएं?
उत्तर: हर घर बिजली, पानी, LPG, अनाज, 5 लाख इलाज, सड़क-बैंक।
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