सफिपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के स्टाफ पर बिना एक्सपायर हुए कई आवश्यक दवाएं जलाने का आरोप लगा है। अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है।
उत्तर प्रदेश के सफिपुर में दो-तीन सौ मरीजों के लिए जरूरी दवाएं जलाने का आरोप
उत्तर प्रदेश के सफिपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) के स्वास्थ्य कर्मचारियों पर लगभग 10-12 बोरियों में रखी कई आवश्यक दवाओं को बिना समाप्ति तिथि पार किए जलाने का आरोप लगा है। इस घटना से स्थानीय लोग और स्वास्थ्य अधिकारी आश्चर्यचकित हैं।
घटना का सारांश
- शनिवार शाम को स्थानीय लोगों ने हॉस्पिटल परिसर से धुआं उठता देखा, जहां उन्होंने दवा की बोतलों, सिरप, इंजेक्शन फ्लास्क और टैबलेट स्ट्रिप्स को जलते हुए पाया।
- जांच में पाया गया कि कई दवाओं की समाप्ति तिथि 2026 तक थी, जैसे लेवोसेटिरिजिन, लिग्नोकेन जेल, पैरासिटामोल और मेट्रोनिडाजोल।
- यह दवाएं संधि संक्रमण, बुखार और दर्द निवारक के लिए सामान्य रूप से इस्तेमाल की जाती हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
- मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सत्यप्रकाश ने अस्पताल प्रभारी डॉ. राजेश वर्मा और फार्मासिस्ट प्रेम शंकर को अपने पद से हटाकर जांच के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में भेज दिया है।
- जांच के तहत आधे जले हुए दवाओं के नमूने लिए गए हैं।
- स्वास्थ्य विभाग ने इस कृत्य को पूरी तरह अनुचित बताया है और कहा कि दवाएं जलाने के बजाय उचित बायो-मेडिकल वेस्ट प्रबंधन पद्धति से नष्ट करनी चाहिए।
लोकल प्रतिक्रिया
- स्थानीय मतदाताओं ने आरोप लगाया है कि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को दवाएं उपलब्ध नहीं कराई जातीं और उन्हें निजी दुकानों से खरीदने को मजबूर किया जाता है।
- कहा जा रहा है कि इसी कारण अस्पताल में दवाएं जलाई जा रही हैं।
FAQs
- किन दवाओं को जलाया गया?
— कई आवश्यक दवाएं जिनकी समाप्ति तिथि 2026 तक थी। - अस्पताल का नाम और स्थान क्या है?
— सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, साफिपुर, उत्तर प्रदेश। - इस घटना पर प्रशासन ने क्या किया?
— स्टाफ को पद से हटाया और जांच शुरू की। - मरीजों को क्या समस्या हो रही है?
— अस्पताल में दवाओं की कमी के कारण। - दवाएं जलाना क्यों अनुचित है?
— यह स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए खतरा है, और दवाएं सुरक्षित तरीके से नष्ट होनी चाहिए।
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