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संभल में कब्रिस्तान की पैमाइश पर हाई अलर्ट: जामा मस्जिद के पास छावनी में बदला इलाका

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Drones in the Sky, Cops on Ground: Why Sambhal’s Jama Masjid Graveyard Survey Is So Sensitive
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उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के पास कब्रिस्तान की पैमाइश से पहले भारी पुलिस, PAC और RAF तैनात की गई। 8 बीघा जमीन पर अवैध दुकानों–मकानों के आरोप, ड्रोन से निगरानी और प्रशासन की ‘नो टॉलरेंस’ चेतावनी

8 बीघा कब्रिस्तान या अवैध कब्जा? संभल में पैमाइश से पहले सुरक्षा कड़ी, प्रशासन सख्त मोड में

संभल में जामा मस्जिद के पास कब्रिस्तान की पैमाइश से पहले सुरक्षा कड़ी, इलाका छावनी में तब्दील

उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद के पास स्थित कब्रिस्तान की जमीन की पैमाइश को लेकर माहौल बेहद संवेदनशील हो गया है। प्रशासन ने सर्वे शुरू होने से पहले ही पूरे इलाके को सुरक्षा की दृष्टि से छावनी में बदल दिया है। भारी पुलिस बल, PAC, RAF और ड्रोन निगरानी के बीच कब्रिस्तान की माप–तौल की तैयारी पूरी की गई है। यह वह जमीन है जिसके बारे में शिकायतें मिली थीं कि यहां कब्रिस्तान के नाम पर अवैध दुकानें और मकान खड़े कर दिए गए हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, जामा मस्जिद के पास लगभग 8 बीघा (करीब 4,000–4,780 वर्ग मीटर) जमीन को कब्रिस्तान बताया जाता है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि राजस्व रिकॉर्ड में यह सरकारी/पब्लिक लैंड के रूप में दर्ज है, जिस पर कब्रिस्तान के साथ–साथ 20–25 के आसपास दुकानें और घर बनाए गए हैं। इन्हीं शिकायतों की जांच के लिए कब्रिस्तान की पैमाइश कराई जा रही है।

कब्रिस्तान की पैमाइश: क्या हो रहा है ज़मीन पर?

मंगलवार से शुरू होने वाली इस प्रक्रिया के लिए राजस्व विभाग की लगभग 20 अफसरों की टीम तैनात की गई है। तहसीलदार और अन्य राजस्व अधिकारी पुराने रेवेन्यू रिकॉर्ड (NZA रिकॉर्ड) के आधार पर माप–तौल कर रहे हैं, यही रिकॉर्ड जामा मस्जिद के अस्तित्व को भी मान्यता देता है और इसी को कब्रिस्तान जमीन के स्टेटस के लिए भी आधार बनाया जा रहा है।

तहसीलदार ने बताया कि प्लॉट नंबर 32 के नाम से लगभग 4,000 वर्ग मीटर जमीन दर्ज है और सर्वे पूरा होने के बाद ही यह साफ हो पाएगा कि कितनी जमीन पर कब्रें हैं और कितनी जगह पर आवासीय या व्यावसायिक निर्माण किया गया है। प्रशासन का शुरुआती आकलन है कि तीन कोनों में अवैध निर्माण दिखाई दे रहे हैं, जहां लोगों ने कब्रिस्तान की जमीन पर दुकानें और मकान बना लिए हैं।

सुरक्षा व्यवस्था: 500 से 1,000 तक जवान, PAC–RAF और ड्रोन तैनात

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पुलिस प्रशासन हाई अलर्ट पर है। रिपोर्ट्स के अनुसार:
– शहर की मुख्य सड़कों, चौराहों और कब्रिस्तान के चारों ओर 500 से अधिक पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है; कई जगहों पर संख्या 800–1,000 तक बताई जा रही है।
– PAC की 2–3 कंपनियां और RAF/RAF जैसी त्वरित बल इकाइयां इलाके में मौजूद हैं।
– महिला पुलिस कर्मियों को भी ड्यूटी पर लगाया गया है ताकि किसी प्रकार की अफरा–तफरी या भीड़–भाड़ की स्थिति को संवेदनशील तरीके से संभाला जा सके।

अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और सर्किल ऑफिसर खुद मौके पर डटे हैं। ज़मीन की माप–तौल के दौरान कब्रिस्तान परिसर में आम लोगों की एंट्री बंद कर दी गई है, चारों ओर बैरिकेडिंग की गई है और हर गली–मुहल्ले पर पुलिस पिकेट लगाए गए हैं। प्रशासन ने साफ चेतावनी दी है कि माहौल बिगाड़ने, अफवाह फैलाने या विरोध के नाम पर हिंसा करने वालों के साथ सख्त कार्रवाई होगी।

ड्रोन, CCTV और क्लोज निगरानी

कब्रिस्तान और जामा मस्जिद के आसपास के इलाके की निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ड्रोन से रियल–टाइम वीडियो फीड कंट्रोल रूम तक पहुंच रही है, जिससे प्रशासन किसी भी भीड़–एकत्रीकरण या संदिग्ध गतिविधि पर तुरंत प्रतिक्रिया दे सके। इसके अलावा, CCTV कैमरे और हथियारबंद पुलिसकर्मी हर एंगल से नजर बनाए हुए हैं।

स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पैमाइश शुरू होने से पहले ही पूरे इलाके को “कैंटोनमेंट–जैसा” बना दिया गया, ताकि कोई भी असामाजिक तत्व मौके का फायदा उठाकर साम्प्रदायिक तनाव न फैला सके।

जामा मस्जिद–हरिहर मंदिर विवाद की पृष्ठभूमि

संभल का यह इलाका पहले से ही संवेदनशील बना हुआ है। शाही जामा मस्जिद और पास स्थित हरिहर मंदिर को लेकर चल रहे विवाद ने 2024–25 में कई बार सुर्खियां बटोरीं। हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया था कि मुगल बादशाह औरंगज़ेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनवाई थी, जिसके बाद स्थानीय अदालत ने सर्वे का आदेश दिया। इस सर्वे के दौरान हिंसा भड़की, पुलिस से झड़प में चार लोगों की मौत हो गई थी।

2025 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के सर्वे आदेश को बरकरार रखा और कहा कि अदालत ऑर्डर 26 रूल 9 और 10 के तहत सर्वे कमिश्नर नियुक्त कर सकती है, बशर्ते सर्वे दोनों पक्षों की मौजूदगी में किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले स्टेटस रिपोर्ट मंगवाई थी और मस्जिद प्रबंधन समिति की याचिका पर स्थिति स्पष्ट होने तक ट्रायल कोर्ट की सुनवाई रोकी थी।

कब्रिस्तान सर्वे उसी व्यापक विवाद से अलग लेकिन उससे जुड़ी संवेदनशील पृष्ठभूमि में हो रहा है, क्योंकि कब्रिस्तान की जमीन मस्जिद के पास और हरिहर मंदिर के सामने बताई जाती है।

क्या है अवैध कब्जे का आरोप?

स्थानीय शिकायतों और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरोप है कि जामा मस्जिद से सटे करीब 8 बीघा जमीन, जिसे राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी/कब्रिस्तान के रूप में दर्ज बताया जा रहा है, उस पर न केवल कब्रें हैं, बल्कि कई पक्के मकान और दुकानें भी बना ली गई हैं। कुछ रिपोर्टों में जिला प्रशासन द्वारा 22 अवैध संरचनाओं की पहचान का दावा किया गया है।

सर्वे के बाद: नोटिस, बेदखली और बुलडोजर की चेतावनी

तहसीलदार और राजस्व अधिकारी साफ कर चुके हैं कि सर्वे पुराने राजस्व रिकॉर्ड के आधार पर किया जा रहा है और जैसे ही यह पता चल जाएगा कि कितनी जमीन पर अवैध निर्माण है, उस अनुपात में कार्रवाई की जाएगी।
– सबसे पहले अवैध कब्जेदारों को नोटिस जारी होंगे।
– इन नोटिसों पर तहसीलदार की अदालत में सुनवाई होगी।
– यदि कोर्ट उनकी दलीलों से संतुष्ट नहीं हुआ तो अवैध निर्माणों पर तोड़फोड़ (डेमोलिशन ड्राइव) चलाई जा सकती है।

