SEBI बोर्ड ने बड़े कंपनियों के IPO नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, जिसमें न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी के मानदंडों में छूट और टाइमलाइन विस्तार शामिल है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में बड़े कंपनियों के लिए IPO और सार्वजनिक हिस्सेदारी के नियमों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव को मंजूरी दी है। ये बदलाव बाजार में पूंजी जुटाने की प्रक्रिया को और अधिक सरल व आकर्षक बनाने के लिए किए गए हैं, विशेषकर उन कंपनियों के लिए जिनका बाजार पूंजीकरण बहुत बड़ा है।
नई नीति के तहत, जिन कंपनियों का पोस्ट-लिस्टिंग बाजार पूंजीकरण 5 ट्रिलियन रुपये से ऊपर है, अब उन्हें IPO में कम से कम 2.5% हिस्सेदारी बेचने की आवश्यकता होगी, जबकि पहले यह सीमा 5% थी। यह छूट बड़ी कंपनियों को अपनी हिस्सेदारी अधिक प्रभावी ढंग से निपटाने में मदद करेगी, क्योंकि बाजार में इतनी बड़ी हिस्सेदारी की बिक्री कठिन होती थी।
इसके अलावा, सार्वजनिक हिस्सेदारी के मानदंड को पूरा करने के लिए कंपनियों को अधिक समय दिया जाएगा। अब 1 ट्रिलियन रुपये से अधिक के बाजार मूल्य वाली कंपनियों को न्यूनतम 25% सार्वजनिक हिस्सेदारी को पूरा करने के लिए 10 साल तक का समय मिलेगा। इससे कंपनियों को समय के साथ धीरे-धीरे हिस्सेदारी बढ़ाने का अवसर मिलेगा, जिससे तत्काल बाजार पर दबाव कम होगा।
SEBI के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडेय के अनुसार, “बड़ी कंपनियों के लिए इस नई ढांचे से पूंजी बाजार में उनकी भागीदारी बढ़ेगी और यह विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने में भी मदद करेगा।”
इसके अलावा, SEBI ने विदेशी निवेशकों के लिए एक सिंगल-विंडो एक्सेस सुविधा शुरू की है, जो अनुपालन प्रक्रिया को सरल बनाएगी और उन्हें भारतीय बाजार में निवेश के लिए प्रोत्साहित करेगी।
इस सुधार के साथ ही, SEBI ने IPO में एंकर निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्सेदारी को बढ़ाकर 40% कर दिया है, जिसमें घरेलू म्यूचुअल फंडों को एक-तिहाई हिस्सा मिलेगा, जबकि शेष बीमा और पेंशन फंडों के लिए होगा।
बोर्ड बैठक में अन्य महत्वपूर्ण निर्णयों में कम मूल्य वाले संबंधित पार्टी लेनदेन के लिए आसान खुलासे के नियम, स्टॉक एक्सचेंजों में दो कार्यकारी निदेशकों की नियुक्ति और मार्केट इन्फ्रास्ट्रक्चर संस्थानों के संचालन और जोखिम प्रबंधन को मजबूत करना शामिल है।
FAQs
Q1: SEBI ने IPO नियमों में सबसे बड़ा क्या बदलाव किया है?
A1: बड़े कंपनियों के IPO में न्यूनतम 2.5% हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी दी गई है, जो पहले 5% थी।
Q2: सार्वजनिक हिस्सेदारी पूरा करने के लिए कंपनियों को कितना समय मिलेगा?
A2: 1 ट्रिलियन रुपये से अधिक बाजार मूल्य वाली कंपनियों को सार्वजनिक हिस्सेदारी पूरा करने के लिए अब 10 साल तक का समय मिलेगा।
Q3: यह बदलाव किसका फायदा करेगा?
A3: इससे बड़े कंपनियों को बाजार में हिस्सेदारी बेचने में आसानी होगी और विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया जाएगा।
Q4: विदेशी निवेशकों के लिए क्या नया है?
A4: SEBI ने विदेशी निवेशकों के लिए सिंगल-विंडो एक्सेस सुविधा शुरू की है जो निवेश को आसान बनाएगी।
Q5: एंकर निवेशकों के लिए क्या बदलाव हुए हैं?
A5: एंकर निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्सेदारी को 33% से बढ़ाकर 40% कर दिया गया है।
SEBI के ये नियम भारतीय पूंजी बाजार को और अधिक प्रतिस्पर्धी, पारदर्शी और निवेशकों के लिए आकर्षक बनाएंगे। बड़ी कंपनियों के लिए IPO की प्रक्रिया अब सरल और समयबद्ध होगी, जिससे देश में निवेश बढ़ने की संभावना है।
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