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अकोला सांप्रदायिक दंगों की जांच के लिए SIT गठन पर सुप्रीम कोर्ट का तीन न्यायाधीशों का फैसला

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Supreme Court Akola SIT order stay
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सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की अपील पर अकोला SIT में हिन्दू-मुस्लिम पुलिसकर्मियों की नियुक्ति के धार्मिक आधार पर आदेश पर रोक लगाई, सुनवाई आगे बढ़ाई।

अकोला SIT में धर्म आधारित पुलिसकर्मियों के शामिल करने के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की बेंच ने महाराष्ट्र सरकार की अपील पर अकोला में 2023 के सांप्रदायिक दंगों से जुड़े दो मामलों की जांच के लिए हिन्दू और मुस्लिम समुदाय के पुलिस अधिकारियों से गठित विशेष जांच दल (SIT) के गठन के आदेश को अस्थायी रूप से रोक दिया है।

महाराष्ट्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पुलिसकर्मी अपनी वर्दी पहनते ही धार्मिक पहचान से ऊपर हो जाते हैं और SIT के सदस्यों को उनके धर्म के आधार पर चुनना देश के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ होगा।

उन्होंने कहा कि राज्य निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराने के लिए प्रतिबद्ध है और 11 सितंबर को दिए गए उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक SIT का गठन करेगी।

7 नवंबर को उसी बेंच ने इस मामले में स्प्लिट निर्णय दिया था, जिसमें राज्य सरकार द्वारा धार्मिक पहचान के आधार पर SIT के सदस्यों के चयन के निर्देश की समीक्षा के लिए याचिका दाखिल की गई थी।

बेंच के एक न्यायाधीश ने इसे उचित ठहराया जबकि दूसरे ने विरोध किया था। इस कारण सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनने के लिए तीन न्यायाधीशों की बेंच गठित की।

तीन न्यायाधीशों की बेंच ने बताया है कि बिना शिकायतकर्ता की सुनवाई किए कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता, इसलिए संबंधित पक्ष को नोटिस जारी कर सुनवाई अगले दो हफ्ते में करने का निर्देश दिया गया है।

यह मामला महाराष्ट्र सरकार और इसके पुलिस विभाग द्वारा सांप्रदायिक दंगों के मामलों की जांच में पारदर्शिता और धर्मनिरपेक्षता बनाए रखने के मुद्दे से जुड़ा है।

FAQs:

  1. अकोला SIT गठन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या रोक लगाई है?
  2. महाराष्ट्र सरकार के तुषार मेहता ने क्या तर्क दिए?
  3. 7 नवंबर को इस मामले में क्या फैसला हुआ था?
  4. तीन न्यायाधीशों की बेंच ने इस मामले में क्या आदेश दिया?
  5. इस फैसले का महाराष्ट्र के सांप्रदायिक दंगों की जांच पर क्या असर होगा?
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