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Trump का बड़ा झटका! US में जॉब भेजने पर 25% Tax

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concerned Indian IT professional looking at a laptop screen with a "HIRE Act" headline
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Trump administration के HIRE Act से भारतीय IT सेक्टर में दहशत। US में Offshore भेजे गए Jobs पर 25% Tax का Proposal, TCS, Infosys, Wipro जैसी कंपनियों पर पड़ेगा असर।

US HIRE Act: भारतीय IT सेक्टर पर प्रभाव, Offshore Jobs पर 25% Tax की संभावना

भारत के $250 बिलियन के IT सेक्टर के लिए एक बड़ा झटका आने वाला हो सकता है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की administration द्वारा प्रस्तावित एक नया कानून – HIRE Act (Howdy Im Reformning Employment Act) – भारतीय आईटी कंपनियों के Business Model के लिए एक गंभीर खतरा बनकर उभर रहा है। इस Proposed Legislation के तहत, अमेरिकी कंपनियों द्वारा Offshore भेजे गए Jobs पर 25% का Tax लगाने का Proposal है। इसका सीधा असर TCS, Infosys, Wipro, HCL जैसी बड़ी भारतीय IT कंपनियों और हजारों Indian IT Professionals पर पड़ेगा, जो US Clients के लिए काम करते हैं। इस Article में, हम आपको इस Proposed Act की पूरी जानकारी, इसके भारतीय IT Sector पर Potential Impact, और Companies और Employees के लिए आगे की रणनीति के बारे में बताएंगे।

HIRE Act क्या है? (What is the HIRE Act?)

HIRE Act एक Proposed American Legislation है, जिसका मुख्य उद्देश्य US Companies को Overseas में Jobs भेजने से रोकना और अमेरिकी Workers के लिए Local Jobs Create करना है।

  • Proposal: इस Act के तहत, कोई भी US Company जो अपना काम Overseas (जैसे भारत) में Outsourcing करती है, उसे उस Job की Cost पर 25% का Tax देना होगा।
  • लक्ष्य: इस Tax का उद्देश्य US Companies के लिए Outsourcing को Financially Less Attractive बनाना है, ताकि वे Jobs America में ही Create करें।
  • राजनीतिक संदर्भ: यह Proposal “America First” की Policy का हिस्सा है, जिस पर डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने पिछले कार्यकाल में जोर दिया था।

भारतीय IT Sector पर क्या पड़ेगा असर? (Impact on Indian IT Sector)

भारतीय IT Industry US Market पर बहुत अधिक निर्भर है। US Clients से मिलने वाला Revenue कई बड़ी कंपनियों के Total Revenue का 50-60% है।

  1. कंपनियों की लागत बढ़ेगी: US Clients को अब Outsourcing की Cost 25% ज्यादा देनी होगी। इससे Indian IT Companies की Competitiveness कम होगी और उनका Profit Margin घटेगा।
  2. नए Projects पर असर: US Clients नए Projects India भेजने के बजाय Local Options तलाश सकते हैं। नए Business पर सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है।
  3. कंपनियों की रणनीति में बदलाव: Indian Companies को अपना Business Model बदलना पड़ सकता है। वे US में Local Hiring बढ़ा सकती हैं या Automation और AI पर जोर दे सकती हैं।
  4. On-Site Jobs पर असर: US में काम कर रहे Indian IT Professionals के Visa (जैसे H-1B, L-1) पर Stricter Rules आ सकती हैं।

भारतीय IT Professionals पर प्रभाव (Impact on Indian IT Employees)

इस Act का सीधा असर उन हजारों Indian IT Professionals पर पड़ेगा जो US Projects पर काम करते हैं।

  • On-Site Opportunities कम होंगी: US Companies अब ज्यादा Employees को On-Site भेजने से कतराएंगी क्योंकि इस पर Additional Tax लगेगा।
  • Salary Growth पर रोक: Companies के Profit Margin घटने का असर Employees की Salary Growth और Appraisal पर पड़ सकता है।
  • Job Security का खतरा: Cost Cutting के चलते, Companies Certain Roles में कटौती कर सकती हैं।
  • Local Hiring को प्राथमिकता: US Clients US-Based Resources को Priority देना शुरू कर सकते हैं।

कंपनियों और Professionals की रणनीति (Coping Strategies)

इस Challenge से निपटने के लिए Companies और Professionals दोनों को नई रणनीति बनानी होगी।

कंपनियों के लिए:

  • US में Local Hiring बढ़ाना: US में Local Talent Hire करके Tax के Impact से बचा जा सकता है।
  • Value-Added Services पर Focus: सिर्फ Cost Advantage नहीं, बल्कि High-Quality और Innovative Solutions पर Focus करना।
  • Automation और AI: Repetitive Jobs को Automate करके Efficiency Improve करना।
  • नए Markets तलाशना: Europe, Australia, और Middle East जैसे Markets पर ज्यादा Focus करना।

Professionals के लिए:

  • Skills Upgrade करना: Emerging Technologies जैसे AI, Machine Learning, Cloud Computing, Data Science में Skills Develop करना।
  • Domain Expertise बढ़ाना: सिर्फ Technical Skills नहीं, बल्कि Banking, Healthcare, Insurance जैसे Domains की Knowledge बढ़ाना।
  • Remote Work के Opportunities तलाशना: Global Remote Jobs के लिए Apply करना।

बदलाव का समय

अगर HIRE Act कानून का रूप लेता है, तो यह भारतीय IT उद्योग के लिए एक बड़ा Disruptor साबित होगा। हालाँकि, भारतीय IT Sector ने पहले भी Visa Norms और Policy Changes के झटके झेले हैं और हमेशा Adapt करना सीखा है। यह Challenge Companies और Professionals दोनों के लिए Innovation, Diversification, और Upskilling पर Focus करने का एक अवसर भी हो सकता है। आने वाला समय बताएगा कि Sector इस नए बदलाव का सामना कैसे करता है।

कमेंट में बताएं: आपके हिसाब से इस Challenge से निपटने की सबसे अच्छी रणनीति क्या है?


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. क्या यह कानून अभी लागू हो गया है?
नहीं, अभी यह सिर्फ एक Proposal है। इसे अमेरिकी संसद (Congress) में पास होना होगा, जो एक लंबी प्रक्रिया है। अगर डोनाल्ड ट्रम्प चुनाव जीतते हैं, तो इसे Priority दी जा सकती है।

2. क्या सभी भारतीय आईटी कंपनियों पर एक जैसा असर पड़ेगा?
नहीं। जो Companies US Market पर ज्यादा निर्भर हैं (जैसे TCS, Infosys), उन पर असर ज्यादा होगा। जिन Companies ने अपने Markets Diversify कर रखे हैं, उन पर असर कम होगा।

3. क्या इससे भारत में IT Jobs कम हो जाएंगी?
Directly नहीं, लेकिन Growth Rate पर असर पड़ सकता है। नए Projects कम मिलने से नई Hiring पर असर पड़ेगा।

4. क्या US में काम कर रहे Indian Employees की नौकरी जाएगी?
ऐसा जरूरी नहीं है, लेकिन Companies Cost-Cutting के तहत US में High-Cost Resources को Replace करने पर विचार कर सकती हैं।

5. भारत सरकार इस मामले में क्या कर रही है?
भारत सरकार ऐसे Proposals का Diplomatic Level पर विरोध करती रही है और US Administration के साथ बातचीत करके Indian Industry के हितों की रक्षा करने की कोशिश करेगी।

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