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नवंबर 2025 में Rohini Vrat का आध्यात्मिक महत्व

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Rohini Vrat नवंबर 2025 में कब है? जानिए पूजा विधि, तिथि-समय, महत्व और जैन धर्म में इसका आध्यात्मिक महत्त्व।

Rohini Vrat नवंबर 2025: तिथि, समय, पूजा विधि और महत्व

रोहिणी व्रत क्या है?
रोहिणी व्रत जैन समुदाय में एक अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे विशेष रूप से महिलाओं द्वारा उनके पतियों की दीर्घायु और कल्याण के लिए किया जाता है। यह व्रत रोहिणी नक्षत्र के प्रभव के दिन मनाया जाता है और इसे आत्मशुद्धि, परमार्थ और परिवार की खुशी के लिए रखा जाता है।

नवंबर 2025 में Rohini Vrat की तिथि और समय
इस वर्ष रोहिणी व्रत शुक्रवार, 7 नवंबर 2025 को शुरू होकर 8 नवंबर की सुबह 12:33 बजे तक रहेगा। व्रत का पालन रोहिणी नक्षत्र के प्रभाव में किया जाता है, जो शुभ और फलदायी माना जाता है।

पूजा विधि और अनुष्ठान
भक्तजन प्रातःकाल स्नान कर व्रत प्रारंभ करते हैं। वे भगवान वासुपूज्य या भगवान महावीर की पूजा अर्चना करते हैं, दीपक जलाते हैं, पुष्प, फल और मिठाई अर्पित करते हैं। व्रत के दौरान महिलाएं निर्जल व्रत रखती हैं और जैन धार्मिक ग्रंथों का पाठ करती हैं।

व्रत समाप्ति (पारण)
रोहिणी नक्षत्र समाप्त होते ही मार्गशीर्ष नक्षत्र के अंतर्गत व्रत का पारण किया जाता है। इस दिन व्रती अपना उपवास तोड़ते हैं और विशेष अनुष्ठान सम्पन्न करते हैं।

रोहिणी व्रत का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
जैन धर्म के अनुसार, इस व्रत के पालन से गरीबी, दुख और कष्ट दूर होते हैं तथा वैवाहिक जीवन में प्रेम, शांति और समृद्धि आती है। यह व्रत अनुशासन, समर्पण और आत्मसंयम को बढ़ावा देता है, जिससे आध्यात्मिक प्रगति होती है।

रोहिणी व्रत कब और कैसे मनाया जाता है?
व्रत का पालन आमतौर पर तीन, पांच या सात वर्ष तक किया जाता है, जिसमें पांच वर्ष और पाँच महीने का काल संस्कार के लिए उत्तम माना जाता है। व्रत पूर्ण होने पर उद्यापन नामक अनुष्ठान होता है, जो व्रत की समाप्ति का प्रतीक है।

FAQs

1. Rohini Vrat कब मनाया जाता है?
रोहिणी व्रत रोहिणी नक्षत्र वाले दिन मनाया जाता है, नवंबर 2025 में यह 7 नवंबर को है।

2. व्रत किसके लिए विशेष है?
यह व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा उनके पति की लंबी आयु और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है।

3. व्रत के दौरान क्या-क्या किया जाता है?
व्रत में निर्जल उपवास, पूजा, धार्मिक ग्रंथों का पाठ और ध्यान शामिल होता है।

4. पारण कब किया जाता है?
रोहिणी नक्षत्र समाप्त होने के बाद मार्गशीर्ष नक्षत्र में पारण किया जाता है।

5. यह व्रत कितने समय तक रखा जाता है?
आम तौर पर तीन, पांच या सात वर्षों तक इसे रखा जाता है, पांच वर्षों पाँच महीने का काल विशेष कहा गया है।

6. रोहिणी व्रत के क्या लाभ होते हैं?
इस व्रत से गरीबी और दुख दूर होते हैं, वैवाहिक जीवन में शांति और समृद्धि आती है और आत्मा को शांति मिलती है।

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