Tula Sankranti 2025: जानें कब है तुला संक्रांति, क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि। सूर्य के तुला राशि में प्रवेश का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व। दान-पुण्य और व्रत के नियमों की पूरी जानकारी।
सूर्य के Tula राशि में प्रवेश का प्रभाव
Tula Sankranti 2025 पावन पर्व, जानें तिथि, मुहूर्त और महत्व
हिंदू धर्म में संक्रांति का विशेष महत्व है और Tula Sankranti उन्हीं महत्वपूर्ण संक्रांतियों में से एक है। जब सूर्य देव तुला राशि में प्रवेश करते हैं, तो इस खगोलीय घटना को तुला संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। तुला संक्रांति न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि ज्योतिष की दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व है।
आज के इस लेख में, हम आपको तुला संक्रांति 2025 की तिथि, मुहूर्त, पूजा विधि, धार्मिक महत्व और ज्योतिषीय प्रभाव के बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करेंगे।
Tula Sankranti 2025: तिथि और मुहूर्त
साल 2025 में Tula Sankranti 17 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
मुख्य मुहूर्त:
- Tula Sankranti पुण्य काल: सुबह 07:16 बजे से 08:43 बजे तक
- अवधि: 1 घंटा 27 मिनट
- तुला संक्रांति महा पुण्य काल: सुबह 07:16 बजे से 09:10 बजे तक
- अवधि: 1 घंटा 54 मिनट
सूर्योदय और सूर्यास्त:
- सूर्योदय: सुबह 06:25 बजे
- सूर्यास्त: शाम 06:05 बजे
Tula Sankranti क्या है? वैज्ञानिक और धार्मिक परिप्रेक्ष्य
Tula Sankranti खगोलीय दृष्टि से तब मनाई जाती है जब सूर्य कन्या राशि (Virgo) को छोड़कर तुला राशि (Libra) में प्रवेश करता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह घटना आश्विन माह में होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
तुला संक्रांति का धार्मिक महत्व
- सूर्य देव की आराधना: इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है क्योंकि वह नई राशि में प्रवेश कर रहे होते हैं।
- पितृ तर्पण: मान्यता है कि इस दिन पितरों को तर्पण देने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- दान-पुण्य का महत्व: तुला संक्रांति के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। अनाज, वस्त्र, नमक, घी और तेल का दान करना शुभ माना जाता है।
- नदी स्नान: पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है, विशेष रूप से गंगा, गोदावरी और कृष्णा नदी में।
Tula Sankranti पूजा विधि
Tula Sankranti के दिन निम्नलिखित विधि से पूजा करनी चाहिए:
- स्नान और शुद्धता: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- सूर्य को अर्घ्य: सूर्योदय के समय जल में लाल फूल, अक्षत और रोली मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- मंत्र जाप: “ॐ घृणि सूर्याय नम:” मंत्र का जाप करें।
- सूर्य स्तोत्र: आदित्य हृदय स्तोत्र या सूर्य चालीसा का पाठ करें।
- दान कर्म: पूजा के बाद जरूरतमंदों को दान दें।
तुला संक्रांति पर विशेष दान
इस दिन विशेष रूप से निम्नलिखित वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है:
- तिल का तेल
- नमक
- गुड़
- लाल वस्त्र
- गेहूं या चावल
- बर्तन
- छाता
- जूते-चप्पल
ज्योतिषीय प्रभाव
तुला संक्रांति का सभी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है:
तुला राशि वालों के लिए: यह समय बहुत शुभ होता है। नए enterprises की शुरुआत के लिए अच्छा समय है।
वृषभ और कर्क राशि वालों के लिए: व्यापार और नौकरी में सफलता मिलने के योग बनते हैं।
मकर और कुंभ राशि वालों के लिए: स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
क्षेत्रीय महत्व और उत्सव
ओडिशा में महत्व: ओडिशा में तुला संक्रांति को “कुमार पूर्णिमा” के नाम से जाना जाता है और यहां इस दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है।
कर्नाटक में उत्सव: कर्नाटक में इसे “थुला संक्रांति” कहते हैं और यहां इस दिन नए अनाज की पूजा की जाती है।
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना: यहां इस दिन “थुला संक्रमणम” के रूप में मनाया जाता है और विशेष पकवान बनाए जाते हैं।
विशेष पकवान
तुला संक्रांति के अवसर पर विशेष पकवान बनाए जाते हैं:
- खीर
- पूड़ी
- हलवा
- नारियल की मिठाई
- नए अनाज से बने व्यंजन
व्रत और उपवास
कई लोग तुला संक्रांति के दिन व्रत रखते हैं। व्रत के नियम:
- दिन में एक समय भोजन
- सात्विक आहार
- लहसुन-प्याज से परहेज
- संयमित व्यवहार
FAQs
1. Tula Sankranti 2025 में कब है?
Tula Sankranti 2025 में 17 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
2. तुला संक्रांति का शुभ मुहूर्त क्या है?
पुण्य काल सुबह 07:16 बजे से 08:43 बजे तक और महा पुण्य काल सुबह 07:16 बजे से 09:10 बजे तक रहेगा।
3. तुला संक्रांति के दिन क्या दान करना चाहिए?
तिल का तेल, नमक, गुड़, लाल वस्त्र, अनाज और बर्तन आदि का दान शुभ माना जाता है।
4. क्या तुला संक्रांति के दिन व्रत रख सकते हैं?
हां, तुला संक्रांति के दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है। व्रत में सात्विक भोजन करना चाहिए।
5. तुला संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व क्या है?
ज्योतिष की दृष्टि से जब सूर्य तुला राशि में प्रवेश करता है तो इसका सभी राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।
6. तुला संक्रांति के दिन कौन सा मंत्र जाप करना चाहिए?
“ॐ घृणि सूर्याय नम:” मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके अलावा आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं।
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