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एक प्राचीन लेकिन जारी खतरा : Tuberculosis (टीबी)

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क्षय रोग (टीबी) मानव इतिहास के सबसे पुराने ज्ञात संक्रामक रोगों में से एक है। चिकित्सा क्षेत्र में अनेक प्रगति होने के बावजूद, यह आज भी दुनिया भर में बीमारी और मृत्यु का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। टीबी का कारण Mycobacterium tuberculosis नामक जीवाणु होता है। यह मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन यह मस्तिष्क, गुर्दे, रीढ़ की हड्डी सहित शरीर के अन्य अंगों को भी नुकसान पहुँचा सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2022 में लगभग 1.06 करोड़ लोग टीबी से पीड़ित हुए और लगभग 13 लाख लोगों की इससे मृत्यु हो गई। यह रोग रोके जाने योग्य, उपचार योग्य और ठीक किया जा सकने वाला है, लेकिन इसके बावजूद यह आज भी बना हुआ है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य, गरीबी, सामाजिक कलंक और चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंच जैसी चुनौतियों को दर्शाता है।


1. टीबी क्या है?

टीबी एक संक्रामक रोग है जो आमतौर पर फेफड़ों (Pulmonary TB) को प्रभावित करता है, लेकिन यह शरीर के लगभग किसी भी अंग (Extrapulmonary TB) को प्रभावित कर सकता है। यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है, जब कोई सक्रिय टीबी वाला व्यक्ति खांसता, छींकता या बात करता है तो वह सूक्ष्म बूंदों में जीवाणु छोड़ता है जो दूसरों को संक्रमित कर सकता है।

टीबी के दो प्रकार होते हैं:

  • निष्क्रिय टीबी संक्रमण (Latent TB Infection – LTBI):
    व्यक्ति के शरीर में टीबी बैक्टीरिया होते हैं, लेकिन प्रतिरक्षा प्रणाली उन्हें नियंत्रण में रखती है। यह व्यक्ति बीमार नहीं होता और दूसरों को संक्रमण नहीं फैलाता।
  • सक्रिय टीबी रोग (Active TB Disease):
    जब प्रतिरक्षा प्रणाली बैक्टीरिया को नियंत्रित नहीं कर पाती, तो वे बढ़ते हैं और लक्षण उत्पन्न करते हैं। यह अवस्था संक्रामक होती है और बिना इलाज के जानलेवा हो सकती है।

2. कारण और जोखिम कारक

टीबी का कारण Mycobacterium tuberculosis नामक जीवाणु होता है। कुछ प्रमुख जोखिम कारक निम्नलिखित हैं:

a) कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली:

  • एचआईवी/एड्स
  • कैंसर के इलाज (कीमोथेरेपी)
  • अंग प्रतिरोपण के बाद की दवाएं
  • मधुमेह
  • कुपोषण

b) रहने और काम करने की परिस्थितियाँ:

  • भीड़भाड़ वाले घर
  • खराब वेंटिलेशन
  • जेल, शरणार्थी शिविर या बेघर आश्रय गृह

c) जीवनशैली और सामाजिक कारक:

  • नशे की लत (शराब या ड्रग्स)
  • धूम्रपान
  • गरीबी और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी

d) भौगोलिक स्थान:

टीबी विकासशील देशों में अधिक आम है, खासकर जहां जनसंख्या घनत्व अधिक हो और स्वास्थ्य सेवाएं कमजोर हों। भारत, चीन, इंडोनेशिया, फिलीपींस और पाकिस्तान ऐसे देशों में शामिल हैं जहाँ टीबी का बोझ सबसे अधिक है।


3. टीबी के लक्षण

लक्षण उस पर निर्भर करते हैं कि संक्रमण शरीर के किस हिस्से में हुआ है:

फेफड़ों से संबंधित टीबी (Pulmonary TB):

  • लगातार 2–3 सप्ताह से ज्यादा खांसी
  • खून या बलगम वाली खांसी
  • सीने में दर्द (खांसते या सांस लेते समय)
  • थकावट और कमजोरी
  • वजन कम होना
  • बुखार और रात में पसीना
  • भूख में कमी

फेफड़ों के बाहर की टीबी (Extrapulmonary TB):

  • रीढ़ की टीबी: पीठ में दर्द
  • गुर्दे की टीबी: पेशाब में खून
  • मस्तिष्क की टीबी (टीबी मेनिन्जाइटिस): सिरदर्द, भ्रम, गर्दन में अकड़न

4. निदान (Diagnosis)

समय पर और सटीक निदान टीबी को नियंत्रित करने के लिए अत्यंत आवश्यक है। कुछ सामान्य परीक्षण इस प्रकार हैं:

a) स्पुटम माइक्रोस्कोपी:

बलगम की जांच कर बैक्टीरिया की उपस्थिति देखी जाती है।

b) छाती का एक्स-रे:

फेफड़ों में क्षति या घावों का पता चलता है।

c) ट्यूबरकुलिन स्किन टेस्ट (मंटौ टेस्ट):

त्वचा के नीचे एक दवा की सूई लगाई जाती है जिससे शरीर की प्रतिक्रिया से पता चलता है कि व्यक्ति को संक्रमण हुआ है या नहीं।

d) इंट्राफेरॉन-गामा रिलीज एस्से (IGRAs):

खून की जांच से प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया का आकलन किया जाता है।

e) आणविक जांच (CBNAAT/NAAT):

