19 नवंबर 2025 को मनाई जाने वाली Bala Jayanti पर जानें देवी बाला की पूजा की विधि, शुभ समय और उनके आराधना से प्राप्त होने वाले आध्यात्मिक लाभ।
Bala Jayanti 2025: देवी बाला की पूजा तिथि, समय और आध्यात्मिक महत्व
हिन्दू धार्मिक परंपरा में Bala Jayanti का विशेष स्थान है। यह पर्व मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 19 नवंबर 2025 को पड़ रही है। बाला जयंती पर पूजा के माध्यम से देवी बाला, त्रिपुरा सुंदरी की युवा और शक्तिशाली रूप की उपासना की जाती है।
Bala Jayanti 2025 की तिथि और शुभ समय
| कार्यक्रम | तिथि एवं समय |
|---|---|
| बाला जयंती | बुधवार, 19 नवंबर 2025 |
| चतुर्दशी तिथि प्रारंभ | 07:12 पूर्वाह्न, 18 नवंबर 2025 |
| चतुर्दशी तिथि समाप्ति | 09:43 पूर्वाह्न, 19 नवंबर 2025 |
पूजा विधि:
- दिन की शुरुआत शुद्ध और पवित्र स्नान से करें।
- देवी बाला के मंत्र और आराधना से शुभारंभ करें।
- सप्त सिद्धियां वाली देवी के रूप में उन्हें दूध, फल, पुष्प अर्पित करें।
- गायत्री मंत्र और विशेष सिद्धि मंत्रों का जाप करें।
- शास्त्रीय विधि से पितृ तर्पण और भोग अर्पित करें।
आध्यात्मिक महत्व:
देवी बाला ब्रह्मविद्या की संरक्षक हैं, जो ज्ञान, बुद्धि, वचन शक्ति और आंतरिक शक्ति प्रदान करती हैं। उनकी पूजा से शिष्य को आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सरलता मिलती है। बाला जयंती, धार्मिक साधना के प्रथम चरण के रूप में भी मानी जाती है।
FAQs
प्र1. बाला जयंती कब मनाई जाती है?
मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को।
प्र2. देवbी बाला कौन हैं?
त्रिपुरा सुंदरी की युवा, शक्तिशाली और ज्ञानदायिनी रूप।
प्र3. सटीक पूजा समय क्या है?
18 नवंबर सुबह 7:12 से 19 नवंबर सुबह 9:43 तक।
प्र4. पूजा के दौरान कौन-कौन से मन्त्र उच्चारित करें?
गायत्री मंत्र, सिद्धि मंत्र और ओम श्रीं बाला नमः जैसे मंत्र।
प्र5. बाला जयंती पर क्या विशेष अनुष्ठान होते हैं?
पृथक पूजा, पितृ तर्पण, दीप प्रज्वलन।
प्र6. इस दिन पूजा से क्या लाभ मिलते हैं?
ज्ञान, बुध्दि, शुद्धता और आध्यात्मिक प्रगति।
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