Rajasthan के कुलधरा गाँव की कहानी—पालीवाल ब्राह्मणों की रातों-रात पलायन, Salim Singh का अत्याचार, श्राप और अब तक अनसुलझा रहस्य। ASI द्वारा संरक्षित, भूतिया पर्यटन स्थल।
कुलधरा:Rajasthan का रहस्यमय भूतिया गाँव
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
कुलधरा गाँव 13वीं सदी में पालीवाल ब्राह्मणों द्वारा स्थापित हुआ था। यह समुदाय अपनी जलसंरक्षण कला, कृषि नवाचार और आत्मनिर्भरता के लिए प्रसिद्ध था—83 आसपास के गाँवों समेत कई सौ वर्षों तक सम्पन्न रहा।
रहस्य और लोककथा—Salim Singh और श्राप
1815-1825 में जैसलमेर के दीवान सलीम सिंह ने गाँव के मुखिया की बेटी से विवाह की इच्छा जताई। उसके अत्याचार और दबाव—भारी कर आदि—से पालीवालों ने रातों-रात पूरे गाँव को खाली कर दिया। साथ ही जाने से पहले श्राप दिया कि वहां कोई न बस सके; आज तक कोई भी वहाँ टिक कर नहीं रह पाया।
दूसरी ऐतिहासिक राय
कुछ इतिहासकार पानी की कमी, टैक्स का बोझ, व्यापार बाधा और सामाजिक आर्थिक संकट को भी संभावित कारण मानते हैं। अब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं, लोककथा सच या कल्पना की सीमा पर है।
वर्तमान पर्यटन और अनुभव
आज कुलधरा ASI द्वारा संरक्षित विरासत स्थल है, जैसलमेर से 18 किमी दूर है। यहाँ के खंडहर—संकरी गलियाँ, मंदिर, उजड़े घर—दृश्य में रहस्य और सन्नाटा घुला है। स्थानीय लोग अजीब आवाजें, अदृश्य परछाइयाँ, रहस्यमय वातावरण का अनुभव बताते हैं; रात में यहाँ रुकना मना है।
FAQs
- कुलधरा गाँव क्यों खाली हुआ?
- कथा अनुसार, सलीम सिंह के अत्याचार/दबाव से; कुछ इतिहासकार पानी की कमी, टैक्स, व्यापार संकट बताते हैं।
- क्या कुलधरा सच में श्रापित/भूतिया है?
- वहां क्या-क्या देखने मिलता है?
- क्या कुलधरा में रात में रुक सकते हैं?
- क्या यह पर्यटन स्थल है?
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