राँची । झारखंड आंदोलन के मसीहा वीर शहीद निर्मल महतो की 75वीं जयंती के अवसर पर संपूर्ण झारखंड में उनके संघर्षों को याद किया गया।झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा सिल्ली विधानसभा ने सोनाहातु जाड़ेया में स्थित शहीद निर्मल महतो की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण किया।मौके पर केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष सह सिल्ली विधानसभा पूर्व प्रत्याशी देवेंद्र नाथ महतो ने कहा कि आज के दिन समस्त झारखंडवासी शहीद निर्मल महतो के संघर्ष को याद कर रहे हैं,जिन्होंने झारखंड के माटी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।उन्होंने शोषित – वंचित वर्गों, गरीबों, मजदूरों और किसानों के हक अधिकार के लिए सुदखरों और शोषकों के खिलाफ आंदोलन चलाया।युवा अवस्था से ही उन्होंने शोषित समाज की पीड़ा को महसूस किया और छात्र जीवन से ही आंदोलन की राह पकड़ लिया था।झारखंड अलग राज्य की मांग के लिए युवाओं को संगठित किया।प्रशासनिक दमन के बावजूद रेलियां, धारणाएं और जुलूस आयोजित कर अलग झारखंड की मांग को राष्ट्रीय पटल तक पहुंचाया। 25 दिसंबर 1950 ई. को जमशेदपुर के कदमा, उलियान के एक साधारण परिवार में जन्मे निर्मल महतो के संघर्ष आज भी युवाओं को प्रेरित करती है। 8 अगस्त 1987 को चमरिया गेस्ट हाउस में हुई राजनीतिक षड्यंत्र के शिकार से मौत हुई।लेकिन उनका संघर्ष थमा नहीं है। उनका नारा “मेरा खून बेकार न जाए, मेरा खून का हिसाब रखना” आज भी झारखंडियों के रगों में दौड़ता हैं।उनकी शहादत अलग झारखंड राज्य आंदोलन को एक नई दिशा दिया। जिससे 15 नवंबर 2000 ई. को झारखंड राज्य का सपना साकार हुआ।शहीद निर्मल महतो का संघर्ष हमें सिखाता है कि सच्चा योद्धा आन्याय के आगे कभी झुकता नहीं है।
शहीद निर्मल महतो के त्याग, बलिदान और कुर्बानी से अलग झारखंड राज्य गठन तो हुआ। लेकिन उनका सपना झारखंडी आदिवासी मूलवासी का विकास, जल – जंगल- जमीन ,भाषा- संस्कृति – रीति – रिवाज का संरक्षण, समृद्ध झारखंड का सपना आज भी अधूरा है।झारखंड गठन के 25 साल बाद भी झारखंडियों को शासन – प्रशासन, नीति निर्माण और नियोजन में उचित हिस्सेदारी नहीं मिल पाई है।आज तक झारखंडियों को पहचान नहीं मिल पाया है।शहीद निर्मल महतो के सपने को साकार करना ही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम के मौके पर रंजीत महतो ,मोहन महतो, गदाधर महतो , प्रहलाद महतो के अलावा अन्य सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।
Leave a comment