तिरुपरंकुंड्रम मंदिर विवाद में RSS चीफ मोहन भागवत: तमिलनाडु हिंदुओं की जागृति से सुलझेगा। दीपम रॉ, कोर्ट ऑर्डर, इतिहास और राजनीति की पूरी कहानी।
तमिलनाडु मुरुगन मंदिर विवाद: RSS सरसंघचालक ने कहा- हिंदुओं की एकता से जीत निश्चित!
तिरुपरंकुंड्रम विवाद: RSS चीफ मोहन भागवत का दावा- तमिलनाडु में हिंदुओं की ताकत से सुलझेगा मामला
दोस्तों, तमिलनाडु के मादुराई में तिरुपरंकुंड्रम पहाड़ी पर मुरुगन मंदिर और दरगाह का विवाद फिर गरमाया है। कार्तिगई दीपम उत्सव के दौरान हिंदू संगठनों और पुलिस के बीच झड़प हुई। मदुरै हाईकोर्ट ने दीपथून पर दीप जलाने का आदेश दिया, लेकिन मंदिर प्रशासन ने न माना। इसी बीच RSS सरसंघचालक मोहन भागवत ने तिरुचिरापल्ली में कहा- ये विवाद तमिलनाडु में ही हिंदुओं की शक्ति से सुलझ सकता है। एस्केलेशन की जरूरत नहीं, क्योंकि मामला कोर्ट में है। हिंदू जागृति ही काफी। आइए, इस पुराने विवाद की पूरी कहानी समझें।
तिरुपरंकुंड्रम भगवान मुरुगन के छह पवित्र स्थानों में पहला। पहाड़ी पर सुब्रमण्या स्वामी मंदिर, काशी विश्वनाथ मंदिर और सिकंदर बदूशा दरगाह। विवाद दीपथून नामक पत्थर के खंभे पर दीप जलाने का। हिंदू संगठन कहते- ये मंदिर का हिस्सा, सदियों पुरानी परंपरा। कोर्ट ने 1 दिसंबर को जस्टिस स्वामीनाथन ने आदेश दिया- दीप जलाओ, इससे दरगाह अधिकार प्रभावित नहीं। लेकिन TN सरकार ने चैलेंज किया। हिंदू मुनानी, हिंदू मक्कल काची जैसे ग्रुप्स सड़क पर। पुलिस से भिड़ंत, एक कांस्टेबल घायल। BJP ने इसे ‘दक्षिण का अयोध्या’ कहा।
विवाद का इतिहास: 1923 से चला आ रहा केस
ये झगड़ा नया नहीं। 1923 में मंदिर ने पहाड़ी पर अपना हक साबित किया। 8 साल चली कानूनी लड़ाई। ब्रिटिश प्रिवी काउंसिल ने फैसला- पूरी पहाड़ी मंदिर की, सिवाय नेल्लीटोपे और मस्जिद वाली जगह के। विजयनगर साम्राज्य ने हिंदू शासन बहाल किया। लेकिन दावा है सिकंदर शाह 1377 में ‘शहीद’ हुए। हिंदू कहते- ये आक्रमणकारी थे। हाल में MP कनी ने पहाड़ी पर मीट खाया, विवाद भड़का। फरवरी में हजारों सैफ्रन झंडे लेकर प्रदर्शन।
5 FAQs
- तिरुपरंकुंड्रम विवाद क्या है?
मुरुगन मंदिर पहाड़ी पर दीपथून दीप जलाने का। दरगाह के पास। - मोहन भागवत ने क्या कहा?
TN हिंदुओं की ताकत से सुलझेगा, एस्केलेशन न। - इतिहास में कोर्ट फैसला?
1931 प्रिवी काउंसिल- पहाड़ी मंदिर की। - पुलिस-हिंदू झड़प क्यों?
दीप जलाने को चढ़ाई, बैरिकेड तोड़ने की कोशिश। - राजनीतिक असर?
BJP को फायदा, DMK सद्भाव की बात।
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