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ईरान के तेल नेटवर्क को कमजोर करने के लिए ट्रंप सरकार की कड़ी कार्रवाई

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ट्रम्प प्रशासन ने ईरान के तेल व्यापार में शामिल चीनी कंपनियों और टर्मिनलों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं, जिससे ईरान की आय में कमी आने का प्रयास।

चीन की तेल रिफाइनरी पर अमेरिकी प्रतिबंध, ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर नजर

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने गुरुवार को ईरान के तेल और पेट्रोकेमिकल व्यापार में शामिल लगभग 100 व्यक्तियों, संस्थाओं और जहाजों पर प्रतिबंध लगाए हैं। इसमें शांडोंग प्रांत स्थित स्वतंत्र तेल रिफाइनरी शांडोंग जिनचेंग पेट्रोकैमिकल समूह और लानशान बंदरगाह पर संचालित रिज़हाओ शिहुआ कच्चे तेल का टर्मिनल शामिल हैं।

संयुक्त राज्य ने कहा कि ये संस्थाएं ईरान के “छायादार बेड़े” के कई जहाजों को तेल परिवहन की सुविधा प्रदान कर रही हैं, जो प्रतिबंधों से बचने की कोशिश करते हैं। इन जहाजों में कांगम, बिग मैग और वोय जैसी नावें शामिल हैं, जिन्होंने जुलाई 2023 से चीन को लाखों बैरल ईरानी एलपीजी पहुंचाया।

अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के सचिव स्कॉट ब्रेसेंट ने कहा कि विभाग ईरान के नकदी प्रवाह को कमजोर कर रहा है, जो उसके परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों का वित्तपोषण करता है और मध्य पूर्व में आतंकवादी proxy समूहों का समर्थन करता है।

यह चौथा दौर है जिसमें चीन स्थित रिफाइनरी कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाए गए हैं, जो ईरान से तेल खरीद जारी रखती हैं। इससे ईरान की वैश्विक ऊर्जा निर्यात प्रणाली को नुकसान पहुंचाने का प्रयास जारी है।

प्रतिबंधित कंपनियां और उनके कार्य

  • शांडोंग जिनचेंग पेट्रोकैमिकल समूह, शांडोंग प्रांत की एक स्वतंत्र रिफाइनरी, जिसने 2023 के बाद से लाखों बैरल ईरानी तेल खरीदा।
  • रिज़हाओ शिहुआ कच्चे तेल का टर्मिनल, लानशान बंदरगाह पर स्थित, जिसने कई प्रतिबंधित ईरानी तेल के जहाजों को स्थान दिया।
  • चीन की जियांगयिन फोरएवरसन केमिकल लॉजिस्टिक्स, जिसे भी ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पाद प्राप्त करने के लिए चिन्हित किया गया।

ट्रेजरी विभाग का मानना है कि ईरान का तेल नेटवर्क उसके परमाणु हथियार कार्यक्रम के वित्तपोषण का प्रमुख स्रोत है, इसलिए इसे कमजोर करना वैश्विक सुरक्षा के लिए आवश्यक है। हालांकि, ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्य से है।

ट्रम्प प्रशासन के संयोजक भी इस बीच क्षेत्रीय स्थिरता के लिए मध्यस्थता कर रहे हैं, जिसमें हाल ही में इज़राइल और हामास के संघर्ष विराम समझौते को हासिल किया गया है। ट्रम्प आगामी दिनों में मध्य पूर्व की यात्रा पर जाएंगे ताकि शांति प्रयासों को और गति दी जा सके।

अमेरिकी प्रशासन द्वारा ईरान की तेल व्यापार प्रणाली में दबाव डालने के लिए चीन स्थित कंपनियों पर लगाए गए प्रतिबंधों ने तेल निर्यात नेटवर्क पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। यह कदम न केवल ईरान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों को रोकने की दिशा में है बल्कि लंबी अवधि के लिए मध्य पूर्व में क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक ऊर्जा सुरक्षा को प्रभावित करेगा।


FAQs

  1. अमेरिका ने किन चीनी कंपनियों को प्रतिबंधित किया?
    • शांडोंग जिनचेंग पेट्रोकैमिकल समूह, रिज़हाओ शिहुआ टर्मिनल और जियांगयिन फोरएवरसन केमिकल लॉजिस्टिक्स।
  2. प्रतिबंधों का उद्देश्य क्या है?
    • ईरान की तेल बिक्री से नकदी प्रवाह कम करना और हथियार कार्यक्रमों को रोकना।
  3. ईरान का परमाणु कार्यक्रम किसे लेकर विवादित है?
    • अमेरिका और कई पश्चिमी देशों के अनुसार यह सैन्य उद्देश्य से हो सकता है, जबकि ईरान इसे शांतिपूर्ण बताता है।
  4. ये प्रतिबंध ईरान के ऊर्जा व्यापार को कैसे प्रभावित करेंगे?
    • ईरान की वैश्विक ऊर्जा निर्यात प्रणाली पर दबाव बढ़ेगा और आय में कमी आएगी।
  5. अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में कौन सा बड़ा कूटनीतिक कदम उठाया?
    • इज़राइल और हामास के बीच गाजा संघर्ष विराम और बंधक रिहाई समझौते को समर्थन दिया।
  6. ट्रम्प की मध्य पूर्व यात्रा का मकसद क्या है?
    • क्षेत्र में शांति प्रयासों को गति देना और स्थिरता स्थापित करना।
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