कुछ रिपोर्टों में प्रशासनिक सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि “बुलडोजर कार्रवाई” की भी तैयारी है, लेकिन अंतिम फैसला सर्वे और कानूनी प्रक्रिया के बाद ही होगा। प्रशासन ने दोहराया है कि पूरा सर्वे “शांतिपूर्ण, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके” से किया जाएगा।

राजनीतिक और सामाजिक संदर्भ

संभल का यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब उत्तर प्रदेश में वक्फ संपत्तियों, मदरसा सुधार और धार्मिक स्थलों के विवादों पर जोरदार राजनीति हो रही है। 2025 में कई जगह मस्जिद–मकान–कब्रिस्तान संबंधी सर्वे और विवाद चर्चा में रहे, जिनका असर स्थानीय चुनावों और समुदायों के बीच भरोसे पर भी देखा जा रहा है।

कब्रिस्तान–मस्जिद–मंदिर से जुड़े मुद्दे बेहद भावनात्मक होते हैं, इसलिए प्रशासन लगातार अपील कर रहा है कि लोग अफवाहों पर ध्यान न दें, सिर्फ आधिकारिक सूचना पर भरोसा करें और किसी भी तरह का कानून–व्यवस्था का उल्लंघन न करें।

छोटी लेकिन अहम डिटेल्स

– कब्रिस्तान की जमीन जामा मस्जिद के सामने और हरिहर मंदिर के सामने वाली दिशा में फैली है, जिससे मामला तीन–तरफा संवेदनशील हो जाता है।
– पैमाइश से पहले इलाके की दुकानों में आंशिक बंद जैसा माहौल रहा, कई स्थानीय लोगों ने घरों से बाहर निकलना कम कर दिया।
– सोशल मीडिया पर दोनों पक्षों के समर्थकों के वीडियो, लाइव स्ट्रीम और दावे–प्रति–दावे चल रहे हैं, जिन पर नजर रखने के लिए साइबर सेल भी सतर्क है।​

5 FAQs

  1. संभल में जामा मस्जिद के पास कब्रिस्तान की पैमाइश क्यों हो रही है?
    कब्रिस्तान के नाम पर दर्ज 8 बीघा (लगभग 4,000–4,780 वर्ग मीटर) जमीन पर अवैध रूप से 20–25 दुकानों और घरों के निर्माण की शिकायतें मिलने के बाद, प्रशासन पुराने राजस्व रिकॉर्ड के आधार पर असली जमीन की स्थिति पता करने के लिए सर्वे करा रहा है।
  2. सुरक्षा इतनी कड़ी क्यों की गई है?
    जामा मस्जिद–हरिहर मंदिर विवाद पहले से संवेदनशील है और 2024 की एक सर्वे कार्रवाई के दौरान हिंसा और चार मौतें हो चुकी हैं। इसलिए, इस बार कब्रिस्तान की पैमाइश के लिए 500–1,000 से अधिक पुलिस, PAC और RAF तैनात हैं, ड्रोन और CCTV से भी निगरानी हो रही है ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
  3. सर्वे पूरा होने पर क्या होगा?
    सर्वे में जितनी जमीन पर अवैध कब्जा पाया जाएगा, उसके खिलाफ नोटिस जारी होंगे। तहसीलदार की अदालत में सुनवाई के बाद, अगर कब्जेदारों की दलीलें स्वीकार नहीं हुईं तो प्रशासन अवैध निर्माणों को हटाने (डेमोलिशन) की कार्रवाई कर सकता है।
  4. यह मामला जामा मस्जिद–हरिहर मंदिर विवाद से कैसे जुड़ा है?
    कब्रिस्तान की जमीन शाही जामा मस्जिद से सटी और हरिहर मंदिर के सामने बताई जाती है। मस्जिद–मंदिर विवाद में पहले ही कोर्ट–आदेशित सर्वे, विरोध और हिंसा हो चुकी है, इसलिए कब्रिस्तान वाली जमीन पर भी किसी भी तरह की कार्रवाई को दोनों समुदायों की नजर से देखा जा रहा है।
  5. प्रशासन ने लोगों से क्या अपील की है?
    प्रशासन ने साफ संदेश दिया है कि सर्वे शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से होगा, अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी और किसी भी व्यक्ति या समूह को कानून–व्यवस्था बिगाड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी। लोगों से अपील की गई है कि सोशल मीडिया के बजाय आधिकारिक सूचनाओं पर भरोसा करें।
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