कनाडा ने सीरिया को विदेशी आतंकवाद समर्थक राज्यों की लिस्ट से हटा दिया। बशर असद सरकार के प्रति नरमी? राजनीतिक बदलाव, प्रभाव और वैश्विक प्रतिक्रियाओं की पूरी जानकारी।
कनाडा-सीरिया संबंध: बशर असद को अब आतंकवादी नहीं माना, क्या बदला राजनीति में?
कनाडा ने सीरिया को आतंकवाद समर्थक देशों की लिस्ट से हटाया: असद सरकार पर नरमी क्यों?
दोस्तों, कनाडा ने बड़ा राजनीतिक कदम उठाया है। सीरिया को “विदेशी राज्य आतंकवाद समर्थकों” की लिस्ट से हटा दिया। ये फैसला 14 साल पुरानी नीति में बदलाव है। 2011 में गृहयुद्ध शुरू होने पर कनाडा ने बशर अल-असद सरकार को आतंक प्रायोजक घोषित किया था। अब HTS जैसे विद्रोहियों के कमजोर होने और असद के 90% इलाके पर कंट्रोल से यू-टर्न। क्या ये मध्य पूर्व में शांति का संकेत? या जोखिम भरा दांव? आइए पूरी कहानी समझें।
कनाडा गवर्नमेंट ने कहा – सीरिया अब मानदंडों पर खरा उतरता। ग्लोबल अफेयर्स मिनिस्ट्री के मुताबिक, असद रिजीम ने विदेशी आतंक समूहों को सपोर्ट बंद किया। HTS (हयात तहरीर अल-शाम) पर फोकस शिफ्ट। असद के पास 90% टेरिटरी, रूस-ईरान बैकिंग। कनाडा ने सैंक्शन्स रिव्यू किया। ये लिस्ट हटाने से सीरिया को आर्थिक राहत मिलेगी। ट्रेड, इन्वेस्टमेंट आसान। लेकिन US अभी असद पर सख्त।
क्यों लिया ये फैसला? मुख्य कारण सरल शब्दों में
2011 से सीरिया गृहयुद्ध – 5 लाख मरे। असद vs विद्रोही। कनाडा ने असद को ISIS, अल-कायदा सपोर्टर कहा। अब बदला – HTS कमजोर, असद स्थिर। रूस ने ब्रोकर किया। कनाडा की नई फॉरेन पॉलिसी – प्रैग्मेटिक अप्रोच। सैंक्शन्स लिफ्ट से मानवीय मदद आसान। UN की रिपोर्ट – सीरिया में 1.6 करोड़ जरूरतमंद।
यहां एक टेबल से देखें कनाडा की लिस्ट में बदलाव:
| देश/समूह | स्टेटस पहले | अब क्या? | प्रभाव |
|---|---|---|---|
| सीरिया | आतंक समर्थक राज्य | लिस्ट से हटाया | सैंक्शन्स कम, ट्रेड खुला |
| HTS (सीरिया विद्रोही) | आतंक संगठन | अब फोकस, लेकिन लिस्टेड | असद मजबूत |
| ईरान | आतंक समर्थक | अभी लिस्टेड | तुलना में सीरिया अलग |
| अन्य (उत्तर कोरिया) | लिस्टेड | कोई बदलाव नहीं | कनाडा की सिलेक्टिव नीति |
सोर्स: ग्लोबल अफेयर्स कनाडा, UN रिपोर्ट्स।
5 FAQs
- कनाडा ने सीरिया को क्यों हटाया लिस्ट से?
असद कंट्रोल मजबूत, कोई सक्रिय आतंक सपोर्ट नहीं। - कब डाला था लिस्ट में?
2011 गृहयुद्ध शुरू होने पर। - अब सैंक्शन्स क्या होंगे?
कई लिफ्ट, ट्रेड आसान। - US का स्टैंड?
अभी सख्त सैंक्शन्स। - भारत का रिएक्शन?
न्यूट्रल, मानवीय फोकस।
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