smoking हर साल विश्व में 80 लाख से ज़्यादा और भारत में लगभग 10–12 लाख मौतों से जुड़ा है। जानें, सिगरेट छोड़ने के बाद कितने समय में क्या–क्या फायदे मिलते हैं और छोड़ने का आसान प्लान।
Smoking छोड़ने का असली फायदा क्या है?
धूम्रपान अभी भी दुनिया की सबसे बड़ी रोकथाम–योग्य मौतों में से एक है; विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार तंबाकू हर साल 80 लाख से ज़्यादा लोगों की जान लेता है, जिनमें लगभग 13 लाख लोग पैसिव स्मोक यानी सेकेंड–हैंड स्मोक से प्रभावित होते हैं।
भारत में अलग–अलग रिपोर्ट्स के हिसाब से तंबाकू से जुड़ी कुल मौतें 10–12 लाख के आसपास मानी जाती हैं, जो देश में होने वाली सभी मौतों का करीब 9–10 प्रतिशत हिस्सा बनती हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि साइंटिफिक डेटा साफ़ दिखाता है – आप चाहे कितने भी साल से स्मोकिंग कर रहे हों, छोड़ने के कुछ मिनटों से लेकर सालों के भीतर आपके दिल, फेफड़ों और शरीर पर बहुत बड़ा पॉज़िटिव असर शुरू हो जाता है।
सेक्शन 1: दुनिया और भारत में तंबाकू का बोझ – कुछ कड़वे आंकड़े
WHO के ताज़ा फैक्ट शीट के मुताबिक, दुनिया भर में लगभग 1.25 बिलियन एडल्ट तंबाकू यूज़र हैं और तंबाकू उन लोगों में से लगभग आधे को मार देता है जो इसे छोड़ते नहीं हैं। सालाना 80 लाख से ज़्यादा लोग सीधे या सेकेंड–हैंड स्मोक की वजह से समय से पहले मर जाते हैं, जिनमें ज़्यादातर कम–और–मीडियम–इनकम देशों से हैं।
WHO की रिपोर्ट बताती है कि 15 वर्ष से ऊपर की जनसंख्या में तंबाकू यूज़ की दर कई देशों में घट रही है, लेकिन साउथ–ईस्ट एशिया रीजन (जिसमें भारत भी शामिल है) अभी भी दुनिया में सबसे ऊँचे प्रेवेलेंस वाले क्षेत्रों में है, जहाँ 2022–24 के अनुमान के अनुसार करीब 26 प्रतिशत एडल्ट्स तंबाकू का कुछ न कुछ रूप इस्तेमाल करते हैं।
भारतीय तस्वीर भी कम चिंता–जनक नहीं है:
- Campaign for Tobacco-Free Kids और अन्य सोर्स के मुताबिक, भारत में केवल स्मोकिंग और सेकेंड–हैंड स्मोक की वजह से हर साल लगभग 12 लाख लोगों की मृत्यु होती है।
- ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे और अन्य डेटाबेस के अनुसार, भारत में 2019–2024 के बीच लगभग 10 करोड़ से भी ज़्यादा लोग सिगरेट या बीड़ी जैसे स्मोक्ड तंबाकू उत्पादों का उपयोग करते रहे हैं, जबकि कुल सभी प्रकार के तंबाकू यूज़र्स की संख्या 25 करोड़ से ऊपर बताई गई है।
सेक्शन 2: सिर्फ फेफड़े नहीं – सिगरेट शरीर के almost हर अंग को क्यों नुकसान पहुंचाती है
WHO और विभिन्न कैंसर एजेंसीज़ के अनुसार तंबाकू के धुएं में 7,000 से ज़्यादा केमिकल्स पाए जाते हैं, जिनमें कम से कम 70 ऐसे हैं जो कैंसर पैदा कर सकते हैं। यह केमिकल्स डीएनए को नुकसान, ब्लड वेसल्स की लाइनिंग में सूजन और क्लॉटिंग की प्रवृत्ति बढ़ाकर फेफड़ों के साथ–साथ हार्ट, ब्रेन, किडनी और दूसरे अंगों पर भी हमला करते हैं।
सिगरेट पीने वालों में:
- फेफड़ों के कैंसर का रिस्क नॉन–स्मोकर्स की तुलना में कई गुना बढ़ जाता है, और दुनिया भर में लगभग 80–85 प्रतिशत लंग कैंसर केस स्मोकिंग से जुड़े माने जाते हैं।
