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सपा का आरोप- यूपी में वोटर फॉर्म वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितता

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Samajwadi Party Appeals for Extension of Voter Roll Revision in UP
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सपा ने यूपी में एसआईआर प्रक्रिया तीन महीने बढ़ाने के लिए चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा, मतदाता फॉर्म वितरण में अनियमितताओं का आरोप।

चुनाव आयोग से सपा ने यूपी में एसआईआर विस्तार की मांग, मतदाता सूची विवाद

उत्तर प्रदेश में चल रही विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को लेकर समाजवादी पार्टी (सपा) ने चुनाव आयोग से इसे तीन महीने बढ़ाने की मांग की है। सपा का आरोप है कि कई विधानसभा क्षेत्रों में फॉर्म वितरण और मतदाता सूची अपडेट करने में व्यापक अनियमितताएं हो रही हैं, जिससे निर्वाचन प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।

सपा के प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि 403 विधानसभा क्षेत्रों के 1,62,486 मतदान केंद्रों के बीच लगभग 15.44 करोड़ मतदाताओं तक फॉर्म नहीं पहुंचे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है, जिससे मतदाताओं को फॉर्म भरने और जमा करने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल रहा है।

विशेष सघन पुनरीक्षण नवंबर की शुरुआत से जारी है और फरवरी की पहली सप्ताह तक समाप्त होने का अनुमान है। लेकिन सपा का कहना है कि 70-घोसी लोकसभा क्षेत्र और मऊ जिले के कुछ विधानसभा क्षेत्रों में बूथ स्तर के अधिकारी (बीएलओ) घर-घर जाकर फॉर्म बांटने और इकट्ठा करने का काम नहीं कर रहे हैं। कुछ अधिकारियों के पास फॉर्म ही नहीं हैं और वे मतदाताओं पर ऑनलाइन आवेदन करने का दबाव बना रहे हैं।

271-रुधौली विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची में 2003 से फॉर्म अपलोड नहीं किए गए हैं, जिससे मतदाता फॉर्म सही तरीके से जमा नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा, लखनऊ के पूर्व विधानसभा क्षेत्र में दो मतदान केंद्रों पर एक ही मतदाता सूची अपलोड होने की भी चिंता जताई गई है, जहां लगभग 1,100 मतदाता सूची से गायब बताए गए हैं।

सपा ने चुनाव आयोग से आग्रह किया है कि एसआईआर प्रक्रिया को तीन महीने के लिए बढ़ाया जाए ताकि सभी मतदाता अपने फॉर्म पूरा कर सकें। साथ ही, मऊ और घोसी के अधिकारियों को फॉर्म वितरण और संग्रह के लिए घर-घर जाने के निर्देश दिए जाएं, रुधौली की सूची अपलोड कराई जाए और लखनऊ के मतदान केंद्रों की गड़बड़ी को ठीक किया जाए।

अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार और चुनाव आयोग मिलकर एसआईआर प्रक्रिया का उपयोग उन क्षेत्रों में मतदाताओं को हटाने के लिए कर रहे हैं जहां सपा और इंडिया ब्लॉक ने लोकसभा चुनाव 2024 में अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि यह कार्य शादी के सीजन में करने से मतदाताओं को परेशानी हो रही है और एसआईआर के स्पष्ट नियम सभी राजनीतिक दलों को दिए जाने चाहिए।

यह मुद्दा उत्तर प्रदेश में आगामी चुनावों की निष्पक्षता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।


FAQs:

  1. सपा ने चुनाव आयोग से क्या मांग की है?
    सपा ने यूपी में एसआईआर प्रक्रिया को तीन महीने बढ़ाने की मांग की है।
  2. एसआईआर प्रक्रिया में क्या अनियमितताएं हैं?
    फॉर्म का सही वितरण न होना, पुराने मतदाता सूचियों का अपलोड न होना और मतदाताओं का गायब होना शामिल हैं।
  3. एसआईआर का असर चुनाव प्रक्रिया पर कैसे पड़ सकता है?
    अनियमितताओं के कारण मतदाता फॉर्म सही समय पर नहीं भर पाते, जिससे वोटिंग प्रभावित हो सकती है।
  4. अखिलेश यादव ने क्या आरोप लगाए हैं?
    उन्होंने कहा है कि भाजपा सरकार और चुनाव आयोग मिलकर मतदाताओं को हटाने की साजिश कर रहे हैं।
  5. सपा ने आगे क्या कदम उठाने की बात कही है?
    पार्टी ने चुनाव आयोग से एसआईआर प्रक्रिया के लिए स्पष्ट SOP जारी करने की मांग की है।
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