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Pakistan’s Claim: भारत के खिलाफ चीनी हथियारों ने दमदार प्रदर्शन किया

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Chinese fighter jet
(Ai Generated)
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पाकिस्तानी सेना के एक आंतरिक ऑडिट में दावा किया गया है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारी नुकसान के बावजूद चीनी हथियार ‘अपवादस्वरूप अच्छा’ प्रदर्शन कर रहे थे। भारतीय सूत्रों ने इस दावे को खारिज करते हुए इसे ‘नुकसान को कम करके आंकने की कोशिश’ बताया है।

चीनी हथियारों पर पाकिस्तान का बयान, भारतीय सेना के सामने ऑप सिंदूर में मिली थी शिकस्त

पाकिस्तानी सेना के एक आंतरिक ऑडिट में चौंकाने वाला दावा किया गया है कि पिछले महीने भारत के खिलाफ हुई एक बड़ी सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारी नुकसान और रणनीतिक विफलता के बावजूद, पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किए गए चीनी हथियार “अपवादस्वरूप अच्छा” (Exceptionally Well) प्रदर्शन कर रहे थे। यह दावा एक ऐसे समय में सामने आया है जब पाकिस्तानी रक्षा प्रतिष्ठान अपनी सैन्य क्षमताओं, विशेष रूप से चीन पर निर्भरता पर सवालों के घेरे में है। भारतीय सुरक्षा सूत्रों ने इस दावे को “हार को जायज ठहराने की एक बेताब कोशिश” और “वास्तविकता से कोसों दूर” बताया है।

यह रिपोर्ट एक सैन्य ऑडिट पर आधारित है जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद कराया गया था, जिसमें पाकिस्तान को भारी मात्रा में सैन्य उपकरणों का नुकसान उठाना पड़ा था और उसके कई सैन्य ठिकाने नष्ट हो गए थे। इस ऑडिट का मकसद ऑपरेशन की विफलता के कारणों की जांच करना और हथियार प्रणालियों के प्रदर्शन का आकलन करना था।

ऑपरेशन सिंदूर

‘ऑपरेशन सिंदूर’ पाकिस्तान द्वारा शुरू की गई एक बड़ी सैन्य कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य भारतीय सीमा में एक सीमित क्षेत्र पर कब्जा करना या रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नुकसान पहुंचाना था। हालांकि, यह ऑपरेशन पूरी तरह से विफल रहा और पाकिस्तानी सेना को भारी कीमत चुकानी पड़ी।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान की ओर से कम से कम 5 JF-17 थंडर फाइटर जेट, कई VT-4 मेन बैटल टैंक, और कम से कम एक महत्वपूर्ण एयर डिफेंस रडार सिस्टम नष्ट हो गए थे। इसके अलावा, सीमा पार स्थित कई पाकिस्तानी सैन्य चौकियों और गोला-बारूद के डिपो को भारतीय सटीक हमलों में निशाना बनाया गया था। पाकिस्तानी सेना के एक बड़े number of सैनिकों के हताहत होने की भी खबरें हैं।

पाकिस्तानी ऑडिट के मुख्य दावे

पाकिस्तानी सेना के आंतरिक ऑडिट ने ऑपरेशन की समग्र विफलता को तो स्वीकार किया, लेकिन हथियार प्रणालियों के प्रदर्शन पर एक अलग राय रखी।

ऑडिट रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीनी-निर्मित हथियार, विशेष रूप से उन्नत मिसाइल सिस्टम और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट, “ऑप्टिमम परफॉर्मेंस” पर चल रहे थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन हथियारों ने “डिजाइन के अनुसार” काम किया और उनकी तकनीकी विफलता ऑपरेशन के नतीजे के लिए जिम्मेदार नहीं थी।

रिपोर्ट ऑपरेशन की विफलता के लिए मुख्य रूप से “रणनीतिक गलतफहमी” (Strategic Misjudgment), “खराब योजना” और “भारतीय प्रतिक्रिया की गलत समझ” को जिम्मेदार ठहराती है। दूसरे शब्दों में, ऑडिट का निष्कर्ष है कि हथियार नहीं, बल्कि रणनीति और कमान में कमी हार का कारण बनी।

