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7 नवंबर से आमंत्रित होगा NISAR सैटेलाइट का मिशन

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NISAR satellite
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NISAR सैटेलाइट, जो ISRO और NASA का संयुक्त उपक्रम है, 7 नवंबर से ऑपरेशनल होगा। यह पृथ्वी के पर्यावरण और प्राकृतिक आपदाओं पर अनुसंधान करेगा।

ISRO प्रमुख ने घोषित किया: NISAR सैटेलाइट 7 नवंबर से ऑपरेशनल

NISAR सैटेलाइट का परिचय
NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) उपग्रह एक संयुक्त मिशन है जिसमें ISRO और NASA ने मिलकर पृथ्वी अवलोकन के लिए अत्याधुनिक रडार तकनीक का उपयोग किया है। यह सैटेलाइट 30 जुलाई 2025 को सफलतापूर्वक सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया।

संचालन की तिथि
ISRO प्रमुख के अनुसार, NISAR सैटेलाइट को 7 नवंबर 2025 से आधिकारिक रूप से ऑपरेशनल घोषित किया जाएगा। इसके बाद इसका मुख्य मिशन शुरू होगा।

NISAR की तकनीकी विशेषताएं
NISAR में दो प्रकार के रडार सिस्टम हैं—L-बैंड और S-बैंड, जो बादलों के पार कर पृथ्वी पर स्थित वनस्पति, मिट्टी की नमी, भूमि ईस्थलीकरण और हिम परिवर्तन की निगरानी कर सकते हैं।

मिशन का महत्व
इस सैटेलाइट के जरिए प्राकृतिक आपदाओं का सटीक मूल्यांकन, कृषि के लिए निगरानी और जलवायु परिवर्तन के अध्ययन में सहयता मिलेगी। यह भारत को विश्व स्तरीय अंतरिक्ष अनुसंधान में मजबूत पद पर रखने में मदद करेगा।

ISRO और NASA का सहयोग
यह मिशन भारत और अमेरिका की वैज्ञानिक ताकतों के मेल का उदाहरण है, जहां भारत ने प्रक्षेपण यान और संचालन में विशेषज्ञता प्रदान की जबकि NASA ने उन्नत रडार टेक्नोलॉजी और डेटा हैंडलिंग की जिम्मेदारी संभाली।

भविष्य के अंतरिक्ष मिशन
ISRO जनवरी 2026 में गगनयान कार्यक्रम के तहत पहला क्रूलेस मिशन लॉन्च करने वाला है। साथ ही, भारत अपने पहले अंतरिक्ष स्टेशन मॉड्यूल लॉन्च की योजना बना रहा है, जो 2028 तक पूरा होगा।

FAQs

1. NISAR सैटेलाइट कब ऑपरेशनल होगा?
7 नवंबर 2025 से यह आधिकारिक रूप से संचालित होगा।

2. NISAR सैटेलाइट के मुख्य कार्य क्या हैं?
यह पृथ्वी के पर्यावरणीय परिवर्तनों, प्राकृतिक आपदाओं और कृषि की निगरानी करेगा।

3. ISRO और NASA की भूमिका क्या है?
ISRO प्रक्षेपण यान और संचालन, NASA उन्नत रडार सेंसर्स और डेटा हैंडलिंग का कार्य करता है।

4. NISAR में कौन-कौन से रडार होते हैं?
L-बैंड और S-बैंड रडार जो बादलों और वनस्पति का अवलोकन करते हैं।

5. भारत के गगनयान प्रोजेक्ट का क्या हाल है?
पहला क्रूलेस मिशन जनवरी 2026 में है, और 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन लॉन्च होगा।

6. NISAR डेटा का उपयोग कैसे होगा?
कृषि, जलवायु विज्ञान, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण मॉनिटरिंग में किया जाएगा।

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