स्नेक मिल्किंग एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमें साँप के जहर को दवा बनाने के लिए निकाला जाता है। जानें कैसे बनता है Antivenom, इसके फायदे और जोखिम।
साँप का जहर निकालना: कैसे बनती है जानलेवा जहर से जान बचाने वाली दवा
साँप का नाम सुनते ही ज़हर, डर और मौत का ख्याल दिमाग में आता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही जहर, जो किसी की जिंदगी ले सकता है, वही जहर दुनिया भर में हजारों लोगों की जान बचाने का काम भी करता है? जी हाँ, साँप का जहर आज मॉडर्न मेडिसिन के लिए एक बहुमूल्य खजाना बन गया है। और इस खजाने को सहेजने और इस्तेमाल करने की प्रक्रिया को ही “स्नेक मिल्किंग” यानी साँप का जहर निकालना कहते हैं।
यह कोई आम दूध निकालने का काम नहीं है, बल्कि एक बेहद जोखिम भरा, वैज्ञानिक और बारीकियों से भरपूर पेशा है। जिस जहर को लोग कोसते हैं, उसी जहर को निकालकर उसकी एक खुराक से ही साँप के काटे हुए इंसान की जान बचाई जा सकती है। तो आज हम आपको इसी हैरतअंगेज दुनिया में लेकर चलते हैं। आपको बताएंगे कि आखिर स्नेक मिल्किंग होती क्या है, यह कैसे की जाती है, जहर से दवा कैसे बनती है और इस पूरी प्रक्रिया में कितना रिस्क होता है।
स्नेक मिल्किंग क्या है? सिर्फ दूध निकालना नहीं है यह
सीधे शब्दों में कहें तो स्नेक मिल्किंग साँपों से उनका जहर निकालने की एक वैज्ञानिक विधि है। इस प्रक्रिया में ट्रेंड प्रोफेशनल्स साँपों को सुरक्षित तरीके से हैंडल करते हैं और उनके विषदंत (Fangs) से एक खास तरह के कंटेनर में जहर निकालते हैं। यह काम बिल्कुल किसी एक्सपर्ट की निगरानी में ही किया जाता है ताकि न सिर्फ साँप को कोई नुकसान पहुंचे, बल्कि जहर निकालने वाले की सुरक्षा भी बनी रहे।
इस जहर का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण इस्तेमाल एंटीवेनम (Antivenom) या विष-प्रतिरोधक दवा बनाने में होता है। एंटीवेनम वही दवा है जिसे साँप काटने के बाद इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है और यह मरीज की जान बचाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनिया भर में हर साल लगभग 54 लाख लोग साँप के काटने का शिकार होते हैं, जिनमें से 81,000 से 1,38,000 लोगों की मौत हो जाती है। ऐसे में एंटीवेनम की भूमिका एक वरदान से कम नहीं है।
क्यों निकाला जाता है साँप का जहर? जहर ही जहर की दवा है
साँप का जहर सिर्फ एंटीवेनम बनाने तक ही सीमित नहीं है। आधुनिक रिसर्च ने इसके और भी कई चमत्कारी इस्तेमाल खोज निकाले हैं। यह एक complex mixture of proteins और enzymes होता है, जिसके अलग-अलग गुणों का इस्तेमाल अलग-अलग बीमारियों की दवा बनाने में हो रहा है।
- एंटीवेनम बनाना: यह सबसे प्रमुख कारण है। अलग-अलग साँपों के जहर के लिए अलग-अलग एंटीवेनम बनाए जाते हैं।
- दर्द निवारक दवाएं (Painkillers): कोबरा जैसे साँपों के जहर में मौजूद कुछ तत्व दर्द को रोकने की क्षमता रखते हैं। इनका इस्तेमाल कैंसर जैसी बीमारियों में होने वाले तेज दर्द को कम करने के लिए किया जा रहा है।
- ब्लड प्रेशर की दवा: वाइपर साँप के जहर में ACE नाम के एंजाइम को रोकने की क्षमता होती है। इसी गुण के आधार पर ब्लड प्रेशर की बहुत प्रभावी दवाएं (जैसे कैप्टोप्रिल) बनाई गई हैं।
- ब्लड क्लॉटिंग रोकना: कुछ साँपों का जहर खून को जमने से रोकता है। इसका इस्तेमाल हार्ट अटैक और स्ट्रोक के मरीजों में ब्लड क्लॉट बनने से रोकने के लिए किया जाता है।
- कैंसर रिसर्च: कुछ स्टडीज यह दिखा रही हैं कि साँप के जहर में मौजूद प्रोटीन कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोक सकते हैं। हालांकि, यह अभी रिसर्च के दौर में है।
