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11,718 करोड़ की 2027 जनगणना: मोबाइल ऐप, CMMS पोर्टल और CaaS से गांव‑वार डेटा

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Rs 11,718 Crore Push for India’s First Online, Caste‑Based Count
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केंद्रीय कैबिनेट ने 11,718 करोड़ रुपये की लागत से 2027 की पहली पूरी तरह डिजिटल जनगणना को मंजूरी दी। हाउस लिस्टिंग 2026 में, पॉपुलेशन एन्यूमरेशन 2027 में होगी और दूसरी चरण में जाति डेटा भी इलेक्ट्रॉनिक रूप से दर्ज किया जाएगा।

मोदी कैबिनेट का बड़ा फैसला: 2027 डिजिटल जनगणना, 30 लाख गणनाकार, घर बैठे सेल्फ‑एन्यूमरेशन की सुविधा

भारत की 2027 डिजिटल जनगणना: 11,700 करोड़ का मेगा डेटा मिशन, पहली बार पूरे देश की जाति गणना

केंद्र सरकार ने 2027 की जनगणना को औपचारिक मंजूरी दे दी है, जो न केवल आज़ादी के बाद आठवीं राष्ट्रीय जनगणना होगी, बल्कि भारत की पहली पूरी तरह डिजिटल और व्यापक जाति गणना वाली जनगणना भी होगी। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने इस योजना पर कुल 11,718.24 करोड़ रुपये खर्च की स्वीकृति दी है, जिससे इसे दुनिया की सबसे बड़ी प्रशासनिक और सांख्यिकीय कवायद के रूप में अंजाम दिया जाएगा।

सरकार के मुताबिक, जनगणना 2027 दो बड़े चरणों में होगी। पहला चरण—हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग जनगणना—अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच चलेगा, जबकि दूसरा चरण—पॉपुलेशन एन्यूमरेशन—फरवरी 2027 में किया जाएगा। लद्दाख और जम्मू‑कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के बर्फीले, कठिन इलाकों में आबादी की गिनती सितंबर 2026 में ही कर ली जाएगी, ताकि मौसम और पहुंच से जुड़ी चुनौतियों को संभाला जा सके।

पहली पूरी तरह डिजिटल जनगणना: मोबाइल ऐप, CMMS और सेल्फ‑एन्यूमरेशन

जनगणना 2027 को “फुल्ली डिजिटल” डिज़ाइन किया गया है, यानी डेटा कलेक्शन कागज़ के फॉर्म की बजाय मोबाइल एप्लिकेशन के ज़रिए किया जाएगा, जो एंड्रॉयड और iOS दोनों प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे। हर गणनाकार स्मार्टफोन या टैबलेट के माध्यम से सीधे डिजिटल फॉर्म भर सकेगा, जिससे पुराने दौर की मैनुअल डेटा एंट्री और उससे होने वाली देरी तथा त्रुटियां काफी हद तक कम होने की उम्मीद है।

इसके लिए एक विशेष Census Management & Monitoring System (CMMS) पोर्टल तैयार किया गया है, जो पूरे देश में चल रही जनगणना की प्रगति को रियल‑टाइम में ट्रैक करेगा, फील्ड‑लेवल समस्याओं पर नज़र रखेगा और सुपरवाइजर्स को ब्लॉक‑वार रिपोर्टिंग व मॉनिटरिंग का टूल देगा। इसके साथ ही Houselisting Block (HLB) Creator नामक वेब‑मैप एप्लिकेशन का उपयोग चार्ज ऑफिसर और सुपरवाइज़र अपने क्षेत्र के हाउस‑लिस्टिंग ब्लॉक तैयार करने और जियो‑रेफरेंस्ड मैप के ज़रिए ग्राउंड रियलिटी के साथ डेटा को लिंक करने के लिए करेंगे।

जनता को पहली बार “सेल्फ‑एन्यूमरेशन” का विकल्प भी दिया जाएगा, यानी घर‑घर आने वाले गणनाकार के इंतज़ार की बजाय लोग सुरक्षित पोर्टल या मोबाइल ऐप में खुद अपने घर और परिवार की जानकारी दर्ज कर सकेंगे। सरकार का दावा है कि पूरे डिजिटल डिज़ाइन में डेटा सुरक्षा और प्राइवेसी के लिए उपयुक्त सुरक्षा प्रावधान शामिल किए गए हैं, जबकि कनेक्टिविटी कमजोर इलाकों के लिए अभी भी कागज़ी शेड्यूल का बैक‑अप विकल्प रखा गया है।