- हार्ट अटैक, स्ट्रोक, परिफेरल आर्टेरियल डिज़ीज, COPD (क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिज़ीज), क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, इम्फ़ाइज़ेमा, मौखिक, इसोफेगल, ब्लैडर और पैंक्रियाटिक कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का रिस्क भी कई गुना बढ़ जाता है।
सेक्शन 3: भारत–फ़ोकस – कितने लोग, कितनी मौतें, कितना नुकसान
ग्लोबल रिपोर्ट्स और देश–विशेष डेटा के आधार पर अनुमान है कि भारत में स्मोकिंग–रिलेटेड मौतें 2021 के आसपास लगभग 10.4 लाख के करीब थीं, जो देश की कुल मौतों का लगभग 9 प्रतिशत हिस्सा हैं। इनमें पुरुषों में स्मोकिंग से होने वाली मौतों का प्रतिशत महिलाओं की तुलना में कई गुना ज़्यादा दिखाया गया है।
इसी के साथ, भारत में स्मोकलेस तंबाकू (गुटखा, खैनी, पान मसाला आदि) के उपयोग की दर दुनिया में सबसे ऊँची मानी जाती है, और अनुमानित 2.3 लाख से ज़्यादा मौतें सिर्फ स्मोकलेस तंबाकू की वजह से होती हैं। लगभग 90 प्रतिशत ओरल कैंसर्स में स्मोकलेस तंबाकू प्रमुख कारण के रूप में सामने आता है, जबकि स्मोकिंग से लंग, इसोफेगल और अन्य कैंसर बढ़ते हैं।
सेक्शन 4: धूम्रपान छोड़ने के बाद टाइमलाइन – 20 मिनट से 20 साल तक शरीर में क्या होता है?
कई सार्वजनिक स्वास्थ्य गाइड्स, क्लीनिकल स्टडीज़ और राष्ट्रीय हेल्थ सर्विसेज़ ने क्विट–स्मोकिंग के स्वास्थ्य लाभों की समय–रेखा को बहुत स्पष्ट रूप से समझाया है। नीचे एक सिंपल टाइमलाइन दी जा रही है:
सेक्शन 5: निकोटिन की लत कैसे फंसाती है – दिमाग के अंदर क्या होता है
सिगरेट में मौजूद निकोटिन बहुत तेज़ी से ब्लड–ब्रेन बैरियर पार करके कुछ ही सेकंड में दिमाग तक पहुंचता है और डोपामिन जैसे न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज़ करवाता है, जिससे “राहत”, “फोकस” और हल्की–सी खुशी जैसी फीलिंग आती है।
समय के साथ दिमाग इन केमिकल बदलावों का आदी हो जाता है और वही फीलिंग पाने के लिए ज़्यादा निकोटिन की मांग करने लगता है, जिसे टॉलरेंस कहते हैं। जब निकोटिन नहीं मिलता, तो चिड़चिड़ापन, बेचैनी, चिंता, भूख बढ़ना, सोने में दिक्कत जैसे विदड्रॉल लक्षण उभरते हैं – यही वो फेज़ है जहां ज़्यादातर लोग फिर से सिगरेट उठा लेते हैं।
सेक्शन 6: स्मोकिंग छोड़ने की कोशिश क्यों फेल होती है – आम गलतियाँ
कई सर्वे बताते हैं कि ज़्यादातर स्मोकर्स हर साल कम से कम एक बार सिगरेट छोड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन बिना प्लान, सपोर्ट और सही टूल्स के यह कोशिश कुछ दिनों या हफ्तों में टूट जाती है।
आम गलतियाँ:
- “कल से छोड़ दूँगा” – बिना ठोस क्विट डेट, बिना तैयारी निकोटिन विदड्रॉल से निपटना मुश्किल हो जाता है।
- ट्रिगर को न पहचानना – कौन–से समय, जगह, भावनाएँ या लोग आपको सिगरेट की याद दिलाते हैं, इस पर ध्यान न देना।
- “कॉल्ड टर्की” करके अकेले जूझना – बिना किसी सपोर्ट, काउंसलिंग या मेडिकेशन के; रिसर्च दिखाती है कि सपोर्ट और/या दवा के साथ क्विट–रेट कहीं ज़्यादा बेहतर होते हैं।
सेक्शन 7: भारतीय स्मोकर्स के लिए 7–स्टेप प्रैक्टिकल क्विट–प्लान
- क्विट डेट तय करें और लिखकर रखें