किन साँपों का जहर निकाला जाता है? खतरनाक साथी
दुनिया में सैकड़ों प्रजाति के जहरीले साँप हैं, लेकिन एंटीवेनम बनाने के लिए मुख्य रूप से उन्हीं “बिग फोर” साँपों के जहर पर फोकस किया जाता है जो भारत समेत दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार हैं। ये हैं:
- भारतीय कोबरा (Indian Cobra): इसकी पहचान इसके फन (गले का फैलाव) से होती है। इसका जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है, जो शरीर की नसों पर हमला करता है और सांस लेने में दिक्कत पैदा कर सकता है।
- कॉमन क्रेट (Common Krait): यह रात में सक्रिय होता है और इसका जहर कोबरा से भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है। इसका जहर भी न्यूरोटॉक्सिक होता है।
- रसेल्स वाइपर (Russell’s Viper): यह बहुत आक्रामक साँप है और इसके काटने पर तेज दर्द होता है। इसका जहर हीमोटॉक्सिक होता है, जो खून की कोशिकाओं और टिशू को नुकसान पहुंचाता है।
- सॉ-स्केल्ड वाइपर (Saw-scaled Viper): यह छोटा लेकिन बेहद खतरनाक साँप है। इसका जहर भी हीमोटॉक्सिक होता है और शरीर के अंदरूनी अंगों से खून बहने का कारण बन सकता है।
इनके अलावा, दुनिया भर में ब्लैक मांबा, टाइगर स्नेक, और अन्य विषैले साँपों का जहर भी निकाला जाता है।
स्नेक मिल्किंग की प्रक्रिया: एक एक कदम समझें
यह प्रक्रिया बेहद सावधानी और अनुशासन से भरी होती है। इसमें जल्दबाजी की कोई गुंजाइश नहीं होती।
- स्टेप 1: सुरक्षा के इंतजाम (Safety First)
जहर निकालने वाला व्यक्ति पूरी तरह से प्रोटेक्टिव गियर पहनता है। इसमें मोटे दस्ताने, चेहरे का शील्ड, और बूट्स शामिल होते हैं ताकि अगर साँप काट भी ले तो जहर शरीर तक न पहुंच पाए। - स्टेप 2: साँप को हैंडल करना (Handling the Snake)
साँप को उसके बाड़े से सावधानी से निकाला जाता है। एक्सपर्ट उसे पूरे कंट्रोल में रखता है, अक्सर उसके सिर को एक खास तरीके से पकड़कर ताकि वह मुड़कर काट न सके। - स्टेप 3: जहर निकालना (The Milking Process)
साँप के मुंह को हल्के से खोलकर उसके विषदंत (Fangs) को एक मजबूत कवर वाले ग्लास या प्लास्टिक के बर्तन के किनारे लगाया जाता है। फिर साँप के जहर वाले थैली (वेनम ग्लैंड) पर हल्का सा दबाव डाला जाता है। इस दबाव से जहर की कुछ बूंदें सीधे बर्तन में टपक जाती हैं। कई बार साँप खुद ही जहर छोड़ देता है। - स्टेप 4: जहर को स्टोर करना (Storage)
निकाला गया जहर तुरंत एक डार्क बोतल में transfer कर दिया जाता है और उसे तुरंत फ्रीज कर दिया जाता है। इसे -20 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया जाता है ताकि इसके प्रोटीन खराब न हों। - स्टेप 5: साँप को वापस रखना (Returning the Snake)
पूरी प्रक्रिया के बाद, साँप को वापस उसके CLEAN और सुरक्षित बाड़े में रख दिया जाता है। एक साँप से जहर निकालने में सिर्फ कुछ मिनट का वक्त लगता है और ऐसा हफ्ते में एक बार या दो हफ्ते में एक बार ही किया जाता है ताकि साँप को कोई नुकसान न हो।
जहर से एंटीवेनम कैसे बनता है? चमत्कार की पूरी कहानी
अब तक तो जहर निकल गया, लेकिन यह जहर सीधे किसी इंसान को नहीं लगाया जा सकता। इसे एंटीवेनम में बदलने की प्रक्रिया भी बेहद दिलचस्प है।
- घोड़े की मदद (The Role of Horses): इस जहर की बहुत ही कम और सुरक्षित मात्रा को एक बड़े जानवर, ज्यादातर घोड़े, के शरीर में इंजेक्ट किया जाता है।
- एंटीबॉडी बनना (Antibody Production): घोड़े का इम्यून सिस्टम इस जहर को एक बाहरी हमले के रूप में देखता है और उसके खिलाफ एंटीबॉडीज बनाना शुरू कर देता है। ये एंटीबॉडीज वो हथियार हैं जो जहर को निष्क्रिय कर सकते हैं।
