बिहार के नवादा में 3 दिनों में 25 नीलगाय मारी गईं, महुली पंचायत में फसल बचाने को। 2024-25 में राज्यभर 4279 नीलगाय कूल्ड। मुखिया को अधिकार, वन्यजीव एक्ट से किसानों को राहत। वैशाली सबसे प्रभावित!
4279 नीलगायों का शिकार: बिहार में घोड़ा परिंदा खत्म करने का नया अभियान, किसान राहत कब?
बिहार में नीलगाय का आतंक: नवादा में 25 घोड़ा परिंदा मारे गए, किसानों को मिली राहत
बिहार के नवादा जिले में पिछले तीन दिनों में 25 नीलगायों (नीलगाय या घोड़ा परिंदा) को मार गिराया गया। ये कदम किसानों की फसलों को बचाने के लिए उठाया गया, जब महुली पंचायत के मुखिया की शिकायत पर एक्शन लिया गया। नवादा के डिस्ट्रिक्ट फॉरेस्ट्री ऑफिसर (DFO) श्रेष्ठ कुमार कृष्णा ने पीटीआई को बताया कि ये वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के प्रावधानों के तहत किया गया। मुखिया को नोडल अथॉरिटी बनाया गया है, जो किसानों की शिकायत पर प्रोफेशनल शूटर्स से नीलगाय और जंगली सूअर मारने की इजाजत दे सकता है।
मुखिया ने 40 नीलगायों की पहचान की थी, जिनमें से 25 को निशाना बनाया गया। DFO ने कहा कि नीलगाय झुंड में घूमती हैं और एकड़ों फसलें बर्बाद कर देती हैं। किसान रातभर जागकर फसलें बचाते हैं। राज्य सरकार ने प्रोटोकॉल के तहत ये अनुमति दी है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग सिर्फ फैसिलिटेटर है।
बिहार में नीलगाय संकट: आंकड़े चौंकाने वाले
2024-25 (फरवरी 2025 तक) में बिहार में कुल 4,279 नीलगायें मार दी गईं। ये अभियान किसानों की लगातार शिकायतों पर चला। ज्यादातर प्रभावित जिलों में: वैशाली (3,057), गोपालगंज (685), समस्तीपुर (256), मुजफ्फरपुर (124), सीतामढ़ी (71), मुंगेर (48), सारण (18), बेगूसराय (14), नालंदा (6)। जंगली सूअरों के आंकड़े अलग से नहीं दिए गए।
नीलगाय भारत का सबसे बड़ा एंटीलोप है, लेकिन खेती के लिए खतरा। वन क्षेत्र से दूर खेतों में घुस आती हैं। गेहूं, धान, सब्जी की फसलें चर जातीं। किसान रातें जागते, लेकिन झुंड के आगे बेबस।
नीलगाय कूलिंग प्रक्रिया: कानूनी तरीका
| चरण | प्रक्रिया | जिम्मेदारी |
|---|---|---|
| 1 | किसान शिकायत | गांव स्तर |
| 2 | मुखिया पहचान/अनुमति | पंचायत मुखिया (नोडल) |
| 3 | शूटर्स तैनात | वन विभाग फैसिलिटेशन |
| 4 | कूलिंग | प्रोफेशनल शूटर्स |
| 5 | रिपोर्टिंग | DFO/विभाग |
किसानों की परेशानी: रातभर पहरा
नीलगाय रात में सक्रिय। पकने वाली फसलें चख लेती। एक झुंड 10-20 एकड़ बर्बाद। किसान डरते – बंदूक रखते, लेकिन कानूनी खतरा। अब मुखिया सिस्टम से राहत। नवादा के महुली में किसान खुश – फसल बचेगी।
बिहार के टॉप प्रभावित जिले: नीलगाय काउंट
| जिला | नीलगाय मारी गईं (2024-25) | प्रतिशत |
|---|---|---|
| वैशाली | 3,057 | 71% |
| गोपालगंज | 685 | 16% |
| समस्तीपुर | 256 | 6% |
| मुजफ्फरपुर | 124 | 3% |
| अन्य | 157 | 4% |
| कुल: 4,279 |
नीलगाय बायोलॉजी: क्यों समस्या?
नीलगाय (Boselaphus tragocamelus) 200-250 किलो वजन, 1.5 मीटर ऊंची। शाकाहारी, तेज दौड़ने वाली। वन्यजीव संरक्षण एक्ट में शेड्यूल III – कम प्रोटेक्शन। फसल क्षति पर कूलिंग की अनुमति। बिहार में घनी आबादी-खेती से मेन-एनिमल कॉन्फ्लिक्ट बढ़ा।
अन्य राज्य: समान समस्या
यूपी, राजस्थान, एमपी में भी नीलगाय कूलिंग। बिहार ने मुखिया सिस्टम इनोवेटिव। केंद्र सरकार गाइडलाइंस देती। ICMR/वन मंत्रालय स्टडीज में फसल लॉस करोड़ों।
कृषि प्रभाव: आर्थिक नुकसान
बिहार में 70% आबादी कृषि पर। नीलगाय से सालाना 5000+ करोड़ नुकसान अनुमान। गेहूं रबी सीजन में सबसे ज्यादा। अब कूलिंग से किसान आत्मविश्वास। लेकिन एनवायरनमेंटलिस्ट चिंतित – बैलेंस जरूरी।
भविष्य के उपाय
- बाड़ाबंदी, सोलर फेंसिंग
- वैकल्पिक चारा क्षेत्र
- बायो-फेंसिंग (पौधे)
- पॉपुलेशन मॉनिटरिंग
मुखिया सिस्टम सफल तो अन्य राज्यों में कॉपी। किसान-वन बैलेंस जरूरी।
5 FAQs
- नवादा में कितनी नीलगाय मारी गईं?
25 नीलगाय, महुली पंचायत में 3 दिनों में। - नीलगाय कूलिंग का अधिकार किसे?
मुखिया को, किसान शिकायत पर प्रोफेशनल शूटर्स से। - बिहार में कुल कितनी नीलगाय मारीं 2024-25 में?
4,279 नीलगाय विभिन्न जिलों में। - सबसे ज्यादा प्रभावित जिला कौन?
वैशाली – 3,057 नीलगाय मारी गईं। - कानूनी आधार क्या?
वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के प्रावधान।
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