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स्काॅलरशिप बंद करने की साज़िश और मैट्रिक-इंटर परीक्षा में फीस वृद्धि के खिलाफ विधानसभा मार्च

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आइसा झारखंड के राज्यव्यापी आह्वान पर स्काॅलरशिप बंद करने की साज़िश और मैट्रिक-इंटर परीक्षा में फीस वृद्धि के खिलाफ विधानसभा मार्च

राँची । ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) झारखंड के राज्यव्यापी आह्वान पर हजारों छात्रों ने बिरसा मुंडा चौक से विधानसभा तक एक विशाल छात्र-मार्च निकालते हुए छात्रवृत्ति के समय पर भुगतान, मैट्रिक व इंटर परीक्षा शुल्क में की गई वृद्धि की वापसी तथा PEN (परमानेंट एजुकेशन नंबर) की अनिवार्यता खत्म करने की मांग को आवाज़ दी। इस मार्च में विभिन्न विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और प्रोफेशनल कोर्सों के छात्रों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर सरकार का ध्यान छात्रों पर बढ़ते आर्थिक बोझ की ओर आकर्षित किया।
आइसा ने आरोप लगाया कि राज्य में लाखों छात्र अब भी लंबित छात्रवृत्ति के भुगतान का इंतजार कर रहे हैं, जिसके कारण कॉलेज फीस, रूम किराया, ट्यूशन और प्रतिदिन के खर्चों को वहन करना उनके लिए बेहद कठिन हो गया है। आर्थिक तंगी के चलते अनेक छात्रों की पढ़ाई बाधित हो रही है, जो पूरे राज्य के भविष्य के लिए चिंताजनक है।
इसी बीच जैक द्वारा मैट्रिक और इंटर परीक्षा शुल्क में लगभग 25% वृद्धि किए जाने से आदिवासी, दलित, पिछड़े और वंचित समुदायों के छात्रों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ गया है। आइसा नेताओं ने कहा कि यह निर्णय राज्य में पहले से ही अधिक ड्रॉपआउट दर को और बढ़ाने वाला कदम है।
साथ ही आइसा ने PEN (परमानेंट एजुकेशन नंबर) की अनिवार्यता को पूरी तरह अव्यवहारिक बताया। कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 20% छात्र सिर्फ PEN न होने के कारण आवेदन से वंचित हो रहे हैं। छात्रों को आवश्यक कागजात बनवाने में समय और पैसा दोनों खर्च करने पड़ रहे हैं, जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
मार्च के दौरान सरकार के इशारे पर पुलिस प्रशासन द्वारा तीन बार शांतिपूर्ण विधानसभा मार्च को दबाने की कार्रवाई भी सामने आई। आइसा के राज्यव्यापी आह्वान पर आयोजित इस विधानसभा मार्च में पुलिस ने सैकड़ों छात्रों को डिटेन किया और कई जगह छात्रों को जबरन बसों में घसीटकर बैठाया। इस प्रक्रिया में कई छात्र-छात्राएँ को गंभीर चोटे भी लगी। आइसा ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का खुला दमन बताते हुए कहा कि यह सरकार की छात्र-विरोधी मानसिकता को उजागर करता है।
मार्च के दौरान आइसा के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के नाम संबंधित अधिकारियों को एक चार-सूत्री मांग-पत्र भी सौंपा।
जिसमें प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं-

  1. सभी कोर्सों के छात्रों की लंबित छात्रवृत्तियों का तत्काल भुगतान और भविष्य में कोई बाधा न आए, इसकी गारंटी की जाएं।
  2. छात्रवृत्ति प्रक्रिया में आने वाली तकनीकी त्रुटियों और कार्यालयों के चक्कर से स्थायी मुक्ति, साथ ही पर्याप्त अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति की जाएं।
  3. मैट्रिक और इंटर परीक्षा शुल्क में की गई वृद्धि को अविलंब वापस लेना।
  4. PEN (परमानेंट एजुकेशन नंबर) की अनिवार्यता तुरंत समाप्त करना।

आइसा झारखंड राज्य कमिटी ने कहा कि शिक्षा को सुगम, सुलभ और समान अवसरों वाला बनाना सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है। यदि सरकार छात्रों की इन अत्यंत महत्वपूर्ण समस्याओं पर तत्काल कार्रवाई नहीं करती है, तो विद्यार्थियों के साथ मिलकर आंदोलन को पूरे राज्य में और तेज किया जाएगा।

विधानसभा मार्च के दौरान मौके पर आइसा झारखंड राज्य अध्यक्ष विभा पुष्पा दीप, राज्य सचिव त्रिलोकीनाथ, इसके राज्य पदाधिकारी चेतलाल महतो संजना मेहता, विजय कुमार, स्नेहा महतो, रितेश मिश्रा, जयजीत मुखर्जी, रंजीत सिंह चेरो, राहुल राज मंडल, अमन पांडे, गुड्डू भुइंया, गौतम दांगी, नागेन्द्र राम, आशीष, जुली उरांव, रेशमी मुंडा, अनुराग राॅय, शामली, सावित्री मुंडा, आशीष प्रजापति, प्रवीण मेहता, रूपेश आदि आइसा एक्टिविस्ट उपस्थित थे।

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