IIT-IIM से पढ़े Swami Mukundananda ने भगवद गीता के माध्यम से जीवन को सरल और लाभकारी बनाया। जानिए उनका आध्यात्मिक सफर।
Swami Mukundananda: भगवद गीता के सारथी
Swami Mukundananda का जीवन परिचय और आध्यात्मिक सफर
Swami Mukundananda का जन्म दिसंबर 1960 में हुआ। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली से बी.टेक और भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) कोलकाता से एमबीए की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने एक प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट कंपनी में भी कार्य किया, परन्तु आध्यात्मिक ज्ञान की खोज ने उन्हें sanyas की राह पर चलने के लिए प्रेरित किया।
योग, भक्ति और शिक्षा
Swami Mukundananda ने भारत के कई तीर्थस्थलों पर साधना की और जयगुरु श्री क्रिपालुजी महाराज के मार्गदर्शन में वेदों और भारतीय एवं पश्चिमी दर्शन का गहन अध्ययन किया। उन्होंने हठ योग और भक्ति योग का सम्मिलित अभ्यास विकसित किया, जिसे जगद्गुरु क्रिपालुजी योग (JKYog) के नाम से जाना जाता है।
भगवद गीता: जीवन के लिए एक मार्गदर्शिका
उन्होंने भगवद गीता को आधुनिक जीवन में मानसिक और आध्यात्मिक समाधान का सूत्र माना। उनका मानना है कि गीता मन के प्रबंधन और दिमाग के नियन्त्रण के लिए विश्व की सर्वोत्तम पुस्तक है। यह न केवल धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि जीवन को सुखमय बनाने की एक वैज्ञानिक प्रणाली भी है।
स्वामी जी का संदेश और प्रभाव
स्वामी मुकुंदानंद युवाओं और बुजुर्गों दोनों को आध्यात्म, योग, ध्यान, और सेवा की ओर प्रेरित करते हैं। उनके प्रवचन सरल, रोचक और व्यवहारिक हैं, और वे बड़ी संख्या में लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
FAQs
- Swami Mukundananda का क्या वास्तविक नाम है?
- उनका नाम स्वामी मुकुंदानंद है, जो आध्यात्मिक गुरु और लेखक हैं।
- स्वामी जी ने अपनी शिक्षा कहाँ से प्राप्त की?
- IIT दिल्ली से बी.टेक और IIM कोलकाता से एमबीए।
- वेदों का अध्ययन उन्होंने कैसे किया?
- जगद्गुरु श्री क्रिपालुजी महाराज के मार्गदर्शन में।
- JKYog क्या है?
- यह स्वामी मुकुंदानंद द्वारा स्थापित योग और आध्यात्मिक संस्थान है।
- भगवद गीता उनके लिए क्या महत्व रखती है?
- जीवन के लिए मानसिक शांति, योग और आध्यात्म का स्रोत।
- क्या स्वामी मुकुंदानंद की पुस्तकें उपलब्ध हैं?
- हाँ, वे कई आत्म-सहायता और आध्यात्मिक पुस्तकों के लेखक हैं।
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