Home देश सांस बन गई जहर: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से बच्चों में अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियां बढ़ीं
देशदिल्ली

सांस बन गई जहर: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से बच्चों में अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियां बढ़ीं

Share
Delhi air pollution, child health Delhi NCR
Share

दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो गया है। डॉक्टरों के मुताबिक बच्चों में सांस की बीमारियां, अस्थमा और लगातार खांसी के मामले तेजी से बढ़े हैं।

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण बच्चों के फेफड़ों पर भारी, डॉक्टर बोले—“हर सांस अब दर्द बन गई है”

दिल्ली-एनसीआर में सर्दियों के शुरू होते ही वायु प्रदूषण एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट में बदल गया है। राजधानी की हवा में जहरीले कणों और गैसों का स्तर इतना बढ़ गया है कि ‘हर सांस लेना तकलीफदेह’ बन गया है। यह संकट केवल वयस्कों तक सीमित नहीं है—बच्चों के फेफड़ों, प्रतिरक्षा प्रणाली और विकास पर इसका सबसे अधिक असर देखने को मिल रहा है।

बच्चों में सांस की बीमारियों में भारी वृद्धि

दिल्ली और आसपास के अस्पतालों में पिछले दो हफ्तों में बच्चों में सांस की तकलीफ, खांसी और अस्थमा के मामलों में 30% तक की बढ़ोतरी हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि मौसमी वायरल संक्रमण प्रदूषण के साथ मिलकर बच्चों के लिए घातक संयोजन बन रहा है।
अमृता अस्पताल, फरीदाबाद के वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मनिंदर धालीवाल ने बताया,
“वर्तमान में हम बच्चों में RSV (Reactive Syncytial Virus), माइकोप्लाज़्मा निमोनिया और अन्य वायरसों के कारण गंभीर संक्रमण देख रहे हैं। प्रदूषण इन संक्रमणों को और ज्यादा लंबा और गंभीर बना देता है।”

प्रदूषण ‘साइलेंट एम्प्लीफायर’ की तरह काम करता है

विशेषज्ञों के अनुसार, PM2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसी गैसें बच्चों के फेफड़ों के ऊतकों को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती हैं। इससे न केवल बार-बार की खांसी, बल्कि जीवनभर की फेफड़ों की समस्याएं भी जन्म लेती हैं।
डॉ. धालीवाल के अनुसार, “ज्यादातर बच्चों के फेफड़े 8 से 10 साल की उम्र तक विकसित होते हैं। प्रदूषित हवा उस विकास को रोक देती है। परिणामस्वरूप, बच्चों में कम उम्र में ही अस्थमा और लगातार खांसी जैसी समस्याएं आम हो गई हैं।”

बीमारियों की प्रकृति बदल रही है

थाणे स्थित KIMS अस्पताल के डॉ. जसप्रीत सिंह खंडपुर ने बताया, “पहले जो बीमारियां केवल सर्द मौसम या बड़े बच्चों में होती थीं, अब सालभर और छोटे उम्र में दिखाई दे रही हैं। हवा की गुणवत्ता में निरंतर गिरावट ने अब इसे पूरे वर्ष की स्वास्थ्य समस्या बना दिया है।”

“हर सांस में खतरा”

‘Breathe’ नामक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, गर्भावस्था के दौरान मां द्वारा साँस ली गई प्रदूषित हवा भी गर्भ में पल रहे शिशु को प्रभावित करती है।
अध्ययन में कहा गया है: “गर्भाशय में शिशु के अंग बनते समय अगर मां प्रदूषित हवा में सांस लेती है, तो वे कण प्लेसेंटा के माध्यम से भ्रूण तक पहुंच सकते हैं और उसके अंग निर्माण को प्रभावित कर सकते हैं।”

दिल्ली का हाल और राष्ट्रीय खतरा

दिल्ली के कई इलाकों जैसे आनंद विहार, गाजियाबाद और नोएडा में PM2.5 स्तर 450 से 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया है, जो WHO की सुरक्षित सीमा से दस गुना अधिक है।
IMD के अनुसार, रात में तापमान गिरने और हवा की गति धीमी होने से स्मॉग ज़मीन के पास फस जा रहा है, जिससे वायुमंडल जहरीला होता जा रहा है।

डॉक्टरों का सुझाव

  • सुबह और शाम के समय बाहर खेलने से बच्चों को बचाएं।
  • घर के अंदर HEPA फिल्टर आधारित एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें।
  • बच्चों को हाइड्रेटेड रखें और संतुलित आहार दें ताकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे।
  • N95 या N99 मास्क पहनाएं, विशेष रूप से आउटडोर एक्टिविटी के दौरान।

फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, फरीदाबाद के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. रवि शेखर झा के मुताबिक, “प्रदूषित हवा में सांस लेना केवल अस्थायी समस्या नहीं है—यह बच्चों की फेफड़ों की क्षमता को स्थायी रूप से घटा सकता है और उनके शारीरिक विकास को धीमा कर देता है।”
उन्होंने कहा, “जब बच्चे आज की जहरीली हवा में सांस ले रहे हैं, वही हवा उनके कल के जीवन की गुणवत्ता तय करेगी।”

दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा बच्चों के स्वास्थ्य के लिए एक अदृश्य लेकिन खतरनाक महामारी बन गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार, समाज और माता-पिता को मिलकर दीर्घकालिक कदम उठाने होंगे — जैसे स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग, वाहनों की संख्या पर नियंत्रण, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा और शहरी हरियाली को बढ़ाना। यह केवल पर्यावरण नहीं, अगली पीढ़ी के अस्तित्व का सवाल है।


FAQs

  1. बच्चों पर प्रदूषण का सबसे बड़ा असर क्या होता है?
    यह उनके फेफड़ों के विकास को रोकता है और अस्थमा या दीर्घकालिक श्वसन रोग को जन्म देता है।
  2. डॉक्टरों ने क्या कहा है?
    वे इसे “साइलेंट एम्प्लीफायर” कह रहे हैं जो हर संक्रमण को और गंभीर बना रहा है।
  3. दिल्ली की मौजूदा स्थिति कैसी है?
    PM2.5 स्तर 450 से ऊपर है — यह WHO सीमा से लगभग दस गुना है।
  4. क्या प्रदूषित हवा गर्भस्थ शिशु को प्रभावित करती है?
    हाँ, कई अध्ययनों ने दिखाया है कि इनहेल की गई हवा भ्रूण के अंग विकास को प्रभावित कर सकती है।
  5. बच्चों को बचाने के लिए क्या कदम उठाए जाएं?
    घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं, प्रदूषण के समय बाहरी गतिविधियों को सीमित करें, और N95 मास्क का उपयोग करें।
Share

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में मिला तीसरा सोने की खान, 222 टन सोना पाया गया

राजस्थान के बांसवाड़ा के कांकरिया गांव में तीसरी बड़ी सोने की खान...

25 नवंबर को मंदिर में झंडा फहराएंगे पीएम मोदी, राम मंदिर निर्माण कार्य अंतिम चरण में

राम मंदिर का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो गया है। 25 नवंबर...

योगी आदित्यनाथ ने नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का किया निरीक्षण, कहा—‘प्रदेश के विकास का प्रतीक’

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गौतम बुद्ध नगर के जेवर...