सुप्रीम कोर्ट ने AIMIM नेता ओवैसी की वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण समय सीमा बढ़ाने की याचिका की सुनवाई के लिए सहमति दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने ओवैसी की वक्फ संपत्तियों की पंजीकरण समयसीमा बढ़ाने की अर्जी सुनने को किया सहमति
सुप्रीम कोर्ट ने AIMIM अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन ओवैसी की उस याचिका को पुनः सूचीबद्ध करने पर सहमति दी है, जिसमें उन्होंने वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए निर्धारित समय सीमा बढ़ाने की मांग की थी। इस याचिका में ‘वक्फ द्वारा उपयोग’ (Waqf by user) की अवधारणा समेत वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की कुछ प्रमुख धाराओं के संबंध में विस्तार की गुहार लगाई गई है।
पहले यह मामला 28 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन उस दिन सुनवाई नहीं हो सकी। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने इसे जल्द से जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आश्वासन दिया।
असदुद्दीन ओवैसी के वकील निजाम पासा ने बताया कि संशोधित कानून के तहत वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए छह महीने की अवधि दी गई थी, जो समाप्त होने को है। उन्होंने कहा कि अब केवल एक माह शेष है और इसलिए सुनवाई आवश्यक है।
केंद्र सरकार ने जून 2025 में UMEED पोर्टल शुरू किया है, जिसका लक्ष्य सभी वक्फ संपत्तियों को डिजिटल रूप में भू-टैगिंग के साथ सूचीबद्ध करना है। इस पोर्टल के तहत भारत भर में पंजीकृत सभी वक्फ संपत्तियों का विवरण छह महीनों के भीतर अपलोड करना आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए ‘वक्फ द्वारा उपयोग’ की धाराओं को रोका दिया था, लेकिन पूरी अधिनियम को नहीं ठहराया था, जिससे अधिनियम की संवैधानिकता बनी हुई है।
FAQs
- सुप्रीम कोर्ट किस विषय में ओवैसी की याचिका सुनवाई करेगा?
वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण के लिए समय सीमा बढ़ाने पर। - UMEED पोर्टल का क्या उद्देश्य है?
वक्फ संपत्तियों का डिजिटल और भू-टैग्ड विवरण तैयार करना। - ‘वक्फ द्वारा उपयोग’ का क्या मतलब है?
बिना औपचारिक पंजीकरण के दीर्घकालिक उपयोग के आधार पर संपत्ति को धार्मिक या धार्मिक प्रयोजन के लिए माना जाना। - संशोधित वक्फ अधिनियम के तहत पंजीकरण की क्या समयसीमा है?
छह महीने। - सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में क्या आदेश दिया था?
कुछ प्रमुख धाराओं को स्थगित किया, लेकिन पूरा अधिनियम लागू रखा।
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