दो चरणों की रूपरेखा: हाउस लिस्टिंग और पॉपुलेशन एन्यूमरेशन

पहला चरण—हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग जनगणना—अप्रैल से सितंबर 2026 के बीच 30‑30 दिन की विंडो में अलग‑अलग राज्यों में आयोजित होगा, जिसमें देश के सभी मकानों, झुग्गियों, झोपड़पट्टियों और अन्य रहने योग्य संरचनाओं की सूची, प्रकार, सुविधाएं और संबंधित जानकारी दर्ज की जाएगी। दूसरे चरण में फरवरी 2027 के दौरान पॉपुलेशन एन्यूमरेशन होगी, जिसमें हर व्यक्ति का नाम, उम्र, लिंग, शिक्षा, व्यवसाय, भाषा, धर्म, विकलांगता जैसी जनसांख्यिकीय जानकारी डिजिटल फॉर्म में भरी जाएगी।

लद्दाख सहित हिमालयी बर्फीली पट्टी के लिए सरकार ने अलग समय‑सारिणी बनाई है, क्योंकि वहां फरवरी में जनगणना कर पाना मौसम और पहुंच के लिहाज़ से मुश्किल होता है। इन क्षेत्रों में पॉपुलेशन एन्यूमरेशन सितंबर 2026 में ही कर ली जाएगी, ताकि टीमों को अपेक्षाकृत बेहतर मौसम और लॉजिस्टिक सुविधा मिल सके।

पहली बार व्यापक जाति गणना: 1931 के बाद ऐतिहासिक बदलाव

केंद्रीय मंत्रिमंडल की राजनीतिक कार्य समिति (Cabinet Committee on Political Affairs) ने 30 अप्रैल 2025 को फैसला किया था कि आने वाली राष्ट्रीय जनगणना में “कास्ट एन्यूमरेशन” को शामिल किया जाएगा, यानी जाति संबंधी विस्तृत डेटा सीधे मुख्य जनगणना का हिस्सा होगा। इससे पहले स्वतंत्र भारत में जाति को मुख्य जनगणना की सभी गिनतियों से अलग रखा गया था और 1931 की ब्रिटिश कालीन जनगणना के बाद कोई पूर्ण राष्ट्रीय जाति गणना नहीं हुई, जबकि 2011 में सिर्फ सामाजिक‑आर्थिक‑जाति सर्वे (SECC) के रूप में अलग अभ्यास किया गया था।

सरकार ने स्पष्ट किया है कि जाति संबंधी डेटा पॉपुलेशन एन्यूमरेशन के दूसरे चरण में इलेक्ट्रॉनिक रूप से कैप्चर किया जाएगा, यानी जब डिजिटल फॉर्म में व्यक्ति‑स्तर की जानकारी जुटाई जाएगी, उसी समय कास्ट‑संबंधित कॉलम भी रिकॉर्ड किए जाएंगे। तर्क यह दिया गया कि अलग‑अलग राज्यों द्वारा कराए गए कास्ट सर्वे पारदर्शिता और उद्देश्य को लेकर सवालों के घेरे में रहे हैं, इसलिए एक केंद्रीकृत, मानकीकृत और पारदर्शी राष्ट्रीय जनगणना में जाति डेटा दर्ज करना ज्यादा भरोसेमंद उपाय होगा।

पैमाना: 30 लाख गणनाकार, 18,600 टेक्निकल स्टाफ और 1 करोड़ से ज़्यादा मैन‑डेज

सरकार के अनुमान के अनुसार, जनगणना 2027 में लगभग 30 लाख फील्ड फंक्शनरी तैनात किए जाएंगे, जिनमें गणनाकार, सुपरवाइज़र, ट्रेनर और विभिन्न स्तर के जनगणना अधिकारी शामिल होंगे। आमतौर पर इन गणनाकारों में बड़ी संख्या सरकारी स्कूल शिक्षक, राजस्व कर्मचारी और स्थानीय प्रशासन के कर्मचारी होंगे, जो अपने नियमित काम के साथ तय अवधि में घर‑घर जाकर जनगणना की जिम्मेदारी निभाएंगे और उन्हें इसके बदले मानदेय दिया जाएगा।