अगले 2–4 हफ्तों में किसी एक निश्चित तारीख को “क्विट डे” बनाइए, जैसे जन्मदिन, शादी की सालगिरह या कोई और यादगार दिन, ताकि दिमाग उसे खास माने। - ट्रिगर की लिस्ट बनाएं
नोटबुक या फोन में लिखें – “कब सिगरेट की सबसे ज़्यादा याद आती है?” सुबह की चाय/कॉफी, ऑफिस ब्रेक, दोस्तों के साथ, तनाव के समय, शराब के साथ, ट्रैफिक में फंसे होने पर आदि। हर ट्रिगर के सामने उसके विकल्प भी लिखें (जैसे कॉफी के साथ नट्स, स्टिक, वॉक, पानी, च्युइंग–गम, डीप ब्रीदिंग)। - फैमिली और दोस्तों को बताएं
WHO और अन्य पब्लिक हेल्थ गाइड्स मानते हैं कि सोशल सपोर्ट क्विट–रेट बढ़ाने में बड़ा फैक्टर है। घरवालों और क्लोज़ फ्रेंड्स को साफ़–साफ़ बता दें कि आप छोड़ रहे हैं और उनसे “नो ऑफर, नो जजमेंट, सिर्फ सपोर्ट” की उम्मीद है। - मेडिकल हेल्प और निकोटिन रिप्लेसमेंट पर विचार करें
कई देशों की गाइडलाइंस (जैसे UK NHS) कहती हैं कि निकोटिन रिप्लेसमेंट थैरेपी (NRT – पैच, गम, लोन्ज़, इनहेलर), बुप्रोपियन या वरनिक्लिन जैसी दवाओं के साथ और काउंसलिंग जोड़ने पर क्विट–रेट लगभग दोगुना या उससे ज़्यादा हो सकते हैं। भारत में भी कई सरकारी/निजी अस्पताल और टेली–काउंसलिंग सर्विसेस स्मोकिंग से छुटकारा पाने में मदद देती हैं। - “पहले सप्ताह” की तैयारी – विदड्रॉल प्लान
विदड्रॉल के लक्षण अक्सर पहले 3–7 दिनों में सबसे ज़्यादा होते हैं – जैसे चिड़चिड़ापन, सिर दर्द, भूख बढ़ना, नींद में कमी, फोकस में दिक्कत। इस हफ्ते के लिए:- ढेर सारा पानी, फल, हल्की–फुल्की हेल्दी स्नैक्स (नट्स, चना, सलाद) रखिए।
- छोटे–छोटे ब्रेक में वॉक या सीढ़ियाँ चढ़–उतर कर आएँ।
- डीप ब्रीदिंग या 5–10 मिनट की स्ट्रेचिंग की आदत डालें।
- रोज़ाना “छोटा–सा इनाम” सिस्टम
रोज़ जितनी सिगरेट आप नहीं पी रहे हैं, उसकी कीमत अलग रखिए – हफ्ते भर में जमा रकम से कुछ अच्छा खरीदिए, ताकि दिमाग समझे कि “लत छोड़ने से नुकसान नहीं, फायदा हो रहा है।” - रिलैप्स को फेल नहीं, फीडबैक मानें
अगर बीच में एक–दो सिगरेट हो भी जाए, तो पूरा प्लान फेंक देने की ज़रूरत नहीं; रिसर्च बताती है कि कई सफल एक्स–स्मोकर्स ने भी 2–3 सीरियस कोशिशों के बाद स्थाई तौर पर छोड़ा। ज़रूरी यह है कि आप समझें – किस सिचुएशन में फिसले, अगली बार उसी जगह कैसे तैयार रहेंगे।
सेक्शन 8: स्मोकर्स के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल चेकलिस्ट
- रोज़ कम से कम 30 मिनट तेज़ चाल से वॉक या कोई भी कार्डियो एक्सरसाइज़ – इससे स्ट्रेस कम होता है और फेफड़ों–दिल पर पॉज़िटिव असर पड़ता है।
- फल–सब्जियाँ, फाइबर, हेल्दी फैट (नट्स, सीड्स, मछली) और कम प्रोसेस्ड फूड – ताकि शरीर की रिकवरी जल्दी हो सके और वजन अनावश्यक रूप से न बढ़े।
- शराब और हाई–कैफीन ड्रिंक्स से सावधानी, क्योंकि कई लोगों के लिए ये “ट्रिगर कॉम्बो” होते हैं – शराब पीते ही सिगरेट की इच्छा बढ़ जाती है।
- सालाना या डॉक्टर की सलाह के मुताबिक हेल्थ चेक–अप – खासकर लंग फंक्शन, ब्लड प्रेशर, लिपिड प्रोफाइल और अगर लॉन्ग–टर्म हेवी स्मोकर रहे हैं तो लंग कैंसर स्क्रीनिंग (जहाँ उपलब्ध हो)।
FAQs
- क्या बहुत सालों से स्मोकिंग कर रहा हूँ, तो अब छोड़ने से भी कोई फायदा होगा?