तेज और सटीक टेस्ट जो टीबी और रिफैम्पिसिन प्रतिरोध का पता लगाता है।

f) बायोप्सी और इमेजिंग:

फेफड़ों के अलावा किसी अंग में टीबी होने पर CT या MRI स्कैन और ऊतक बायोप्सी की जाती है।


5. टीबी का इलाज

टीबी का इलाज कई एंटीबायोटिक दवाओं को 6 से 9 महीने तक लेने से होता है। सरकार द्वारा चलाए जा रहे DOTS (Directly Observed Treatment, Short-course) कार्यक्रम में यह सुनिश्चित किया जाता है कि मरीज पूरा कोर्स समय पर और सही तरीके से लें।

प्रमुख दवाएं (First-Line Drugs):

  • आइसोनियाज़िड (INH)
  • रिफैम्पिसिन (RIF)
  • पाइराजीनामाइड (PZA)
  • एथाम्बुटोल (EMB)

इलाज के चरण:

  • प्रारंभिक चरण (पहले 2 महीने): सभी 4 दवाएं दी जाती हैं।
  • जारी चरण (अगले 4–7 महीने): सिर्फ INH और RIF दी जाती हैं।

दवाएं छोड़ने या बीच में बंद करने से दवा प्रतिरोधक टीबी हो सकता है।


6. दवा प्रतिरोधी टीबी (Drug-Resistant TB)

गलत या अधूरा इलाज दवा प्रतिरोधक टीबी का कारण बनता है:

a) MDR-TB (मल्टीड्रग रेजिस्टेंट टीबी):

INH और RIF जैसी मुख्य दवाओं के प्रति प्रतिरोधक।

b) XDR-TB (एक्सटेंसिवली ड्रग रेजिस्टेंट टीबी):

पहली पंक्ति और कई दूसरी पंक्ति की दवाओं के प्रति प्रतिरोधक।

इसका इलाज कठिन, महंगा और अधिक साइड इफेक्ट वाला होता है तथा 18–24 महीने तक चल सकता है।


7. टीबी और एचआईवी सह-संक्रमण

एचआईवी टीबी का सबसे बड़ा जोखिम कारक है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति को सक्रिय टीबी होने की संभावना 18 गुना अधिक होती है। टीबी, एचआईवी से संक्रमित लोगों में मृत्यु का प्रमुख कारण भी है।

WHO द्वारा एचआईवी रोगियों को ART (एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी) और IPT (आइसोनियाज़िड प्रोफिलेक्टिक थेरेपी) की सिफारिश की जाती है।


8. रोकथाम और नियंत्रण

a) BCG टीकाकरण:

नवजात शिशुओं को टीबी-प्रभावित क्षेत्रों में BCG वैक्सीन दी जाती है, जो बच्चों में गंभीर टीबी (जैसे मेनिन्जाइटिस) से सुरक्षा देती है।

b) प्रारंभिक पहचान और इलाज:

संक्रमित व्यक्तियों की जल्दी पहचान और इलाज से संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ा जा सकता है।

c) अस्पतालों में संक्रमण नियंत्रण:

संक्रमित मरीजों को अलग रखा जाना, अच्छी वेंटिलेशन और PPE का उपयोग जरूरी है।

d) सामाजिक परिस्थितियों में सुधार:

टीबी गरीबी से जुड़ा रोग है। पोषण, रहने की स्थिति और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार आवश्यक है।


9. टीबी नियंत्रण की चुनौतियाँ

  • कलंक: टीबी मरीजों को सामाजिक भेदभाव झेलना पड़ता है जिससे वे इलाज में देर करते हैं।
  • दवा प्रतिरोध: अधूरा या गलत इलाज दवा प्रतिरोध बढ़ाता है।
  • कम रिपोर्टिंग: कई मामलों की सरकारी रिकॉर्ड में जानकारी नहीं होती।
  • सह-संक्रमण: एचआईवी और टीबी एक साथ होने पर इलाज कठिन हो जाता है।
  • अपर्याप्त स्वास्थ्य ढांचा: खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जांच और इलाज की सुविधा सीमित है।

10. वैश्विक और राष्ट्रीय पहल

a) WHO की End TB Strategy:

2030 तक टीबी की मृत्यु दर में 90% और मामलों में 80% की कमी का लक्ष्य है।

b) भारत का राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (NTEP):

भारत ने 2025 तक टीबी समाप्त करने का लक्ष्य रखा है, जो वैश्विक लक्ष्य से 5 साल पहले है।

प्रमुख रणनीतियाँ:

  • मुफ्त जांच और इलाज
  • पोषण सहायता (निक्षय पोषण योजना)
  • जोखिम वाले क्षेत्रों में सक्रिय केस की खोज
  • समुदाय में जागरूकता अभियान

निष्कर्ष

टीबी एक पूरी तरह से ठीक होने योग्य और रोके जाने योग्य रोग है, फिर भी यह आज भी लाखों लोगों को प्रभावित करता है। इसका कारण सिर्फ जीवाणु नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य की गहरी समस्याएं भी हैं। इस बीमारी से लड़ाई के लिए दवा के साथ-साथ सामाजिक भागीदारी, मजबूत स्वास्थ्य तंत्र, और राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है।

अगर हम सभी मिलकर सक्रियता से प्रयास करें, तो एक टीबी मुक्त विश्व का सपना अवश्य साकार हो सकता है।

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