ऑडिट में यह भी स्वीकार किया गया है कि भारतीय सेना की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताएं (Electronic Warfare Capabilities) प्रत्याशित से कहीं अधिक मजबूत थीं, जिसने पाकिस्तानी संचार और निर्देशित हथियार प्रणालियों को चुनौती दी। हालाँकि, रिपोर्ट जोर देकर कहती है कि चीनी हथियारों ने इस चुनौतीपूर्ण वातावरण में “अच्छी तरह से पकड़ बनाए रखी”।

भारतीय रक्षा सूत्रों ने पाकिस्तान के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह एक क्लासिक केस है जहाँ कोई अपनी नाकामी को टेक्नोलॉजी की बजाय रणनीति पर थोप रहा है। सच्चाई यह है कि उनके चीनी प्लेटफॉर्म हमारे integrated air defence network और electronic countermeasures का सामना नहीं कर पाए।”

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का यह बयान दो उद्देश्यों को पूरा करता है। पहला, यह अपने सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार चीन के साथ संबंधों को बनाए रखने की कोशिश है। चीनी हथियारों की आलोचना करना इस रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकता है। दूसरा, यह घरेलू स्तर पर सेना की छवि को बचाने का प्रयास है, यह दिखाने के लिए कि उनके पास तकनीकी क्षमता थी लेकिन रणनीतिक स्तर पर चूक हुई।

इससे पता चलता है कि भारत की घरेलू रूप से विकसित और पश्चिमी प्रौद्योगिकी से लैस सेना, पाकिस्तान की चीन-केंद्रित रणनीति पर एक महत्वपूर्ण बढ़त बनाए हुए है। भविष्य में, पाकिस्तान के लिए चीनी हथियारों पर निर्भरता एक बड़ी रणनीतिक कमजोरी साबित हो सकती है, खासकर तब जब भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमताओं का आधुनिकीकरण कर रहा है।

(FAQs)

1. ऑपरेशन सिंदूर क्या था?
ऑपरेशन सिंदूर पाकिस्तानी सेना द्वारा शुरू की गई एक बड़ी सैन्य कार्रवाई थी, जो भारत के खिलाफ थी। विवरणों को अभी भी गोपनीय रखा गया है, लेकिन रिपोर्ट्स से पता चलता है कि यह एक सीमित आक्रमण या बड़े पैमाने की झड़प थी जिसमें पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा।

2. पाकिस्तान ने चीनी हथियारों की प्रशंसा क्यों की?
विश्लेषकों का मानना है कि यह एक राजनीतिक और रणनीतिक कदम है। इससे पाकिस्तान अपने मुख्य सैन्य आपूर्तिकर्ता चीन के साथ संबंधों को बनाए रखना चाहता है और घरेलू स्तर पर यह दिखाना चाहता है कि उसके पास बेहतर हथियार थे, लेकिन योजना या नेतृत्व में कमी के कारण हार हुई।

3. क्या चीनी हथियार वास्तव में प्रभावी हैं?
चीनी हथियार अक्सर अच्छी कीमत और उपलब्धता प्रदान करते हैं। हालाँकि, उन्नत पश्चिमी या भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकियों की तुलना में, वे कभी-कभी इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, सटीकता और network-centric warfare में पीछे रह जाते हैं। ऑपरेशन सिंदूर इसी अंतर को highlighted करता है।

4. भारत ने इस दावे पर क्या प्रतिक्रिया दी?
भारतीय सुरक्षा अधिकारियों और विशेषज्ञों ने पाकिस्तान के दावों को खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि यह दावा वास्तविकता से परे है और भारतीय वायु रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं के सामने चीनी हथियारों की सीमाओं को छुपाने का प्रयास है।

5. क्या इससे भारत-चीन संबंध प्रभावित होंगे?
इस विशिष्ट घटना का भारत-चीन संबंधों पर सीधा प्रभाव नहीं पड़ने की संभावना है, क्योंकि दोनों देशों के बीच पहले से ही जटिल मुद्दे चल रहे हैं। हालाँकि, यह भारतीय रक्षा योजनाकारों के लिए चीनी हथियारों की प्रभावशीलता against their own systems का एक और डेटा पॉइंट है।

6. क्या पाकिस्तान अब अपनी रक्षा रणनीति बदलेगा?
ऐसा हो सकता है। इस तरह की विफलता अक्सर सैन्य सुधारों को जन्म देती है। पाकिस्तान तुर्की जैसे अन्य देशों से हथियारों की खरीद बढ़ा सकता है या अपने घरेलू रक्षा उद्योग में और निवेश करने का प्रयास कर सकता है, हालाँकि यह दीर्घकालिक प्रक्रिया है।

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