सत्य कुछ पल के लिए परेशान हो सकता है, परंतु पराजित नहीं
चतरा/प्रतापपुर । कहा जाता है कि “सत्य को देर लगती है, पर हारता कभी नहीं।”कुछ इसी कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है प्रतापपुर के निर्भीक पत्रकार अजय राज ने।जिनकी सच्चाई और ईमानदारी को न्यायालय ने पूरी तरह से सही ठहराते हुए झूठे और मनगढ़ंत आरोपों से बरी कर दिया है।
दरअसल, जनवरी 2023 में रांची से प्रकाशित होने वाले दैनिक अखबार में एक समाचार प्रकाशित हुआ था। उस रिपोर्ट में प्रतापपुर प्रखंड के कुछ पंचायतों में संचालित आधार सेंटरों पर गरीबों से मनमानी राशि वसूले जाने की बात कही गई थी।
रिपोर्ट को प्रकाशित करने से पहले पत्रकार अजय राज ने कई सेंटरों से लाभुकों के बयान और ऑडियो-वीडियो साक्ष्य जुटाए थे, जो उनके पास सुरक्षित भी हैं।
खबर प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन ने इसकी गंभीरता को देखते हुए जांच कराई। जांच के दौरान कई अनियमितताएँ उजागर भी हुईं।
लेकिन इसी बीच कुछ सीएससी संचालकों ने सच्चाई उजागर होने के डर से पत्रकार पर मानहानि का झूठा आरोप लगाते हुए थाना में आवेदन दिलवाया।
उस समय के थाना प्रभारी विनोद कुमार यादव ने मामले की सच्चाई परखने के बाद स्पष्ट कहा था कि खबर में किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं है और यह रिपोर्ट जनहित में की गई है। मामला शांत भी हो गया था, परंतु सच के दुश्मनों ने एक साल बाद फिर उसी पुराने आरोप को नए रूप में जिंदा किया और पत्रकार पर झूठा केस दर्ज कर दिया।
लेकिन अंततः, सत्य ने एक बार फिर अपनी जीत दर्ज की।
कोर्ट ने विस्तृत सुनवाई के बाद पत्रकार अजय राज को सभी आरोपों से पूर्णतः बरी करते हुए केस को खारिज कर दिया।
दिलचस्प बात यह रही कि यह फैसला दशहरे के पावन अवसर पर आया।जब पूरा देश बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व मना रहा था।
कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा “कलम को हथियार बनाकर सत्य की लड़ाई लड़ना कठिन है, परंतु अंततः जीत सत्य की ही होती है।
अदालत का यह फैसला न केवल पत्रकार अजय राज की व्यक्तिगत जीत है, बल्कि यह पूरे पत्रकार समुदाय के लिए नैतिक विजय का प्रतीक बन गया है।
जानकारी के अनुसार, रांची से प्रकाशित दैनिक अखबार प्रबंधन अब इस मामले को झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ एक करोड़ रुपये के मानहानि केस के रूप में उच्च न्यायालय में दायर करने की तैयारी में है।
पत्रकारिता जगत में यह फैसला उन सभी के लिए प्रेरणा है जो सच्चाई को कलम की ताकत से समाज के सामने लाने का साहस रखते हैं।
“झूठ की साजिश पर सत्य की जीत : कोर्ट ने पत्रकार अजय राज को किया बरी”
“बेबुनियाद आरोपों का सच सामने आया,अदालत ने पत्रकार की ईमानदारी को दी मुहर”
“सत्य दबा तो सकता है, मिटा नहीं सकता,अजय राज की कलम की जीत
“दशहरे पर बुराई की हार : कोर्ट ने पत्रकार को झूठे केस से किया मुक्त”
“पत्रकारिता की जीत कोर्ट ने कहा, कलम सत्य का सबसे बड़ा हथियार है”
न्यायालय के इस निर्णय का चतरा प्रेस क्लब के सभी पदाधिकारी और सदस्यों में काफी उत्साह है। संघर्ष का परिणाम मीठा मिला।
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