हाँ। WHO और कई हेल्थ एजेंसीज़ के डेटा के अनुसार, स्मोकिंग छोड़ने के कुछ मिनटों से ही आपका शरीर रिकवर करना शुरू कर देता है और 1–2 साल में हार्ट डिज़ीज का रिस्क आधा तक गिर सकता है, जबकि 10 साल पर लंग कैंसर से मौत का रिस्क करीब 50 प्रतिशत कम हो सकता है। उम्र चाहे जो भी हो, छोड़ने से हमेशा फायदा होता है। - अगर मैं दिन में सिर्फ 3–4 सिगरेट पीता हूँ, तो क्या इतना हानिकारक है?
स्टडीज़ दिखाती हैं कि “लाइट स्मोकिंग” भी हार्ट डिज़ीज, स्ट्रोक और कैंसर के जोखिम को नॉन–स्मोकर की तुलना में काफी बढ़ा देती है; दिन में कुछ ही सिगरेट से भी रक्त वाहिकाओं को नुकसान और क्लॉट का जोखिम बढ़ सकता है। कोई भी “सेफ़” लेवल नहीं माना जाता, इसलिए पूरा छोड़ना ही सबसे अच्छा विकल्प है। - क्या ई–सिगरेट या वेपिंग पर शिफ्ट करना सुरक्षित समाधान है?
WHO और कई नेशनल हेल्थ एजेंसियाँ स्पष्ट रूप से कहती हैं कि ई–सिगरेट भी निकोटिन और कई हानिकारक केमिकल्स का स्रोत हो सकती हैं और इन्हें सुरक्षित विकल्प के रूप में प्रमोट नहीं किया जाता, खासकर युवाओं और नॉन–स्मोकर्स के लिए। क्विट–प्लान का लक्ष्य पूरी तरह निकोटिन–फ्री होना होना चाहिए, न कि केवल एक रूप से दूसरे रूप में जाना। - स्मोकिंग छोड़ते ही वजन क्यों बढ़ने लगता है और इसे कैसे कंट्रोल करें?
निकोटिन मेटाबॉलिज़्म को थोड़ा तेज़ और भूख को दबा देता है, इसलिए छोड़ने पर भूख और स्वाद बढ़ता है, साथ ही लोग स्ट्रेस में ज़्यादा खाना शुरू कर देते हैं। हल्का–फुल्का हेल्दी स्नैक (सलाद, फल, नट्स), पानी, नियमित वॉक और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से वजन को काफी हद तक कंट्रोल में रखा जा सकता है, और लंबे समय में धूम्रपान छोड़ने वाले का स्वास्थ्य लाभ मामूली वजन बढ़ने से कहीं ज़्यादा बड़ा होता है। - भारत में स्मोकिंग छोड़ने के लिए मदद कहाँ मिल सकती है?
कई सरकारी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और प्राइवेट हॉस्पिटल्स में “टोबैको–सीसेशन क्लीनिक” चलते हैं, जहाँ डॉक्टर, काउंसलर और कभी–कभी दवा/निकोटिन रिप्लेसमेंट की सुविधा मिलती है। इसके अलावा, कुछ राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर हेल्पलाइन और मोबाइल–आधारित प्रोग्राम भी शुरू किए गए हैं, जो फोन या मैसेज के जरिए मोटिवेशन, टिप्स और फॉलो–अप सपोर्ट देते हैं; अपने नज़दीकी डॉक्टर से ऐसे प्रोग्राम्स के बारे में जानकारी ली जा सकती है।
Leave a comment