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भारत का नया ट्रैकिंग नियम: हर मोबाइल की लाइव लोकेशन सरकार को – सिक्योरिटी या जासूसी?

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Govt Wants Live Location Data from All Phones: The Privacy Debate Explained
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भारत सरकार का फोन लोकेशन ट्रैकिंग प्रस्ताव: सभी मोबाइल्स की रीयल-टाइम लोकेशन ट्रैकिंग। प्राइवेसी चिंताएं, सिक्योरिटी दावा, विशेषज्ञ राय। कानून पास होगा या रुकेगा?

फोन ट्रैकिंग प्रस्ताव पर बवाल: प्राइवेसी खत्म, क्या आप सहमत हैं इस कानून से?

भारत में फोन लोकेशन ट्रैकिंग का नया प्रस्ताव: प्राइवेसी खतरे में या अपराध रोकने का हथियार?

दोस्तों, एक ऐसा प्रस्ताव सामने आया है जो हर स्मार्टफोन यूजर को सोचने पर मजबूर कर देगा। भारत सरकार टेलीकॉम डिपार्टमेंट (DoT) के जरिए सभी मोबाइल फोन्स की रीयल-टाइम लोकेशन ट्रैकिंग अनिवार्य करने पर विचार कर रही। मतलब आप जहां भी जाएं, सरकार को इंस्टेंट पता चले। नाम है ‘लोकेशन बेस्ड सर्विसेज’ लेकिन एक्सपर्ट्स इसे सरकारी जासूसी बता रहे। प्राइवेसी एडवोकेट्स चिल्ला रहे – ये संविधान के आर्टिकल 21 (प्राइवेसी का अधिकार) का उल्लंघन। सरकार कहती – क्राइम प्रिवेंशन और नेशनल सिक्योरिटी के लिए जरूरी। आइए पूरी डिटेल समझें।

प्रस्ताव 7 दिसंबर 2025 को Gizmochina ने रिपोर्ट किया। DoT चाहता सभी टेलीकॉम कंपनियां (Airtel, Jio, Vi) यूजर लोकेशन डेटा कलेक्ट करें। GPS, WiFi, टावर ट्रायंगुलेशन से। स्टोरेज 6 महीने तक। RTI या कोर्ट ऑर्डर पर एक्सेस। लेकिन रीयल-टाइम ट्रैकिंग के लिए वारंट की जरूरत नहीं। पायलट प्रोजेक्ट बड़े शहरों में। लागत टेलीकॉम पर – कस्टमर बिल बढ़ सकता।

प्रस्ताव की मुख्य बातें: क्या होगा बदलाव?

  • सभी फोन्स (स्मार्टफोन + फीचर फोन) ट्रैक।
  • लोकेशन एक्यूरेसी 10-50 मीटर।
  • डेटा सेंट्रलाइज्ड सर्वर पर।
  • इमरजेंसी (टेरर, किडनैप) में इंस्टेंट एक्सेस।

यहां एक टेबल से समझें प्रस्ताव vs मौजूदा सिस्टम:

पैरामीटरनया प्रस्तावमौजूदा सिस्टम (IT Act 2000)
ट्रैकिंग टाइपरीयल-टाइम, ऑटोमैटिकऑन-डिमांड, वारंट जरूरी
कवरेजसभी फोन्स, 24/7सिर्फ टारगेटेड, लिमिटेड
स्टोरेज6 महीने2 साल (कॉल रिकॉर्ड्स)
एक्सेस एजेंसीपुलिस, IB, RAWकोर्ट ऑर्डर पर
प्राइवेसी सेफगार्डडेटा एनक्रिप्शन (दावा)न्यूनतम

5 FAQs

  1. फोन ट्रैकिंग प्रस्ताव क्या है?
    DoT का प्लान सभी फोन्स की रीयल-टाइम लोकेशन कलेक्ट।
  2. कौन एक्सेस करेगा डेटा?
    पुलिस, इंटेलिजेंस एजेंसीज।
  3. प्राइवेसी प्रोटेक्शन कैसे?
    एनक्रिप्शन दावा, लेकिन डाउट।
  4. कब लागू होगा?
    पायलट 2026, फुल 2027।
  5. विरोध क्यों?
    मास सर्विलांस, डेटा लीक फियर।
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