Revised Child Rights Protection Act: लोकसभा में पेश बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम में हुए बड़े संशोधनराष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम में डिजिटल सुरक्षा पर विशेष जोर के साथ संशोधन प्रस्तावित। नाबालिगों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए नए कानूनों को व्यापक समर्थन प्राप्त।
बच्चों के ऑनलाइन जोखिमों से निपटने की दिशा में नया अधिनियम
भारत सरकार ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम में संशोधन हेतु प्रस्ताव लोकसभा में रखा है, जिसमें बच्चों के डिजिटल अधिकारों और ऑनलाइन सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। इस अधिनियम के बदलावों का उद्देश्य बच्चों को इंटरनेट और सोशल मीडिया पर बढ़ते खतरों से बचाना है।
संशोधित नियमों के तहत, सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स और अन्य ऑनलाइन इंटरैक्टिव सेवाओं को मजबूर किया जाएगा कि वे उपयोगकर्ताओं की उम्र का विश्वसनीय तरीके से सत्यापन करें, और केवल बच्चों के लिए उपयुक्त सामग्री और सेवाएं प्रदान करें। साथ ही माता-पिता को बच्चों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नियंत्रण रखने के लिए सशक्त अधिकार दिये जाएंगे।
इस अधिनियम में डिजिटल युग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए फेशियल एजिंग, सरकारी पहचान पत्र की सत्यापन प्रणाली, और डिजिटल वेरिफिकेशन ऐप्स को शामिल किया गया है। उपयोगकर्ताओं के निजी डेटा की सुरक्षा और संवेदनशील जानकारी के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है।
कानून की यह पहल न केवल नाबालिगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की रक्षा करेगी, बल्कि अभिभावकों को भी बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा का बेहतर नियंत्रण प्रदान करेगी।
विवाद और चुनौतियाँ
हालांकि यह अधिनियम बच्चों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम है, पर इसे गोपनीयता के दृष्टिकोण से विवादों का सामना भी करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि संवेदनशील जानकारी की सुरक्षा एक बड़ा प्रश्न है, और इसके लिए मजबूत डेटा सुरक्षा प्रोटोकॉल आवश्यक होंगे। साथ ही, तकनीकी रूप से छोटे प्लेटफॉर्म्स के लिए नियमों को लागू करना चुनौतीपूर्ण होगा।
FAQs
- यह अधिनियम किन प्लेटफॉर्म्स पर लागू होगा?
यह मुख्य रूप से उन सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर लागू होगा जो नाबालिगों तक पहुंच प्रदान करते हैं। - उपयोगकर्ताओं की आयु कैसे सत्यापित की जाएगी?
सरकारी पहचान पत्र, डिजिटल एप्लिकेशन और फेशियल एजिंग जैसी तकनीकों द्वारा आयु सत्यापन किया जाएगा। - यह नियम माता-पिता को क्या अधिकार देगा?
माता-पिता को बच्चों की ऑनलाइन गतिविधि पर नजर रखने और नियंत्रण करने के अधिक अधिकार दिये जाएंगे। - क्या इस अधिनियम से वयस्क उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता प्रभावित होगी?
संवेदनशील डेटा संग्रह के चलते गोपनीयता प्रभावित हो सकती है, इसलिए सुरक्षा उपायों पर जोर दिया गया है। - नियम न मानने पर क्या कार्रवाई होगी?
जो कंपनियां नियमों का पालन नहीं करेंगी, उन पर भरी जुर्माना और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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