- प्लाज्मा निकालना (Plasma Extraction): कुछ हफ्तों बाद, जब घोड़े के खून में पर्याप्त एंटीबॉडीज बन जाती हैं, तो उसके खून का प्लाज्मा निकाला जाता है। यही प्लाज्मा एंटीवेनम का असली आधार होता है।
- शुद्धिकरण (Purification): इस प्लाज्मा को शुद्ध (Purify) करके उसमें से एंटीबॉडीज को अलग किया जाता है।
- फ्रीज-ड्राइंग (Freeze-Drying): अंत में इस शुद्ध एंटीवेनम को पाउडर के रूप में freeze-dry करके बोतलों में पैक कर दिया जाता है। हॉस्पिटल में इसे इंजेक्शन के लिए तरल रूप में घोला जाता है।
स्नेक मिल्किंग के जोखिम और चुनौतियां
यह काम बेहद खतरनाक है। एक पल की चूक जानलेवा साबित हो सकती है। साँप अनप्रिडिक्टेबल होते हैं और किसी भी वक्त पलटवार कर सकते हैं। हालांकि सारे सुरक्षा इंतजाम किए जाते हैं, फिर भी एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है। इसके अलावा, कुछ लोगों को घोड़े के प्लाज्मा से एलर्जी हो सकती है, इसलिए एंटीवेनम देने से पहले टेस्ट किया जाता है।
जहर में छुपा है सेहत का राज
स्नेक मिल्किंग विज्ञान का एक ऐसा चमत्कार है जो प्रकृति के एक खतरे को ही उसके इलाज में बदल देता है। यह हमें सिखाता है कि प्रकृति में कुछ भी व्यर्थ नहीं है, बस जरूरत है तो उसे सही तरीके से इस्तेमाल करने की। साँप के जहर से एंटीवेनम बनाने की यह प्रक्रिया न सिर्फ हजारों लोगों की जान बचाती है, बल्कि भविष्य की कई जानलेवा बीमारियों का इलाज भी अपने अंदर समेटे हुए है। अगली बार जब आप साँप देखें, तो उसे सिर्फ एक खतरा ही न समझें, बल्कि उसे एक संभावना के तौर पर भी देखें – एक ऐसी संभावना जो इंसान की जान बचा सकती है।
FAQs
1. क्या साँप को जहर निकालते वक्त दर्द होता है?
नहीं, अगर सही तरीके से किया जाए तो साँप को कोई दर्द नहीं होता। जहर निकालना एक प्राकृतिक प्रक्रिया की तरह है, जैसे दूध दुहना। साँप के जहर की थैली लगातार जहर बनाती रहती है, इसलिए उसे निकालने से साँप को कोई नुकसान नहीं होता।
2. क्या एक साँप से बार-बार जहर निकाला जा सकता है?
हां, लेकिन एक निश्चित अंतराल पर। आमतौर पर एक हफ्ते या दो हफ्ते में एक बार ही जहर निकाला जाता है। इससे साँप के शरीर को नया जहर बनाने का पर्याप्त समय मिल जाता है और उस पर कोई दबाव नहीं पड़ता।
3. क्या जहर निकालने के बाद साँप कमजोर हो जाता है?
नहीं, जहर निकालने के बाद साँप पूरी तरह से सामान्य रहता है। जहर उसके शिकार करने का हथियार है, न कि उसके शरीर के लिए जरूरी ऊर्जा का स्रोत। वह बिना किसी दिक्कत के अपने सामान्य कार्य कर सकता है।
4. क्या भारत में स्नेक मिल्किंग होती है?
हां, भारत में कई सरकारी और प्राइवेट संस्थान हैं जो स्नेक मिल्किंग करते हैं और एंटीवेनम बनाते हैं। इरुला जनजाति जैसे समुदायों के लोग, जो साँप पकड़ने में माहिर होते हैं, वे भी कई बार लाइसेंस्ड संस्थानों के लिए यह काम करते हैं।
5. अगर साँप ने जहर निकाल दिया है, तो क्या वह अब काटने पर जहर नहीं छोड़ेगा?
ऐसा बिल्कुल नहीं है। साँप के जहर की थैली में हमेशा कुछ न कुछ जहर बना रहता है। इसलिए, भले ही उसका जहर कुछ देर पहले निकाला गया हो, अगर वह काटेगा तो जहर छोड़ेगा ही। हां, जहर की मात्रा कम हो सकती है, लेकिन फिर भी वह खतरनाक हो सकता है।
6. क्या स्नेक मिल्किंग का कोई विकल्प है?
वैज्ञानिक “सिंथेटिक वेनम” यानी लैब में बने कृत्रिम जहर पर काम कर रहे हैं, लेकिन अभी तक असली जहर जैसी प्रभावशीलता हासिल नहीं हुई है। इसलिए, अभी के लिए एंटीवेनम बनाने के लिए असली साँपों से ही जहर निकालना जरूरी है।
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