इसके अलावा, डिजिटल ढांचे को चलाने के लिए करीब 18,600 तकनीकी कार्मिक लगभग 550 दिनों की अवधि के लिए नियोजित होंगे, जिससे कुल मिलाकर लगभग 1.02 करोड़ मैन‑डेज का रोज़गार जनरेट होने का अनुमान है। विशेषज्ञों के अनुसार, इतने बड़े पैमाने पर मोबाइल‑आधारित डेटा कलेक्शन, सर्वर‑साइड प्रोसेसिंग और रियल‑टाइम मॉनिटरिंग से जुड़ा काम सरकारी मशीनरी में डेटा हैंडलिंग, एनालिटिक्स और मॉनिटरिंग की डिजिटल क्षमता बढ़ाने में भी मदद करेगा।

Census‑as‑a‑Service (CaaS): मंत्रालयों के लिए मशीन‑रीडेबल डेटा

सरकार ने कहा है कि इस जनगणना का आउटपुट “Census‑as‑a‑Service (CaaS)” मॉडल के तहत दिया जाएगा, यानी विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को साफ‑सुथरे, मशीन‑रीडेबल और आसानी से उपयोग योग्य फॉर्मेट में डेटा साझा किया जाएगा। इसके ज़रिए गांव और वार्ड स्तर तक की जनसांख्यिकीय जानकारी, मैप‑आधारित विज़ुअलाइजेशन और कस्टम रिपोर्ट्स तैयार करके नीति निर्माण, टारगेटेड कल्याण योजनाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर प्लानिंग के लिए इस्तेमाल की जा सकेगी।

केंद्रीय सूचना में यह भी उल्लेख है कि व्यापक जन‑जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को डिजिटल जनगणना, सेल्फ‑एन्यूमरेशन और डेटा गोपनीयता संबंधी पहलुओं के बारे में जागरूक किया जाएगा, ताकि अधिकतम और भरोसेमंद भागीदारी सुनिश्चित हो सके। सरकार का दावा है कि डिजिटल जनगणना से डेटा उपलब्ध होने का समय कम होगा और पहले की तुलना में ज्यादा समयबद्ध और विस्तार से परिणाम सार्वजनिक किए जा सकेंगे।

5 FAQs (Hindi)

  1. 2027 की जनगणना पर कुल कितना खर्च प्रस्तावित है?
    केंद्रीय कैबिनेट ने जनगणना 2027 के लिए लगभग 11,718.24 करोड़ रुपये की लागत को मंजूरी दी है।
  2. जनगणना 2027 किस‑किस चरण में और कब होगी?
    पहला चरण—हाउस लिस्टिंग और हाउसिंग जनगणना—अप्रैल से सितंबर 2026 के दौरान, और दूसरा चरण—पॉपुलेशन एन्यूमरेशन—फरवरी 2027 में होगा; बर्फीले क्षेत्रों में एन्यूमरेशन सितंबर 2026 में किया जाएगा।
  3. यह डिजिटल जनगणना कैसे होगी?
    डेटा मोबाइल ऐप्स (Android और iOS) के माध्यम से लिया जाएगा, CMMS पोर्टल से रियल‑टाइम मॉनिटरिंग होगी, HLB Creator वेब‑मैप से ब्लॉक मैप तैयार होंगे और नागरिकों को सेल्फ‑एन्यूमरेशन का विकल्प मिलेगा।
  4. क्या इस जनगणना में जाति की जानकारी भी ली जाएगी?
    हां, कैबिनेट कमेटी ऑन पॉलिटिकल अफेयर्स ने 30 अप्रैल 2025 को फैसला किया कि 2027 की जनगणना में जाति गणना शामिल होगी और कास्ट डेटा पॉपुलेशन एन्यूमरेशन के दूसरे चरण में इलेक्ट्रॉनिक रूप से कैप्चर किया जाएगा।
  5. इस जनगणना में कितने लोग फील्ड में काम करेंगे?
    करीब 30 लाख फील्ड फंक्शनरी (गणनाकार, सुपरवाइज़र, ट्रेनर, अधिकारी) के अलावा लगभग 18,600 तकनीकी कर्मचारी तैनात होंगे, जिससे कुल मिलाकर लगभग 1.02 करोड़ मैन‑डेज का रोज़गार पैदा होने की उम्मीद है।
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